किशनगंज जिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और समाज कल्याण निर्देशालय के तत्वावधान में जिले में बाल श्रम उन्मूलन सप्ताह चलाया जा रहा है।
इस अभियान के तहत धावा दल की विशेष टीम ने विभिन्न दुकानों और प्रतिष्ठानों में छापेमारी कर 11 बाल मज़दूरों को विमुक्त कराया। विमुक्त कराये गए बच्चों को पुनर्वास के लिए बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया जाएगा। फिलहाल दुकानदारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है।
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जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निर्देशक रवि शंकर तिवारी ने बताया कि जांच के बाद दुकानों में काम करने वाले जितने बच्चों की आयु 14 वर्ष से कम पाई जाएगी, उन सभी को बाल कलयाण समिति को प्रस्तुत कर उनके पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसके अलावा 14 वर्ष से 18 वर्ष के बीच के बच्चों में अगर कोई जोखिम भरा काम करते हुए पाया गया, तो उन्हें भी बाल कल्याण समिति के हवाले किया जाएगा। इस अभियान में चाइल्ड लाइन, जन साहस और तटवासी समाज जैसे एनजीओ के कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया।
रवि शंकर ने आगे कहा कि जो दुकानदार या एंटरप्राइज बच्चों से काम करवाते हैं उन्हें चिन्हित कर उन पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। दुकानदारों को पहले जुर्माना लगा कर दोबारा ऐसा न करने की हिदायत दी जाएगी। दोबारा इस तरह के अपराध में सम्मिलित पाये जाने पर दुकानदार या एंटरप्राइज को छह माह से दो साल तक के कारावास की सज़ा दी जा सकती है।
किशनगंज जिला श्रम अधीक्षक वीरेंद्र कुमार महतो ने बताया कि किशनगंज नगर क्षेत्र की विभिन्न दुकानों से बच्चों को रेस्क्यू कराया गया है। इनमें प्रेम पुल के पास के चार दुकान, लोहारपट्टी में एक दुकान, खगड़ा स्टेडियम के पास एक दुकान और रामपुर चेक पोस्ट के पास स्थित दो गैरेज शामिल हैं।
“जिसमें भी पाया जाएगा कि श्रमकों की आयु 14 से कम है, उन सभी दुकानदारों को नोटिस दी जाएगी। उससे पहले उन सब पर प्राथमिकी दर्ज होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी दुकानदारों को 20,000 रुपये जुर्माने की नोटिस दी जाएगी। उनके द्वारा 20,000 की राशि जमा न करने पर उनको सर्टिफिकेट केस दिया जाएगा,” जिला श्रम अधीक्षक ने कहा।
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