नेपाल के तराई क्षेत्र में मुसलाधार बारिश होने से किशनगंज से होकर बहने वाली नदियों का जलस्तर बढ़ने से किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड के निचले इलाकों में पानी घुस गया है। लोग अपने घरों को छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं। टेढ़ागाछ प्रखंड से होकर बहने वाली कनकई, रेतुआ और गोरिया नदियां […]
किशनगंज के दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र सहित नेपाल के तराई क्षेत्रों में सोमवार की रात से हो रही लगातार बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। वहीं, भारी बारिश से प्रखंड क्षेत्र से होकर बहने वाली कनकई, बूढ़ी कनकई सहित उनकी सहायक छोटी नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ जैसे हालत पैदा हो गये हैं। […]
सीमांचल के किशनगंज ज़िले में एक प्रदर्शन के लिए ग्रामीणों ने बांस, लोहे के पाइप और खाली ड्रम की मदद से करीब 60 घंटे में एक पुल बना दिया। स्थानीय बोल चाल में ऐसे अस्थायी पुल को ‘पीपा पुल’ या ‘चचरी पुल’ कहते हैं। ज़िले के पोठिया और ठाकुरगंज प्रखंड सीमा पर स्थित खरखरी-भरभरी महानन्दा […]
अररिया ज़िले के सिकटी प्रखंड में नूना नदी ने पिछले कई वर्षों से कहर ढा रखा है। नेपाल के पहाड़ी इलाके से निकली नुना नदी हर साल सिकटी प्रखंड में खेती के साथ करोड़ों रुपये का नुकसान करती है। हद तब हो गई जब दो वर्ष पहले इस घातक नदी ने अपनी मुख्य धारा को […]
बिहार के सीमांचल इलाके में सालों साल आने वाली बाढ़ और निरंतर नदी कटान से होने वाली तबाही कोई नई बात नहीं है। ऐसे में सरकार जब किसी नदी पर एक अदद पुल बना देती है, तो लोगों की उम्मीदें जाग जाती हैं। एक दशक पहले अररिया के सिकटी प्रखंड में कुछ ऐसा ही हुआ। […]
नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार मूसलाधार बारिश होने से किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड की 12 पंचायतों में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। दरअसल ज़िले से होकर बहनेवाली महानंदा, कनकई, डोंक, मेची और रतुआ नदियां भारी बारिश के चलते उफान पर हैं। भारी बारिश से जिले के चार प्रखंड बुरी तरह से प्रभावित हैं।
देश की आजादी के 70 साल से ज्यादा वक्त गुजर चुका है। इन 70 सालों में कितनी ही सरकारें आईं और चली गईं। इन दशकों में लोगों की प्राथमिकताएं भी बदलीं। स्मार्ट फोन, फास्ट कनेक्टिविटी लोगों की आवश्यक जरूरतें बन गईं। लेकिन, किशनगंज जिले में नेपाल से सटा एक ऐसा भी गांव है, जिसे देखकर […]
अब्दुल मजीद बिहार के सीमांचल में आने वाले किशनगंज जिले में ठाकुरगंज प्रखंड के दल्लेगांव के निवासी है। इस गांव के पास से होकर मेची नदी बहती है, जो हर साल सैकड़ों एकड़ जमीन अपने साथ बहा ले जाती है। नतीजतन हर साल कोई न कोई परिवार अब्दुल मजीद की नियति को प्राप्त हो जाता है।
किशनगंज जिले के कोचाधामन प्रखंड स्थित ये बगलबाड़ी गांव है, इस गांव में कभी हँसते खेलते सैंकड़ों परिवार हुआ करते थे। यहाँ के किसान अपनी उपजाऊ जमीन में खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण किया करते थे। लेकिन पिछले कई सालों से महानंदा नदी के तांडव से गांव उजड़ गया, लोग बेघर हो गए।
किशनगंज से लगभग सात किलोमीटर दुरी पर स्थित है गाछपाड़ा पंचायत और इसी गांव होकर गुजरती है महानंदा और डोंक नदी। राज्य सरकार ने दोनों नदियों से ग्रामीणों की जान माल की रक्षा करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बांध का निर्माण करवाया था। लेकिन चंद पैसे की लालच में बालू माफिया इसी पंचायत के खाड़ी बस्ती के समीप बांध को काटकर अवैध तरीके से बालू ढुलाई के लिए रास्ता बना दिया है जिससे नदी किनारे बसे ग्रामीणों को डर सता रहा है की वर्ष 2017 की भांति पुन बाढ़ की स्थिति उत्पन्न ना हो।
कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है, यह जब उफनाती है तो तबाही लाती ही है और जब शांत होती है तो भी तबाही लाती है। दोनों ही हालात में लोगों पर कहर बनकर टूटती है।
गया में बिहार का पहला रबड़ डैम बनेगा। 22 सितंबर को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इस डैम का उद्घाटन किया है। यह डैम गया की ऐतिहासिक फल्गू नदी पर बनने जा रहा है। राज्य में ऐसा पहली बार होगा कि कोई रबड़ डैम बनेगा।