किशनगंज के बहादुरगंज प्रखंड की लौचा पंचायत अंतर्गत बोचागाड़ी और सतमेढ़ी गांवों में भीषण नदी कटान जारी है। पिछले वर्ष भी कटाव से दर्जनों परिवारों के घर नदी में समा गए थे, लेकिन सरकार ने दोनों गांवों में कटाव निरोधक कार्य नहीं करवाया, जिससे जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों में गुस्सा है।
बोचागाड़ी की आबादी लगभग 2000 और सतमेढ़ी की आबादी लगभग 1500 है। इस इलाके में साल 2019-20 में लगभग 40 परिवारों के घर नदी में विलीन हो गये थे। अब तक लगभग दो दर्जन परिवार कटाव से परेशान होकर गांव छोड़कर अन्य गांव में पलायन कर गए हैं। किसानों की 30-40 एकड़ खेतिहर जमीन भी नदी में समा गई है।
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आम के कई बागान उजड़ गए, दर्जनों बांस बागान के हजारों बांस काटने पड़े। सतमेढ़ी का मदरसतुल बनात गौशुल उलूम को 2019 में ही नदी ने अपनी आगोश में ले लिया था। अब गांव के आंगनवाड़ी सेंटर, मस्जिद और प्रथिमिक विद्यालय सतमेढ़ी पर खतरा मंडरा रहा है। मजदूरी करने वाले बोचागाड़ी गांव के नुरूल आलम का दो कमरे का पक्का मकान नदी में विलीन हो गया है।
स्थानीय जिला पार्षद के भाई इमरान आलम के अनुसार, पिछले दिनों किशनगंज डीएम श्रीकांत शास्त्री द्वारा बोचागाड़ी गांव का दौरा भी किया था, उन्होंने मौके पर ही बाढ़ नियंत्रण और जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता को बाढ़ से बचाव के कार्य कराने का आदेश दे दिया था, लेकिन विभाग की लापरवाही से आज ऐसी हालत है।
इस बीच ताजा कटाव के बखद जल संसाधन विभाग के कनीय अभियंता दिलीप कुमार ने बोचागाड़ी और सतमेढ़ी गांव पहुंच कर बाढ़ से बचाव के कार्य कराने का आदेश दिया है।
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