नेपाल के तराई क्षेत्र में हुए मूसलाधार बारिश ने किशनगंज सहित सीमांचल में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी है, बाढ़ का दंश साल 2022 में झेल रहे लोगों की तकलीफें पुराने जख्म और भी बढ़ा रही है। साल 2017 का बाढ़ शायद की लोग भुला भी दे, लेकिन लगता है कि बिहार सरकार और उसके तंत्र ने ठान रखी है की न घाव भरने देंगे, न तकलीफें ख़त्म होने देंगे।
दरअसल मामला किशनगंज जिले के बहादुरगंज के लौचा पंचायत अंतर्गत जनीगछ से बोचागाड़ी जाने वाली सड़क पर विकास पुरुष को मुँह चिढ़ाते धारासाई पूल से जुड़ा हुआ है, यह पूल साल 2017 की बाढ़ में ध्वस्त हो गया था जो अब तक दोबारा खड़ा होने की राह देख रहा है।
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तब से लेकर अब तक मुख्यधारा से कटी आबादी एक अदद डायवर्सन पर निर्भर है, जो बारिश आते ही दम तोड़ने लगती है। ऐसा भी नहीं है कि जिला प्रशासन को इस विषय पर जानकारी नहीं है। जिला प्रशासन यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लेती है कि DPR बनाकर सरकार को भेज दिया गया है।
इन नैनमटक्कों के बीच क्षेत्रीय जिला पार्षद के भाई इमरान आलम ने धमकी भरे स्वर में साफ़ कह दिया की 2017 में ध्वस्त हुए पूल निर्माण का काम जल्द शुरू न हुआ तो जनता के साथ हम सड़क पर उतर जाएंगे।
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