2011 की जनगणना में भारत के अलग अलग राज्यों में प्रवासी मज़दूरों की संख्या 4 करोड़ 14 लाख से अधिक बताई गई थी। पलायन करने वाले मज़दूरों में सबसे अधिक मज़दूर उत्तर प्रदेश और बिहार के थे।
राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के आकलन के अनुसार, 2021-22 में बिहार के 30 लाख से अधिक मज़दूर रोज़ी की तलाश में दूसरे राज्यों में जाकर काम कर रहे हैं।
घर से मीलों दूर रहने वाले इन मज़दूरों में से कुछ हादसों का शिकार भी हो जाते हैं। काम के दौरान किसी दुर्घटना में घायल होने वाले या मरने वाले मज़दूरों को राज्य श्रम संसाधन विभाग सरकारी सहायता देता है।
बिहार के सीमांचल में प्रवासी मज़दूरों की संख्या काफी अधिक है। दुर्घटना का शिकार होने वाले इस क्षेत्र के मज़दूरों के परिवार किस हाल में हैं, यह जानने के लिए हम कटिहार जिले के अलग अलग गांव गए।
कटिहार के बलरामपुर प्रखंड अंतर्गत कमरा पंचायत के सिहपुर गांव के बीस वर्षीय मोहम्मद अशफ़ाक काम के दौरान एक निर्माणधीन मकान की छठी मंजिल से गिर गए थे। एक वर्ष पहले हुई इस दुर्घटना में उनकी जान चली गई थी।
बेटे की मौत की खबर सुन अशफ़ाक़ की मां टेपिया खातून बेहोश हो कर गिर पड़ीं जिससे उनके सिर में गहरी चोट आई। कई दिनों तक वह अस्पताल में भर्ती रहीं, उन्हें लकवे की बीमारी हो चुकी है।
टेपिया खातून बताती हैं कि उनका बेटा अशफ़ाक़ काम करने गुजरात गया था। मौत की खबर सुन उनकी तबीयत पूरी तरह ख़राब हो गई है और अब वह चल फिर भी नहीं सकती हैं। उनके परिवार को सरकार से अब तक किसी तरह की सहायता नहीं मिली है। अशफ़ाक़ की चार बहने हैं, एक छोटा भाई और बूढ़े मां बाप हैं।
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टेपिया ख़ातून के पति मोहम्मद फ़रमान ने बताया कि उनकी पत्नी के इलाज में अब तक 2 लाख रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। इनमें से करीब 90 हज़ार रुपये क़र्ज़ लिए थे जिसे उन्होंने अब तक नहीं चुकाया है। डॉक्टर ने बताया था कि दिमाग़ में गहरी चोट आई है।
मोहम्मद फरमान ने सरकारी अनुदान के सवाल पर कहा कि जिस दिन बेटे को दफ़्न किया गया था उस दिन विधायक महबूब आलम उनके घर आए थे। कागज़ी कार्रवाई के बावजूद अब तक सरकार से कोई सहायता नहीं मिली है।
इसी वर्ष बिहार राज्य मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना के तहत कार्य के दौरान प्रवासी मजदूर की दुर्घटना में मौत हो जाने पर परिवार को मिलने वाली राशि एक लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई है। लेकिन कटिहार जिले के कई मजदूरों को उनकी मृत्यु के वर्षों बाद भी मुआवजे की राशि नहीं मिली है।
नगर पंचायत बलरामपुर के धापी गांव के प्रवासी मजदूर मोहम्मद जुनैद हिमाचल प्रदेश में सड़क निर्माण का काम कर रहे थे। काम के दौरान पैर फिसला और वह पहाड़ से नीचे गिर गए जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना को अब 2 वर्ष 8 महीने हो चुके हैं लेकिन अब तक घर वालों को सरकारी अनुदान नहीं मिला है।
जुनैद के 70 वर्षीय पिता मोहम्मद हलीम बाहर जाकर फेरी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उन्होंने बताया कि परिवार में उनके कुल 7 पोते पोतियां हैं जिनमें उनका एक पोता विकलांग है जबकि पोतियों की शादी के लिए पैसे न होने के कारण परिवार परेशान है।
लोहागढ़ा पंचायत के लोहागढ़ा गांव निवासी कामदेव राय महाराष्ट्र के पुणे में मज़दूरी करते थे। एक वर्ष चार महीने पहले उनकी मौत की खबर आई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक बताई गई। कामदेव राय की पत्नी उर्मिला देवी कहती हैं कि उनके पति की मृत्यु के बाद सांसद दुलाल चंद गोस्वामी आए थे , ब्लॉक से एक अधिकारी भी आया था जो कागज़ात देख कर गया लेकिन अब तक परिवार सरकारी मदद से महरूम है।
उर्मिला देवी के 2 बेटे और एक बेटी हैं। बड़े बेटे की मानसिक अवस्था अच्छी नहीं हैं वहीँ बाकी दो बच्चे छठी और चौथी कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं।
उर्मिला देवी के पिता जेठा राय ने बताया कि उनके दामाद कामदेव राय की मृत्यु के बाद उन्हें जो जो कागज़ात बनाने को कहा गया उन्होंने सारे कागज़ात बनवा कर लेबर इंस्पेक्टर को दे दिया था।
पहले 5 महीने परिवार को प्रत्यक महीने दो हज़ार रुपये मिले लेकिन उसके बाद वह राशि भी मिलनी बंद हो गयी।
उन्होंने आगे बताया कि मृत्यु प्रमाणपत्र, पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट और एफिडेविट जैसे तमाम कागज़ात बनाने में ही पांच से सात हज़ार रुपये खर्च हो गए। इसके बावजूद मृतक की पत्नी और बच्चों को अब तक सरकारी अनुदान नहीं मिला है।
किरौरा पंचायत के बालूगंज गांव के रहने वाले ग़ुलाम सरवर के छोटे भाई मोहम्मद बाबर मुंबई में फ़ोरमैन का काम करते थे। फरवरी 2022 में काम के दौरान करंट लगने से उनकी मौत हो गई।
ग़ुलाम सरवर ने बताया कि उनके भाई की मृत्यु के बाद जाप नेता पप्पू यादव और जिला परिषद आए थे। उन्होंने आगे बताया कि उनका भाई जिस कंपनी में काम करता था वहां से 50,000 रुपये एंबुलेंस के भाड़े के तौर पर मिले थे और 50,000 मृतक को मुआवज़े के तौर पर दिया गया था, हालांकि सरकार की तरफ से अबतक उनके परिवार को कोई सहायता नहीं मिली है।
इस मामले में हमने बलरामपुर प्रखंड के लेबर इंस्पेक्टर से फोन पर बात की। उन्होंने बताया कि कामदेव राय की पोस्टमर्टम रिपोर्ट में मृत्यु का कारण हार्ट अटैक लिखा है और ब्लॉक स्तर से सरकारी अनुदान केवल दुर्घटना से हुई मौत पर दिया जाता है। बाकी मज़दूरों के अनुदान के बारे में उन्होंने कहा कि उन सभी के पूरे कागज़ात जमा नहीं हुए हैं कागज़ात मिलने पर जल्द से जल्द उन्हें अनुदान दिलाने का प्रयास करेंगे।
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