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Fact Check: क्या बिहार के स्कूलों में हिन्दू पर्वों का अवकाश घटाकर मुस्लिम त्यौहारों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं?

समाचार पत्रों और भाजपा के नेताओं ने न सिर्फ सरकार पर हिंदू त्यौहारों की छुट्टयां कम करने का आरोप लगाया है, बल्कि, इसमें इस बात का भी जिक्र है कि सरकार ने मुस्लिम त्यौहारों की छुट्टियां बढ़ा दी हैं। ‘मैं मीडिया’ की पड़ताल में इन दावों के कोई सबूत नहीं मिले।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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बिहार में शिक्षा विभाग ने स्कूलों के लिये कैलेंडर वर्ष 2024 के लिये नई अवकाश तालिक जारी की है। नई अवकाश तालिका के जारी होते ही इसपर विवाद गरमा गया है। बिहार का विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का प्रयास कर रहा है।

“इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ बिहार”

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर धर्मों के आधार पर स्कूलों को बांटने का आरोप लगाया है।

केन्द्रीय ग्रामीण विकास विभाग और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने एक कदम आगे बढ़कर बिहार को “इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ बिहार” करार दिया।

गिरिराज सिंह ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट के माध्यम से सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा कि नीतीश और लालू सरकार ने स्कूलों में मुस्लिम पर्व की छुट्टी बढ़ा दी और हिंदु त्यौहारों की छुट्टी ख़त्म कर दी है।

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने भी बिहार सरकार की आलोचना की। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि नीतीश कुमार परिवारवाद व तुष्टिकरण में अंधे हो गए हैं।

प्रह्लाद सिंह पटेल ने आगे लिखा कि भारतीय सनातन की परंपराओं को अपमानित करने की जो गलती बिहार सरकार ने की है, इसकी सजा उनको जरूर मिलेगी।

बिहार के अखबारों ने क्या लिखा?

कई समाचार पत्रों ने यह दावा किया कि सरकार ने हिंदू त्योहारों की छुट्टियों में कटौती की तथा मुस्लिम त्यौहारों की छुट्टियों में इजाफा किया है।

समाचार पत्र दैनिक जागरण ने 27 नवंबर को अपनी वेबसाइट पर लिखा, “इसमें हिंदू के प्रमुख त्योहार शिवरात्रि, रामनवमी, श्रावण की अंतिम सोमवारी, तीज, जिउतिया, जन्माष्टमी, अनंत चतुर्दशी, भैया दूज, गोवर्धन पूजा, गुरुनानक जयंती, कार्तिक पूर्णिमा के अवकाश को खत्म कर दिया गया है। अगले साल मुहर्रम, बकरीद, ईद की छुट्टियों के दिनों को बढ़ाया गया है।”

दैनिक भास्कर ने 28 नवंबर को अपने पटना संस्करण में इस खबर को अपना मुख्य खबर के तौर पर प्रकाशित किया था। भास्कर ने सुर्खी में लिखा, “स्कूलों में शिवरात्रि, रामनवमी, जन्माष्टमी व रक्षाबंधन की छुट्टी खत्म; ईद-मुहर्रम की बढ़ी।”

dainik bhaskar story copy

भास्कर ने आगे लिखा, “प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों में पिछले साल तक महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन, जानकीनवमी, रामनवमी, जन्माष्टमी, तीज और जिउतिया पर होने वाली छुट्टी 2024 में नहीं रहेगी। जबकि ईद, बकरीद, मुहर्रम की छुट्टी बढ़ेगी।”

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इसी प्रकार, प्रभात खबर ने 28 नवंबर को एक खबर में लिखा, “शिक्षा विभाग द्वारा जारी अवकाश तालिका में महाशिवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, हरितालिका तीज और रमजान के अंतिम जुमे सहित कई छुट्टियों को हटा दिया गया है। वहीं ईद और बकरीद के अवकाश में इजाफा हुआ है।”

समाचार पत्र हिंदुस्तान ने लिखा, “2024 में ईद और बकरीद की छुट्टी बढ़ा दी गई है और जन्माष्टमी, रामनवमी, महाशिवरात्रि, राखी, तीज, जीतिया जैसे कई पर्वों पर छुट्टी कम कर दी है।”

अवकाश तालिका में क्या बदला है?

‘मैं मीडिया’ ने इन समाचार पत्रों और भाजपा नेताओं के दावों को लेकर पड़ताल की। हमने नई अवकाश तालिका को पिछले साल की अवकाश तालिका से तुलना की। हमने पाया कि दोनों साल की छुट्टियों में अधिक अन्तर नहीं है।

कैलेंडर वर्ष 2023 की अवकाश तालिका में 64 दिनों के अवकाश थे, जिसमें 4 रविवार के अवकाश को घटाकर सरकार द्वारा घोषित छुट्टियां 60 दिन थीं।

विभाग की ओर से जारी कैलेंडर वर्ष 2024 की अवकाश तालिका में भी कुल 60 दिनों का अवकाश दर्ज है।

एक बड़ा फर्क जो दोनों वर्षों की अवकाश तालिका में देखने को मिलता है, वो गर्मी की छुट्टी में है। एक तरफ जहां वर्ष 2023 में गर्मी के लिये 5-24 जून (20 दिनों के लिये) तक की छुट्टी दर्ज थी।

वहीं, वर्ष 2024 में गर्मी की छुट्टी के लिये 15 अप्रैल से 15 मई (30 दिनों के लिये) तक की छुट्टी दर्ज है।

इसके अलावा वर्ष 2024 में विभाग ने गर्मियों की छुट्टियों में एक नई चीज को जोड़ दिया है। विभाग के अनुसार, अब ग्रीष्मावकाश की छुट्टी केवल विधार्थियों के लिए होगी। प्रधानाध्यापक, शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मी गर्मियों की छुट्टी में विद्यालय में आएंगे तथा अन्य शैक्षणिक, प्रशासनिक व कार्यालीय कार्य निष्पादित करेंगे।

इस दौरान पैरेंट-टीचर बैठक (Parent-Teacher Meeting) होती रहेगी, और वैसे छात्र जो शिक्षा के अधिकार अधिनियम-2019 की परिधि में आते हैं, उनकी भी विशेष कक्षाएँ चलेंगी तथा विशेष परीक्षाएँ ली जायेंगी।

गर्मियों की छुट्टियों में बदलाव को लेकर विभाग का कहना है कि यह बदलाव आगामी लोकसभा चुनाव (2024) को देखते हुए किया गया है।

दूसरा फर्क जो दोनों सालों की अवकाश तालिका में देखने को मिला वो दुर्गा पूजा, दीपावली तथा छठ पूजा की छुट्टियों से संबंधित है।

हिंदू त्यौहारों की छुट्टियां कम हुईं?

2023 में दूर्गा पूजा, दीपावली, चित्रगुप्त पूजा, भैयादूज तथा छठ पूजा के लिये कुल 15 दिनों की छुट्टी थी, लेकिन 2024 की अवकाश तालिका में इन त्यौहारों के लिये सिर्फ 8 दिनों की छुट्टियां दर्ज हैं।

इसके अलावा 2024 की अवकाश तालिका में रामनवमी (1 दिन), तीज व्रत (2 दिन) और जिउतिया (1 दिन) की छुट्टियों को भी खत्म कर दिया गया है।

तीसरा और अंतिम फर्क यह है कि इस वर्ष (2024) में रविवार के दिन पड़ने वाली छुट्टियों को भी अवकाश तालिका में अंकित किया गया है, जबकि पिछले साल (2023) के लिये जारी अवकाश तालिका में रविवार के दिन पड़ने वाले अवकाश को घटाकर सरकार द्वारा घोषित 60 छुट्टियां जारी की गई थी।

मुस्लिम त्यौहारों की छुट्टी बढ़ी?

समाचार पत्रों और भाजपा के नेताओं ने न सिर्फ सरकार पर हिंदू त्यौहारों की छुट्टयां कम करने का आरोप लगाया है, बल्कि, इसमें इस बात का भी जिक्र है कि सरकार ने मुस्लिम त्यौहारों की छुट्टियां बढ़ा दी हैं। ‘मैं मीडिया’ की पड़ताल में इन दावों के कोई सबूत नहीं मिले।

वर्ष 2023 में मुस्लिम त्यौहारों के लिये शबे बरात (1 दिन), रमजान का अंतिम जुमा (1 दिन), ईद- उल-फित्र (1 दिन), ईद-उल-जोहा (2 दिन), मुहर्रम (1 दिन), चेहल्लुम (1 दिन) तथा हज़रत मुहम्मद साहब के जन्म दिवस (1 दिन) की छुट्टियां थीं।

मुस्लिम त्यौहारों के लिये कैलेंडर वर्ष 2024 में भी यही सब छुट्टियां दर्ज हैं। समाचार पत्रों और भाजपा नेताओं के दावों के विपरीत विभाग ने ईद-उल-अजहा की 2 दिन की छुट्टी को कम करते हुए 2024 में 1 दिन के लिये कर दिया है। साथ-साथ रमजान के अंतिम जुमा (अलविदा जुमा) की छुट्टी को भी खत्म कर दिया है।

समाचार पत्र के दावों के विपरीत ‘मैं मीडिया’ ने पाया कि 2024 के लिये जारी अवकाश तालिका में भी महाशिवरात्रि और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जैसी छुट्टियां दर्ज हैं। इसके अलावा ईद और बकरीद की छुट्टियां भी पहले की तरह एक-एक दिन के लिये ही है। यानी कि ईद और बकरीद की छुट्टियों को नहीं बढ़ाया गया है।

इस तरह हमने अपनी पड़ताल में पाया कि समाचार पत्रों द्वारा हिंदू त्यौहारों की छुट्टियों में कटौती से संबंधित दावे कुछ हद तक सही थे। जैसे कि वर्ष 2024 में रामनवमी (1 दिन), तीज व्रत (2 दिन) और जिउतिया (1 दिन) की छुट्टी को खत्म कर दिया गया है।

लेकिन, मुस्लिम त्यौहारों जैसे कि ईद, बकरीद और मुहर्रम की छुट्टियों को बढ़ाने संबंधी किये जा रहे दावे भ्रामक और झूठे हैं।

उर्दू स्कूलों में पहले से ही ईद, बकरीद और मुहर्रम जैसी छुट्टियों के लिये अधिक दिनों की छुट्टी होती थी। कई उर्दू स्कूलों के शिक्षक ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि उर्दू स्कूलों में पहले से ही ईद में तीन, बकरीद में तीन और मुहर्रम के लिये दो दिनों की छुट्टी होती थी।

दो अवकाश तालिका से पैदा हुआ कंफ्यूज़न

दरअसल, शिक्षा विभाग की तरफ से दो अवकाश तालिका जारी हुई है। एक अवकाश तालिका (संचिका संख्या 89/2015-2693) राज्य के सभी प्रारंभिक, माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिये है।

वहीं, दूसरी अवकाश तालिका (संचिका संख्या 89/2015-2694) बिहार के सभी राजकीय, राजकीयकृत व अल्पसंख्यक सहायता प्राप्त उर्दू विद्यालय और मकतबों के लिये है।

ऊर्दू विद्यालयों और मकतबों के लिये जारी अवकाश तालिका में ईद के लिये 3, बकरीद के लिये 3 तथा मुहर्रम के लिये 2 दिनों की छुट्टियां हैं।

भाजपा नेता उर्दू विद्यालयों और मकतबों के लिये जारी अवकाश तालिका को ही शेयर कर सरकार पर निशना साध रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा नेताओं द्वारा शेयर की जा रही अवकाश तालिका के आधार पर ही कुछ समाचार पत्रों ने खबर प्रकाशित कर दी है।

छुट्टी विवाद पर विभाग की सफाई

विवाद को बढ़ता देख शिक्षा विभाग ने प्रेस रिलीज़ जारी कर सफाई पेश की है। विभाग की मानें, तो सोशल मीडिया साइट या अखबारों में त्यौहारों की छुट्टियों को लेकर जो दावे किये जा रहे हैं, वे भ्रामक हैं।

तालिका बनाते समय सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा वर्ष 2024 के लिये तय सरकारी अवकाशों को देखकर ही स्कूलों के अवकाश तय किये गये हैं। विभाग की मानें तो अवकाश तालिका को जारी करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत तय बाध्यता का पालन हो यानी कि प्रारंभिक विद्यालयों में कम-से-कम 220 दिन अध्यापन हो।

विभाग ने अपनी सफाई में कहा है कि सामान्य स्कूलों और उर्दू स्कूलों के लिये अलग-अलग अधिसूचनाएं जारी की गई हैं।

प्रेस रिलीज़ के अनुसार, पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी कुल छुट्टियों (60 दिनों) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। महापूरुषों की जयंतियों में पहले की तरह ही स्कूलों में उनका जन्मदिवस मनाया जायेगा।

इसके अलावा सम्राट अशोक जयंती, महावीर जयंती, वीर कुंवर सिंह जयंती इत्यादि सभी जयंतियां इस वर्ष गर्मियों की छुट्टी के दौरान पड़ रही हैं, इसलिए 2024 वाली अवकाश तालिका में इन छुट्टियों को अलग से इंगित नहीं किया गया है। विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि इन जयंतियों के अवसर पर विद्यालय बंद रहेंगे।

सरकार का पक्ष

बिहार सरकार में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि ऐसे फैसले मंत्री स्तर पर नहीं होते हैं, बल्कि नीचे स्तर के अधिकारियों द्वारा लिये जाते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह से पहले भी छुट्टी के आदेश के संबंध में मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेतप कर उसमें सुधार किया था, इस बार भी मुख्यमंत्री निश्चित रूप से इसमें हस्तक्षेप करेंगे और बहुसंख्यक भावनाओं को देखते हुए इसमें सुधार कर दिया जायेगा।

वहीं, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर से जब एक निजी समाचार चैनल द्वारा इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनको इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।

पहले भी छुट्टियों पर घिरी सरकार

इसी साल अगस्त महीने में छुट्टियों के संबंध में नीतीश सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। दरअसल, विभाग ने अगस्त महीने के बाद होने वाले अवकाशों में कटौती की थी, जिसको लेकर सरकार की कड़ी आलोचना हुई थी।

विभाग ने सितंबर से दिसंबर महीने के बीच बची हुई 23 दिन की छुट्टियों को घटाकर 11 दिन का कर दिया था। सरकार के इस फैसले पर स्कूली शिक्षकों के साथ-साथ राजनीतिक दलों ने भी कड़ा विरोध जताया था। विरोध को देखते हुए बाद में सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया था।

विभाग की सफाई पर समाचार पत्रों ने बदले तेवर

विभाग की सफाई आने पर समाचार पत्र लिख रहे हैं कि सरकार विवाद को बढ़ता देख दूसरी अवकाश तालिका जारी कर सफाई पेश कर रही है। यानी कि विवाद के बाद सामान्य स्कूलों और उर्दू स्कूलों के लिये अलग-अलग अवकाश तालिका जारी की गई है।

दैनिक भास्कर ने 29 नवंबर को लिखा, “बिहार के सरकारी स्कूलों में शिवरात्रि, रामनवमी, जन्माष्टमी और रक्षा बंधन की छुट्टी पूर्व की भांति यथावत रहेगी… सामान्य स्कूलों और उर्दू स्कूलों के लिए शिक्षा विभाग ने छुट्टियों का अलग-अलग आदेश जारी किया है।”

लेकिन, ‘मैं मीडिया’ ने पाया कि दोनों अवकाश तालिकाएं एक ही तिथि को निर्गत की गई हैं। इसके अलावा अधिसूचना पर अंकित संचिका संख्याओं से पता चलता है कि राज्य के सामान्य स्कूलों के लिये जारी अवकाश तालिका ही पहले जारी हुई है, क्योंकि इसकी संचिका संख्या 89/2015-2693 है और उर्दू स्कूलों के लिये जारी अवकाश तालिका की संचिक संख्या 89/2015-2694 है।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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One thought on “Fact Check: क्या बिहार के स्कूलों में हिन्दू पर्वों का अवकाश घटाकर मुस्लिम त्यौहारों की छुट्टियां बढ़ा दी गई हैं?

  1. सीमांचल पोर्टल न्यूज चलाने वाले ,तुम कब से अवकाश पर अपनी रॉय रखने लगे हो ,येसा लगता है यह कंटेंट कोई मुस्लिम लेखक के द्वारा लिखा गया है । तुमको मालूम होना चाहिए कि इस देश मे सभी धर्मों को अपनी आजादी है । येसे में हिन्दू पर्व त्योहार पर हिंदुओं के बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के नाम पर बंद कर रखना उससे भावी हिंदुत्व को छिनने जैसा है । तुम जब लिखते हो। तो यह भी लिखो,
    तुमने देखा होगा कि मुस्लिम का पर्व में एक दिन भी कटौती नहीं है ,तुम अंतिम जुम्मा की बात करते हो अंतिम जुम्मा कौन पर्व है जरा बताओ।हर शुक्रवार को सभी सरकारी मुस्लिम कर्मी नवाज वैसे भी अदा करते है , लेकिन हिंदुओं का मुख्य मुख्य पर्व जो सदियों से चला आ रहा है उसमें छुट्टी काट ली गई है ये अन्याय नहीं तो ओर क्या है ?

    कि जब पर्व में छुट्टी देना है तो हिन्दू मुस्लिम सभी के पर्वो में छुट्टी दो ।अन्यथा एक भी दिन कोई भी पर्व हो चाहे वह हिन्दू का हो या मुस्लिम का छुट्टी मत दो । बच्चा को पर्व में स्कूल आना होगा तो आएगा अन्यथा नीतीश और सनकी शिक्षा सचिव के के पाठक खुद पढ़ेगा ।

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