29 दिसंबर, 2022 को दैनिक जागरण अखबार के भागलपुर संस्करण के पहले पेज पर सबसे ऊपर आठ कॉलम की खबर छपी “सीमांचल में घुसपैठियों का दबदबा, अल्पसंख्यक हिन्दू कर रहे पलायन।” इसी दिन सुबह यही खबर जागरण की वेबसाइट jagran.com पर भी छपी, शीर्षक था “सीमांचल में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का दबदबा, पलायन को मजबूर हो रहे अल्पसंख्यक हिंदू। “अगले दिन 30 दिसंबर, 2022 को इसी अखबार के पहले पेज पर सबसे ऊपर खबर छपी -“मिड डे मील के लिए सरकारी स्कूल जाते बच्चे, तालीम मदरसा में ही।” दैनिक जागरण यहीं नहीं रुकता है, 31 दिसंबर, 2022 को उसने फिर पहले पन्ने पर सबसे ऊपर खबर छापी “घुसपैठियों को भारतीय बनाने के हैं कई तरीके, मिलता राजनीतिक फायदा।” इस तरह से लगातार तीन दिन ‘सीमांचल का सच’ नाम से एक सीरीज चला कर दैनिक जागरण अखबार ने बिहार के सबसे पिछड़े इलाके को निशाना बनाया।
दैनिक जागरण अख़बार में 29 दिसंबर, 2022 को छपी खबर “सीमांचल में घुसपैठियों का दबदबा, अल्पसंख्यक हिन्दू कर रहे पलायन” में किशनगंज ज़िले के दिघलबैंक प्रखंड के पांच गाँव के नाम के साथ लिखा गया है कि इन गाँवों में पिछले कुछ वर्षों में मुस्लिम आबादी तेज़ी से बढ़ी है और इसलिए हिन्दू परिवार पलायन कर गए हैं।
दिघलबैंक का लक्ष्मीपुर
खबर में विशेष तौर पर हाईलाइट कर लिखा गया है, “लक्ष्मीपुर पंचायत के लक्ष्मीपुर गाँव में पहले लगभग 20 घर हिन्दुओं के थे, जो पलायन कर गए हैं। आज यहाँ शत प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है।” लेकिन, गांव में जाने पर पता चलता है कि लक्ष्मीपुर गाँव में कई टोले हैं। लक्ष्मीपुर गाँव के निलमोहन यादव यह सुनते ही तिलमिला उठे। पलायन करने वाले परिवारों की सूची मांगते हुए उन्होंने गाँव में हिन्दू-मुस्लिम एकजुटता के कई उदाहरण गिना दिए। आगे वह कहते हैं, “गाँव में लगभग 400 हिन्दू परिवार हैं, यहाँ तक कि भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष का घर भी इसी गाँव में है।”
लक्ष्मीपुर निवासी भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष गोपाल मोहन सिंह के घर जब हम पहुंचे, तो बुज़ुर्ग कलीमुद्दीन उनके पास कुर्सी लगाए बैठे थे। गाँव से हिन्दू परिवारों के पलायन की गोपाल मोहन को कोई जानकारी नहीं है। साथ ही उन्होंने इस बात की पुष्टि की लक्ष्मीपुर गाँव में उनके खानदान के अलावा सैकड़ों हिन्दू परिवार हैं।
इसलिए दैनिक जागरण का ये दावा कि लक्ष्मीपुर गाँव में आज शत प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है, एक झूठ है।
दिघलबैंक का फुटानीगंज
दैनिक जागरण की खबर में लिखा गया है, “सिंघिमारी पंचायत के फुटनीगंज में मुस्लिम जनसंख्या बढ़ने पर हिन्दू परिवार पोद्दार पलसा गाँव जाकर बस गए। फुटनीगंज अब शत प्रतिशत मुस्लिमों वाला गाँव है।” गाँव में जाने पर पता चलता है कि इस खबर को लिखने वाला रिपोर्टर संजय सिंह शायद ही इन गाँव में गया हो, क्योंकि ये बात हक़ीक़त से इतना परे है कि इसमें गाँव का नाम और पंचायत का नाम तक गलत है। इस इलाके में फुटनीगंज नहीं, बल्कि फुटानीगंज नाम का गाँव है, यहाँ जगह-जगह लगे बोर्ड से साफ़ है कि गाँव सतकौआ पंचायत का हिस्सा है, न कि सिंघिमारी पंचायत का। फुटानीगंज से थोड़ा आगे जाने पर फौदार पलसा नाम का एक गाँव है, इस इलाके में पोद्दार पलसा नाम का कोई गाँव नहीं है।
फुटानीगंज चौक में दुकान चलाने वाले धन सिंह बताते हैं, “गाँव में राजबंशी, ऋषिदेव और आदिवासी समाज के लगभग 100 हिन्दू परिवार हैं। उन्होंने अपनी 46 साल की उम्र में गाँव से किसी को पलायन करते नहीं देखा है।
ऋषिदेव समाज से आने वाली फुटानीगंज की झुबरी देवी बताती हैं, “गाँव में 17 ऋषिदेव परिवार हैं, किसी ने गाँव नहीं छोड़ा है। एक दो बार और पूछने पर उन्होंने बताया उनके चाचा पर एक लोन था, इसी डर से वह गाँव में नहीं रहते हैं। करीब 20 साल पहले झुबरी का एक बेटा राजकुमार दिल्ली काम करना गया था, वहीं से लापता हो गया। इन दोनों के अलावा उनके समाज के बाकी लोग गाँव में ही रहते हैं, किसी ने पलायन नहीं किया।
वहीं फौदार पलसा निवासी झोला छाप डॉक्टर कैलाश प्रसाद सिंह बताते हैं, “उनकी 65 साल की ज़िंदगी में कोई भी परिवार यहाँ फुटानीगंज से आकर नहीं बसा है।
इसलिए दैनिक जागरण का ये दावा कि फुटानीगंज गाँव में आज शत प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या है, एक झूठ है और न ही किसी हिंदू परिवार ने फुटानीगंज से फौदार पलसा पलायन किया है।
दिघलबैंक का मोहामारी व बालूबाड़ी
दैनिक जागरण अखबार में आगे लिखा गया है, “दिघलबैंक प्रखंड की धनतोला पंचायत के मोहामारी व बालूबाड़ी में कुछ वर्ष पहले तक 40-50 घर हिन्दू व 15 घर मुसलामानों के थे। आज यहाँ मुसलमानों की जनसंख्या 90-95 प्रतिशत हो गई है। अधिसंख्य हिन्दू परिवार पलायन कर गए हैं।” लेकिन, स्थानीय लोग बताते हैं कि मोहामारी गाँव में 8-9 टोले हैं, जिसमें करीब 10 हज़ार की आबादी है और इसमें 60 फीसद हिन्दू हैं।
देवनाथ सिंह के पिता फागोलाल सिंह ने करीब 90 साल पहले मोहामारी गाँव का पहला पक्का मकान बनवाया था। उनके बड़े भाई बैधनाथ सिंह के नाम पर मोहामारी गाँव के बैधनाथ सिंह टोला का नाम है। देवनाथ बताते हैं कि गाँव से किसी भी हिन्दू परिवार ने पलायन नहीं किया है, न ही गाँव में हिन्दू आबादी का अनुपात घटा है।
धनतोला पंचायत के बालूबाड़ी गाँव निवासी गणेश सिंह बताते हैं, “उनके गाँव से किसी ने पलायन नहीं किया, लेकिन उनका परिवार बड़ा है, इस वजह से रहने में थोड़ी तंगी हो रही है, इसलिए आने वाले दिनों में कहीं ज़मीन खरीद कर घर बनाना चाहते हैं।
कटिहार के बरारी प्रखंड के गाँव
दैनिक जागरण की खबर में यह भी लिखा गया है कि कटिहार के बरारी प्रखंड के गाँव कठौतिया, कालिकापुर, पश्चिम बारीनगर पंचायत के मरघिया, सुखासन, दुर्गापुर, जगदीशपुर, बरारी के टालीभट्ठा टोले के दर्जनों गावों में हिंदू अल्पसंख्यक होकर पलायन कर गए हैं।” लेकिन, इन गांवों में जाकर जब हमने स्थानीय हिन्दू परिवारों से बात की, तो हकीकत इस दावे से कोसो दूर निकली।
बरारी का सुखासन
सुखासन निवासी महेश कुमार सिंह बताते हैं कि सुखासन गाँव में करीब 90 प्रतिशत हिन्दू आबादी है। जिसने भी यहाँ हिन्दू को अल्पसंख्यक बताया है, उसे गलत सूचना मिली है।
बरारी का दुर्गापुर
दुर्गापुर पंचायत के वार्ड नंबर 1 से वार्ड सदस्य और भाजपा के नेता धर्मेंद्र सिंह से जब हमने उनके गाँव से हिन्दुओं के पलायन के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो वो लोग इस मुद्दे पर खुद ही आंदोलन करते, ऐसा कुछ भी उनकी नज़र में नहीं है। आगे उन्होंने बताया, “दुर्गापुर के जिन टोलों में हिन्दू आबादी नहीं है, वहां पहले भी हिन्दू आबादी नहीं थी।”
बरारी का जगदीशपुर
जगदीशपुर गाँव में वर्षों बाद 9 से 15 जनवरी तक भागवत कथा हुई है। स्थानीय बुज़ुर्ग रमेश चंद्र चौधरी बताते हैं कि जगदीशपुर गाँव में हिन्दू बहुसंख्यक हैं। रमेश बताते हैं, “उनके गाँव से न तो किसी ने पलायन किया है, न ही हाल के दिनों में कोई बाहर से आकर बसा है।”
बरारी का कालिकापुर और कठौतिया
दैनिक जागरण की खबर में कालिकापुर और कठौतिया गावों का ज़िक्र है। ये दोनों गाव शिशिया पंचायत का हिस्सा हैं। कालिकापुर निवासी गणेश लाल मंडल की पत्नी महावती देवी पंचायत की उपमुखिया हैं। वह बताते हैं, “कालिकापुर में 300-400 हिन्दू परिवार हैं, मुस्लिम परिवार 2-3 ही हैं। वहीँ, कठौतिया गाँव में ज़्यादातर शेरशाहबादी मुस्लिम आबादी हैं। कठौतिया के स्थानीय निवासी प्रेम लाल मढ़ैया बताते हैं कि उनका परिवार सैकड़ों साल पहले झारखण्ड से आकर यहाँ बसा था। दो पीढ़ी यहाँ गुज़र गई, लेकिन उन्हें अब तक कोई परेशानी नहीं हुई है।
बरारी का मरघिया
पश्चिम बारीनगर पंचायत के मरघिया निवासी सत्तो पासवान बताते हैं कि उनके गाँव से किसी भी हिन्दू परिवार ने पलायन नहीं किया है। उनके गाँव की लगभग आधी हिन्दू आबादी है।
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बरारी का टालीभट्ठा
बरारी नगर पंचायत अंतर्गत आने वाले टालीभट्ठा गाँव में ज़्यादार परिवार गंगा नदी के कटान से विस्थापित होकर पिछले कुछ सालों में यहाँ बसे हैं। स्थानीय गुड्डू गुप्ता बताते हैं कि टालीभट्ठा की आबादी करीब 2300 है, जिसमें हिन्दू आबादी ज़्यादा है।
इसलिए दैनिक जागरण का ये दावा कि कटिहार के बरारी प्रखंड के दर्जनों गांवों से हिंदू अल्पसंख्यक होकर पलायन कर गए हैं, एक सफेद झूठ है।
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