पिछले दिनों भाजपा के राज्य अध्यक्ष और लोकसभा सांसद संजय जायसवाल ने पत्रकारों के साथ बातचीत में जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत पर जोर देते हुए किशनगंज और अररिया जिले का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, “जनसंख्या नियंत्रण नहीं होने की वजह से आपका जो यह इलाका है, दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे करता है। केवल आपके मुकाबले यूथोपिया ही है, जहां ज्यादा बच्चे पैदा हो रहे हैं। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे किशनगंज, अररिया में पैदा हो रहे हैं । जनसंख्या का इस तरह से विस्फोट होगा, तो जाहिर बात है कि इलाके का विकास कमजोर होना ही है।”
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संजय जायसवाल ने हालांकि किसी जाति, समुदाय का नाम नहीं लिया, मगर चूंकि इन दोनों जिलों में मुस्लिम समुदाय की अच्छी खासी आबादी है, तो माना जा रहा है कि उनका इशारा इसी समुदाय की ओर था।
अररिया और किशनगंज को लेकर संजय जायसवाल के बयान के बारे में बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री व जदयू नेता श्रवण कुमार से प्रतिक्रिया ली गई, तो उन्होंने कहा, “जो यह बात कह रहे हैं, उनके कितने बच्चे हैं, उनसे पूछिए।”
जायसवाल के इस बयान पर राजद, जदयू व दीगर पार्टियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। अररिया की जिला कांग्रेस कमेटी के अल्पसंख्यक विभाग के जिला अध्यक्ष मासूम रेजा ने कहा, “बिहार में जनसंख्या दर एक समान है। लेकिन केवल दो जिलों के लिए सेलेक्टिव व भ्रामक तथ्य परोसने और सीमांचल के संप्रदाय विशेष को अपरोक्ष रूप से लगातार निशाना बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा – सेकुलर के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, “जायसवाल को पहले अपनी पार्टी के नेताओं को शादी करने की सलाह देनी चाहिए और अगर वे शादी भी करते हैं, तो अपने संबंधित जीवनसाथी को अपने साथ रखें, अगर वे अपनी आबादी बढ़ाना चाहते हैं।”
क्या कहते हैं आंकड़े
प्रजनन दर को लेकर सरकारी आंकड़े संजय जायसवाल के दावे की पोल खोलते हैं। केंद्र सरकार के साल 2001 और साल 2011 के प्रजनन दर के आंकड़े हालांकि यह जरूर बताते हैं कि बिहार का किशनगंज और अररिया देश के उन जिलों में शामिल हैं, जहां प्रजनन दर अधिक है। लेकिन, अन्य जिलों में भी कमोबेश ऐसा ही आंकड़ा है।
साल 2001 में किशनगंज में प्रजनन दर 5.3 थी, जो साल 2011 में घटकर 5.2 पर आ गई। वहीं, अररिया में प्रजनन दर साल 2001 और 2011 में 4.9 थी। इन दो जिलों के अलावा खगड़िया और कटिहार में भी तुलनात्मक तौर पर अधिक प्रजनन दर दर्ज की गई। खगड़िया में साल 2001 और साल 2011 में प्रजनन दर 5.1 दर्ज की गई थी। वहीं कटिहार में साल 2001 में प्रजनन दर 5.3 थी, जो साल 2011 में घटकर 4.9 पर आ गई।
इन दोनों वर्षों के प्रजनन के आंकड़े बताते हैं कि देश में सबसे ज्यादा प्रजनन दर मेघायल के वेस्ट खासी हिल्स और जैंतिया हिल्स जिले में थी। वेस्ट खासी हिल में प्रजनन दर साल 2011 में 5.8 दर्ज की गई। साल 2001 में यहां की प्रजनन दर 5.5 थी।
जैंतिया हिल्स और वेस्ट खासी हिल्स जिले की प्रजनन दर साल 2001 में 5.4 थी। साल 2011 में यहां की प्रजनन दर 5.6 थी। जैंतिया हिल के ये आंकड़े किशनगंज और अररिया के मुकाबले भी ज्यादा हैं।
एक अन्य रिपोर्ट, जिसे नेशनल हेल्थ मिशन, पॉलिसी यूनिट, एनआईएचएफडब्ल्यू, यूएस एड और हेल्थ पॉलिसी प्रोजेक्ट ने मिलकर तैयार की थी, बताती है कि साल 2010-2011 में किशनगंज की प्रजनन दर 4.5 और अररिया की प्रजनन दर 4.4 दर्ज की गई थी, जो शिवहर के मुकाबले कम थी। शिवहर की प्रजनन दर 4.7 दर्ज की गई थी। वहीं, सहरसा की प्रजनन दर किशनगंज की दर के बराबर थी।
एनएफएचएस-5 के आंकड़े
केंद्र सरकार कुछ अंतराल पर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) करती है और इसके आंकड़े जारी करती है। सर्वे की सबसे नई रिपोर्ट एनएफएचएस-5 है। सर्वे में राज्यवार प्रजनन दर का आंकड़ा होता है, लेकिन जिलावार आंकड़े नहीं दिये जाते हैं।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में डेविड ई. बेल फेलो आशीष गुप्ता ने नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़ों के आधार पर बिहार की जिलावार कुल प्रजनन दर निकाला है, इसके हिसाब से भी किशनगंज और अररिया की प्रजनन दर खगड़िया जिले से कम थी।
आशीष गुप्ता की तरफ से पेश किये गये आंकड़े के मुताबिक, साल 2014-2019 के बीच किशनगंज की प्रजनन दर 3.50 और अररिया की प्रजनन दर 3.9 थी जबकि खगड़िया की प्रजनन दर 4 थी।
हाल के NFHS-5 के हिसाब से ऐसा नहीं है। यह सर्वे बिहार में 2019 में हुआ। अभी इस डेटा से बिहार के ज़िलों का Total Fertility Rate, यानी कुल प्रजनन दर निकाला। pic.twitter.com/icnsbZvq8z
— Aashish Gupta (@aashishg_) September 10, 2022
उन्होंने मैं मीडिया के साथ बातचीत में कहा, “एनएफएचएस के आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। मैंने एनएफएचएस-5 के आंकड़ों का इस्तेमाल कर जिलावार प्रजनन दर निकाला।”
“ये आंकड़े निकालने के लिए मैंने वही तरीका अपनाया है, जो स्तरीय है और सरकार भी इसी तरीके से आंकड़े निकालती है,” उन्होंने कहा।
सीमांचल के बहाने ध्रुवीकरण की कोशिश
बिहार के सीमांचल के चार जिलों में किशनगंज बिहार का इकलौता जिला है, जहां मुस्लिम समुदाय की आबादी अन्य समुदायों के मुकाबले अधिक है।
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, किशनगंज की आबादी 1690400 है, जिनमें से 67.98 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है और हिन्दू समुदाय 31.43 प्रतिशत है।
वहीं, कटिहार में मुस्लिम आबादी 44.47 प्रतिशत, अररिया में 42.95 प्रतिशत और पूर्णिया में मुस्लिम आबादी 38.46 प्रतिशत है। सीमांचल के जिलों में मुस्लिम आबादी अधिक होने के चलते भाजपा सीमांचल के जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश करती रही है।
पिछले दिनों जब देश के अलग अलग हिस्सों में धर्म संसद का आयोजन कर जब हिन्दू संन्यासियों द्वारा भड़काऊ भाषण दिये गये थे, तब एक हिन्दूवादी संगठन ने किशनगंज में भी धर्म संसद आयोजित करने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में यह योजना रद्द कर दी गई।
भाजपा नेता अक्सर सीमांचल में बांग्लादेशी घुसपैठियों के घुसने का दावा करते रहे हैं। ऐसे में किशनगंज और अररिया में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा होने के बयान को भी मुस्लिम समुदाय पर हमले और ध्रुवीकरण की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
जदयू प्रवक्ता व पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि जब जनसंख्या वृद्धि दर पर उनके झूठ का पर्दाफाश हो गया, तो उन्होंने जन्म दर का हवाला देकर धार्मिक उन्माद को हवा देने की कोशिश की, लेकिन वह जायसवाल के इस दावे की भी हवा निकालेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि जायसवाल ने या तो प्रजनन दर से जुड़ी रिपोर्ट पढ़ी नहीं या फिर जान बूझकर उन्माद फैलाने के लिए खास समुदाय बाहुल्य जिले के बारे में अफवाह फैला रहे हैं।
एआईएमआईएम के नेता व विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा, “नफरत की सियासत करने वाले कुछ नेताओं ने बयान दिया है कि सीमांचल और खासकर किशनगंज व अररिया में आबादी बढ़ रही है। लेकिन इन्हें पता नहीं है कि आबादी बढ़ने की सबसे बड़ी वजह गरीबी है।”
“यहां भी गरीबी है, लेकिन उनकी नजर गरीबी पर नहीं है। वे चिढ़ाने के लिए जुमले बोल रहे हैं ताकि अमित शाह के आने से पहले नफरत की फिजा यहां बढ़ाई जाए,” उन्होंने कहा।
“भाजपा अध्यक्ष को इस बात की चिंता होनी चाहिए कि पूरे बिहार में गरीबी अशिक्षा कैसे दूर हो जो अधिक जन्म दर का सबसे बड़ा कारण है। सीमांचला को लेकर गलत आंकड़ा पेश करना यह दर्शाता है कि अमित शाह के आने की तैयारी में वह सांप्रदायिक माहौल बनाना चाहते हैं,” जन जागरण शक्ति संगठन के आशीष रंजन ने कहा।
बाद में संजय जायसवाल ने फेसबुक पर पोस्ट डालकर कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा था कि किशनगंज और अररिया में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा होते हैं।
उन्होंने पोस्ट में लिखा, “नीरज कुमार जदयू के प्रवक्ता हैं। पढ़े-लिखे पार्षद भी हैं। मैंने यह कहा था कि किशनगंज, अररिया जैसे बिहार के कुछ जिले दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले जिलों में से हैं। पर इन्होंने घुमा कर उसको जिले की जनसंख्या वृद्धि से जोड़ दिया।”
हालांकि संजय जायसवाल के बयान का जो वीडियो उपलब्ध है, उसमें वह साफ तौर पर कहते नजर आ रहे हैं कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बच्चे किशनगंज, अररिया में पैदा हो रहे हैं। जननसंख्या का इस तरह से विस्फोट होगा, तो जाहिर बात है कि इलाके का विकास कमजोर होना ही है।
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