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बिहार में एथनॉल के साथ कम्प्रेस्ड बायो गैस और सीएनजी को भी मिलेगा प्रोत्साहन

बिहार सरकार अब एथनॉल के अलावा कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) के उत्पादन को भी प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए मंत्रिपरिषद ने ‘बिहार बायोफ्यूल्स उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2023’ को मंजूरी दे दी है।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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bihar government cabinet decision

बिहार सरकार अब एथनॉल के अलावा कम्प्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) के उत्पादन को भी प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए मंत्रिपरिषद ने ‘बिहार बायोफ्यूल्स उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2023’ को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का विस्तार करना है। पहले से लागू ‘इथेनॉल प्रोत्साहन नीति-2021’ के अंतर्गत सिर्फ शत-प्रतिशत एथनॉल उत्पादन करने वाली इकाइयों को प्रोत्साहन देने का प्रावधान था।


सरकार का मानना है कि बायोफ्यूल्स के उत्पादन से जीवाश्म ईंधन के आयात पर राष्ट्रीय निर्भरता कम होगी और इससे विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी। बायोफ्यूल्स के उपयोग से पर्यावरणीय प्रदूषण कम होगा तथा किसानों को गन्ना व अनाज उत्पाद का शीघ्र भुगतान मिल सकेगा। इसके अलावा कचरा को कम्प्रेस्ड कर गैस में परिवर्तित करने की सुविधा भी प्राप्त होगी, जिससे लोगों को व्यापार के नए अवसर प्राप्त होंगे।

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इस नीति के अंतर्गत अनुदान प्राप्त करने वाले बायोफ्यूल्स इकाइयों के लिए स्टेज-1 क्लीयरेंस हेतु आवेदन की अंतिम तिथि 30 जून 2024 रखी गई है। वित्तीय प्रोत्साहन के लिए इन इकाइयों को 30 जून 2025 तक आवेदन करना होगा। यह योजना 31 मार्च 2028 तक प्रभावी रहेगी।


नई नीति के मुताबिक केवल शत-प्रतिशत इथेनॉल उत्पादन करने वाली वैसी नई ग्रीनफील्ड इकाइयां, जो ग्रीनफील्ड के रूप में स्थापित होंगी, उन इकाइयों को ही प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ-साथ कम्प्रेस्ड बायो गैस, जैव और सीएनजी उत्पादन करने वाली इकाइयां भी प्रोत्साहन की पात्र होंगी।

इकाइयों को वाणिज्यिक उत्पादन की तिथि निर्धारित होने के उपरांत ही वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके तहत वैसी नई पृथक ग्रीनफील्ड बायोफ्यूल इकाइयां विचारणीय होंगी जो जीरो लिक्विड डिस्चार्ज के मापदंडों को पूरा करते हुए स्थापित की जाएंगी। अपशिष्ट उपचार प्लांट(ईटीपी) तथा कैप्टिव पावर प्लांट की स्थापना पर होने वाले खर्च को भी स्वीकृत परियोजना लागत में शामिल किया जाएगा।

नई नीति के तहत प्लांट और मशीनरी की लागत का 15 प्रतिशत (अधिकतम पांच करोड़ रुपये) अनुमान्य होगा। आरक्षित वर्ग के उद्यमियों के लिए प्लांट और मशीनरी की लागत का 15.75 प्रतिशत (अधिकतम 5.25 करोड़ रुपये) हिस्सा प्रोत्साहन के रूप में दिया जाएगा। इस नीति के तहत दिया जाने वाला अनुदान ‘बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति-2016’ के अंतर्गत दिये जाने वाले अनुदान के अतिरिक्त होगा।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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