कटिहार जिले के बलरामपुर प्रखंड अंतर्गत सिहागांव होते हुए एक सड़क गुजरती है, जो बिहार के बलरामपुर विधानसभा क्षेत्र को पश्चिम बंगाल के दालकोला से जोड़ती है। साल 2017 की प्रलयकारी बाढ़ में सिहागांव के पास एक पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। पुल क्षतिग्रस्त होने के 5 साल बीत जाने के बाद भी दोबारा पुल का निर्माण नहीं हो पाया है, जिससे स्थानीय लोगों, स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राओं और टोटो चालकों के साथ साथ अंतरराज्यीय व्यापार करने वाले व्यापारियों को भारी परेशानी होती है। साल 2019 के आखिर में क्षतिग्रस्त पुल के बगल में एक डायवर्सन बना दिया गया, जिसमें 2020 से यातायात चालू है, लेकिन बाढ़ के समय इसके ऊपर से भी पानी बहने लगता है।
धीरेंद्र कुमार एक टोटो चालक हैं, जो पश्चिम बंगाल के दालकोला, करणदिग्घी और दोमोहना की तरफ से सवारी लेकर बिहार के बलरामपुर प्रखंड अंतर्गत तेलता जाते हैं और सवारी लेकर फिर वापस पश्चिम बंगाल की तरफ जाते हैं। धीरेन बताते हैं कि पुल दोबारा नहीं बनने की वजह से बरसात के दिनों में काफी दिक्कत होती है। जब पानी ज्यादा बढ़ जाता है, तो कुछ दिन टोटो नहीं चला पाते हैं।
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बरसात के दिनों में पानी में डूब जाता है डायवर्सन
कौसर इकबाल उर्फ नन्हे पश्चिम बंगाल की तरफ से रोजमर्रा का सामान लेकर अपने गांव आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस पुल की वजह से कई गांव के लोग प्रभावित हो रहे हैं। साल 2020 में यह डायवर्सन बना, लेकिन बरसात के दिनों में पानी में डूब जाता है, जिस वजह से बिहार के लोग बंगाल नहीं जा पाते हैं।
बंगाल सीमा से सटे कटिहार जिले के लोग भी जिला हेडक्वार्टर और प्रखंड हेडक्वार्टर से कट जाते हैं, एक दूसरा रास्ता है लेकिन इसके लिए 10 किलोमीटर घूमना पड़ता है। इससे स्कूली बच्चे सहित आम जनता को काफी परेशानी होती है।
क्षतिग्रस्त पुल के पास मछली पकड़ रहे मीना लाल साहनी कहते हैं कि बरसात के दिनों में यह रास्ता बंद रहता है, क्योंकि डायवर्सन के ऊपर कमर तक पानी हो जाता है।
क्षतिग्रस्त पुल के बारे में स्थानीय निवासी नैमुद्दीन कहते हैं कि इस बार जब बाढ़ आई थी, तो यह डायवर्सन कट गया था, दोबारा ईंट पत्थर डालकर चलने लायक बनाया गया है।
सर्वे हो गया है, डीपीआर बन रहा है : अभियंता
क्षतिग्रस्त पुल के बारे में पूछने पर सड़क निर्माण विभाग के सहायक कार्यपालक अभियंता ने बताया कि सर्वे हो गया है और डीपीआर बन रहा है। डीपीआर बनाने के बाद हम लोग इसे डिपार्टमेंट में जमा कर देंगे और फिर डिपार्टमेंटल प्रक्रिया के बाद पूल का निर्माण किया जाएगा।
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