[vc_row][vc_column][vc_column_text]बिहार विधानसभा चुनाव 2020 की तैयारियां जोरों पर है। अगले कुछ दिनों में चुनाव की तारीखों का एलान चुनाव आयोग कर देगा। वहीं चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोपों भी जारी है। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार बिहार में वर्चुअल रैली करके बिहार को तोहफो की सौगात दे रहे हैं। वो बिहार के लोगों से लगातार यह कह रहे कि बिहार में विकास हुआ है। लेकिन अगर बिहार में विकास की गंगा बही है तो तो कितनी क्या इसे मापा भी गया है। बीते 5-6 सालों में बिहार में क्या काम हुआ है। चलिए जरा इसे माप लेते हैं।
साल 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले पीएम ने बिहार को तोहफों की सौगात दी थी। घोषणा करते हुए बिहार को स्पेशल पैकेज के तौर पर PM मोदी ने 1.25 लाख करोड़ देने की बात कही थी। लेकिन इस पैकेज का हुआ कया। एक आरटीआई चुनाव के 1 साल बाद लगाई गई थी जिसमें यह बात सामने आया कि बिहार को इस पैकेज का एक पैसा नहीं मिला। इसी बात को लेकर बिहार की विपक्षी पार्टियां बेस बनाकर सत्ता पक्ष पर हमला बोलते रहते हैं। इस चुनाव में भी ऐसा ही हो रहा है। ऐसे में विपक्ष के इस सवाल को मोदी नीतीश की जोड़ी कैसे टैकल करेगी।
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तो आपको बता दें कि आंकड़ें की माने तो पीछले कई वर्षों में केंद्र सरकार ने बिहार के विकास के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। एनडीए यह दावा कर रही है कि बिहार को 1.25 लाख करोड़ से भी ज्यादा का पैकेज दिया गया है। अगर ऐसा है तो एक नज़र डाल लेते हैं।
बीते दिनों कई परियोजनाओं का काम शुरू
पीएम मोदी ने साल 2015 में बिहार के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की थी। इसमें 54 हजार 700 करोड़ रुपये 75 परियोजनाएं के लिए थे। न्यूज18 की एक रिपोर्ट की माने तो सरकारी डाटा के अनुसार साल 2020 तक इनमें से 13 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 38 परियोजनाओं पर काम चल रहा है। वहीं कई परियोजनाओं की शुरुआत होनी अभी बाकी है। इन परियोजनाओं के पूरा होने से बिहार में बाढ़ के कहर से होने वाली तबाही को कम किया जा सकेगा।
बता दें कि पीएम मोदी ने पिछले 10-12 दिनों में बिहार को 16 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा के योजनाओं का तोहफा दिया है। इसमें एलपीजी पाइप लाइन, एलपीजी बोटलिंग प्लांट, सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर सप्लाइ स्कीम और रेलवे लाइन से जुड़ी परियोजनाएं हैं।
कोसी पर बना पुल
केन्द्र सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है कोसी पर बना रेलवे पुल। 18 सितंबर को पीएम मोदी मिथिला क्षेत्र को सीमांचल से जोड़ने वाले कोसी रेल पुल का उद्घाटन किया है। इस पुल का इंतजार 86 सालों से हो रहा था। वहीं केन्द्र की ओर से पटना नगर निगम क्षेत्र अन्तर्गत बेऊर में नमामि गंगे योजना अंतर्गत जल-मल शोधन संयंत्र, सीवान नगर परिषद और छपरा नगर निगम के क्षेत्र में जलापूर्ति योजनाओं का लोकार्पण भी हुआ है। इन योजनाओं से स्थानीय लोगों को शुद्ध पेय जल चौबीसों घंटे मिल सकेगा। वहीं मुंगेर नगर निगम में ‘मुंगेर जलापूर्ति योजना’ का भी शिलान्यास किया गया। योजना के पूर्ण होने से नगर निगम क्षेत्र के निवासियों को पाइपलाइन के माध्यम से शुद्ध जल उपलब्ध होगा।
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नमामि गंगे योजना पर काम शुरू
इस चुनाव से पहले पीएम मोदी ने नमामि गंगे योजना में भी तेजी लाई है। इसके अंतर्गत मुजफ्फरपुर रिवर फ्रंट डेवलपमेंट का शिलान्यास हुआ जिससे मुजफ्फरपुर शहर के तीन घाटों (पूर्वी अखाड़ा घाट, सीढ़ी घाट, चन्दवारा घाट) का विकास होगा। ये रिवर फ्रंट पर कई प्रकार की मूलभूत सुविधाएं से लैस होगा इसमें शौचालय, इनफार्मेशन कियोस्क, चेंजिंग रूम, पाथवे, वाच टावर इत्यादि उपलब्ध होंगे। वहीं बिहार के गांवो तक हाइ स्पीड इंअरनेट की सुविधा के लिए केन्द्र ने 45 हजार गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने का एलान किया है। भागलपुर और पटना में भी पुल, पूर्णिया में एनएच विस्तार, नवादा-रजौली फोरलेन रोड, दरभंगा में एयरपोर्ट और एम्स खोलने का ऐलान बड़ी घोषणाओं में से एक है।
पटना मेट्रो का काम शुरू
नीतीश कुमार ने 2019 में मेट्रो परियोजना को हरि झंडी दिखाई थी। अब इस योजना को लेकर काम भी शुरू हो गया है। चुनाव से ठीक पहले मंगलवार यानी 22 सितंबर 2020 से पटना मेट्रो का काम शुरू हो गया है। वहीं सीएम नीतीश ने सीतामढ़ी, सीवान और वैशाली में मेडिकल कॉलेज खोलने का किया है। दर्जनभर जिलों के सदर अस्पतालों को आधुनिक सुविधा से लैस करने का भी एलान हुआ है।
इसके साथ ही पीएम ने भी 9 नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास किया है. इस प्रोजेक्ट्स की लंबाई 350 किलोमीटर है। केंद्र सरकार का मानना है कि इन परियोजनाओं के तहत बनने वाली सड़क से बिहार के विकास का रास्ता और आसान हो जाएगा।
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लेकिन बड़ी बात यह है कि यह सभी घोषणाएं चुनाव के पहले हुई हैं। ऐसे में विपक्ष इसे पॉलिटिकल स्टंट बता रहा है। इन परियोजनाओं के पूरा होने में अगले पांच सालों का वक्त लगेगा। ऐसे में सवाल है कि अगर चुनाव में सत्ता पक्ष के हित में परिणाम नहीं आए तो क्या ये विकास की योजनाएं जारी रहेंगी?
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