[vc_row][vc_column][vc_column_text]बिहार विधानसभा चुनाव से पहले दोनों तरफ के गठबंधनों में रार जारी है। एक ओर जहां एनडीए से चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी के अलग होने की खबर आ रही है तो वही महागठबंधन में भी सबकुछ सही नही है। चुनाव से पहले महागठबंधन में भी बिखराव की बात सामने आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के महागठबंधन से बाहर हाने के बाद अब रालोसपा भी अलग होने की कगार पर है। खबरें हैं कि रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का भी गठबंधन से मोह भंग हो चुका है। न्यूज18 की एक खबर की माने तो उपेन्द्र कुशवाहा कभी भी गठबंधन को अलविदा कह सकते हैं।
आपको बता दें कि पूरा मामला बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे से जुड़ा हुआ है। सीट बंटवारे को लेकर उपेंद्र कुशवाहा लगातार मांग कर रहे हैं, तेजस्वी से भी मिले। लेकिन न तो कांग्रेस के आलाकमान न ही तेजस्वी यादव ने अब तक कोई भाव उन्हें दिया है न हीं कोई आश्वासन ही उन्हें मिला है। नतीजतन उपेंद्र कुशवाहा ने भी महागठबंधन से अलग होने का फैसला कर लिया है। न्यूज 18 की एक रिपोट के अनुसार रालोसपा के प्रधान महासचिव आनंद माधव ने कहा के अभी तक टिकट को लेकर के एक बार भी आश्वासन नहीं मिला है, ऐसे में रालोसपा अलग विकल्प तो देखने के लिए स्वतंत्र है।
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उन्होंने कहा कि अगर रालोसपा कोई अलग विकल्प की तलाश करता है तो इसकी जिम्मेदारी आरजेडी और कांग्रेस की होगी। बता दें कि में भाव नहीं मिलने को लेकर उपेंद्र कुशवाहा अब अलग रणनीति बना रहे हैं। इसी पर चर्चा के लिए 24 सितंबर आपात बैठक भी बुलाई है। इस बैठक में बड़ा फैसला लिया जा सकता है। इसके अलावा रालोसपा के नेताओं को तेजस्वी द्वारा रातों-रात अपनी पार्टी में शामिल कराने से भी तेजस्वी नसाराज हैं।
क्या बनेगा तीसरा फ्रंट
एक ओर जहां बिहार एनडीए से एलजेपी के अलग होने की खबर लगभग पक्की मानी जा रही है तो वहीं दूसरी ओर महागठबंधन में रालोसपा और वीआईपी को भाव नहीं मिल रहा है। कांग्रेस और आरजेडी अभी खुद में ही सीटों के बंटवारे पर बात करने में लगी है। ऐसे में रालोसपा और वीआईपी को अपने भविष्य पर ख्तरा मंडराता हुआ दिख रहा है। ऐसे में बिहार में तीसरा मोर्चा बनने की कयास तेज है। लेकिन आपको बता दें कि इस नए फ्रंट से बिहार की राजनीति में अलग ही मोड आ सकता है। जिस तीसरे फ्रंट की बात हो रही है अगर वो बनती है तो वोटों का बिखराव होने की उम्मीद है। ऐसे में फायदा बीजेपी को होने की संभावना है
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दरअसल बीजेपी बिहार में कोई विरोधी तीसरा फ्रंट नहीं चाहती। ऐसा माना जा रहा है कि एलजेपी को बीजेपी बफर की तरह इस्तेमाल करना चाहती है। बीजेपी और एलजेपी के बीच कोई मतभेद नहीं है, यानि भविष्य की संभावनाएं बची रहेंगी। बिहार में बीजेपी नीतीश कुमार को कमजोर करने की जिस राजनीति पर काम कर रही है, उसमें तीसरे फ्रंट के बनने से उसे आधी कामयाबि तो जरूर मिलेगी।
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