बिहार का नाम आते ही अमूमन बिहार से बाहर रह रहे लोगों को लगता है कि यहां कोने कोने में भोजपुरी बोली जाती है। खैर से यह एक भ्रम है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसी भ्रम का शिकार चुनाव आयोग भी हो गया है।
बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होना है, चुनाव आयोग सभी तरह की तैयारियों में जुट गई है। जगह जगह चौक चौराहा में पेंटिंग के ज़रिए से चुनाव को लेकर लोगों को जागरूक करने में लगी है।
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किशनगंज जैसा जिला जहां की अधिकांश आबादी सूर्जापूरी, उर्दू, और हिन्दी बोलती और समझती हैं, वहां की आबादी को चुनाव आयोग भोजपुरी के माध्यम से जागरूक करने में लगी है। लेकिन क्या इस भाषा से यहां के लोगों को सरोकार है। क्या यहाँ के लोग इन शब्दों को पढ़ कर चुनाव आयोग के जागरूकता अभियान को समझ सकते हैं? इस बाबत जब हमने किशनगंज अनुमंडल पदाधिकारी शाहनवाज़ अहमद नेयाजी से बात की तो उन्होंने बताया की भोजपुरी या किसी और भाषा के जो वाइरल slogans हैं, उसे कहीं-कहीं पैंट किया गया है। उर्दू और हिन्दी में भी slogans पेंट करवाये जा रहे हैं। जब हमने उन्हें बताया की अब तक ज़्यादातर slogans भोजपुरी में ही पेंट किए गये हैं, और उर्दू का कहीं इस्तेमाल नहीं हो रहा है, तो उन्होंने सुधार करवाने की बात कही।
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