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किशनगंज के बड़ीजान में ‘आठवीं शताब्दी’ की सूर्य मूर्ति उपेक्षा का शिकार

बिहार के किशनगंज जिले में एक रहस्यमयी आठवीं शताब्दी की भगवान सूर्य की प्रतिमा उपेक्षित है। यह प्रतिमा ज़िले के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत बड़ीजान पंचायत में मौजूद है।

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उत्तर भारत, मुख्यतः बिहार और उत्तर प्रदेश वासी महापर्व छठ के मौके पर भगवान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा अर्चना होती है। देशभर में भगवान सूर्य के अनेकों प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें कोणार्क में सूर्य भगवान का मंदिर का नाम सबसे ऊपर आता है। लेकिन बिहार के किशनगंज जिले में एक रहस्यमयी आठवीं शताब्दी की भगवान सूर्य की प्रतिमा उपेक्षित है। यह प्रतिमा ज़िले के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत बड़ीजान पंचायत में मौजूद है। ग्रामीण राज्य सरकार से इस जगह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग कर रहे हैं।

badijan haat in kochadhaman block

किशनगंज के मारवाड़ी कॉलेज के प्रोफेसर व वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सजल प्रसाद बताते हैं, “अस्सी-नब्बे के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक टीम यहां आई थी। उन्होंने इस मूर्ति की आकृति को देखने के बाद कहा था कि यह आठवीं शताब्दी की मूर्ति प्रतीत होती है, हालांकि उन्होंने इसकी पुष्टि पूरी तौर पर नहीं की थी।”

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स्थानीय लोगों का मानना है कि इस क्षेत्र में कालांतर में सूर्यवंशी राजा का राज रहा होगा और इसलिए यहां के जमीन से जुताई के दौरान प्राचीन सूर्य की प्रतिमा मिली होगी।


डॉ. सजल मानते हैं, “ये सुरजापुर का इलाका है, मुग़लों के काल में सुरजापुर परगना रहा है, सुरजापुरी बोली यहाँ बोली जाती है और इसलिए मुझे लगता है किसी सूर्यवंशी राजा का यहाँ राज्य रहा होगा और सूर्य की प्रतिमा का पूजन किया जाता रहा होगा।”

सीमांचल और आसपास के इलाके को ‘सुरजापुर’ नाम से भी जाना जाता रहा है। फिलहाल, सुरजापुर नाम से किशनगंज और उत्तर दिनाजपुर सीमा पर नेशनल हाईवे 27 पर एक गाँव है। बिहार के सीमांचल और पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले में सुरजापुरी भाषा बोलने वालों की एक बड़ी आबादी रहती है।

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दैनिक जागरण में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, सात घोड़ों पर सवार यह सूर्यदेव की प्रतिमा दो भाग में है। प्रतिमा की दोनों ओर ऊषा व प्रत्यषा एवं अनुचरदंड व पंगल खड़े हैं। गले में मनकों की माला व चंद्रहार पहने हुए सूर्य की प्रतिमा आभूषणों से अलंकृत हैं। प्रतिमा की उंचाई 5 फीट 6 इंच व चौड़ाई 2 फीट 11 इंच है।

ग्रामीणों की मानें तो, गांव के एक किसान को अपने खेतों में हल चलाने के दौरान काले पत्थर की बनी सूर्य की प्रतिमा का ऊपर वाला आधा हिस्सा सबसे पहले मिला। बाद में एक प्रलयकारी बाढ़ में उसी मूर्ति के नीचे वाला दूसरा हिस्सा मिला। मूर्ति के दोनों खण्ड को जोड़ने पर सात घोड़ों पर सवार भगवान भाष्कर प्रतिमा बनी, जिसे ग्रामीणों ने गांव के ही एक पीपल के पेड़ के नीचे रख दिया और मूर्ति की पूजा अर्चना करने लगे और यह रवायत अब भी चल रही है।

स्थानीय ग्रामीण किशोरी चौधरी बताते हैं, “दो टुकड़ा दो जगह था, कमर से टूटा हुआ था। उसको हमलोग यहाँ लाए और तभी से इसकी पूजा कर रहे हैं।”

इसके अलावा गांव के अलग अलग जगहों से सूर्य मन्दिर का भी दर्जनों अवशेष मिलने से ग्रामीणों को उम्मीद है कि यहां कभी सूर्य मंदिर भी रहा होगा।

डॉ. सजल कहते हैं, “हमलोग उसे ऐसे मानते हैं की एक पूरा मंदिर रहा होगा, उसके मुंडेर और मुख्य द्वार के अवशेष यहाँ बहुत दिनों तक दिखाई पड़े। साल 1999-2000 में तत्कालीन जिला पदाधिकारी ने इस जगह को प्रबंधित एरिया बनाने का प्रस्ताव भेजने की बात कही थी और शायद उन्होंने सरकार को चिट्ठी भी लिखी थी।”

किशोरी चौधरी बताते हैं, “कई अधिकारी यहाँ आए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कुत्ता-बिल्ली ऊपर चढ़ जाता है। इसका घेराव होना चाहिए। सुरक्षित करना चाहिए।”

ग्रामीण बिकाऊ राम बताते हैं, “हमलोगों की मांग है कि बड़ीजान में पर्यटन स्थल बनना चाहिए। साथ ही एक संग्रहालय भी यहाँ बनाया जाना चाहिए, क्योंकि बहुत सारी मूर्ति यहाँ ऐसे ही बिखरी हुई है।”

स्थानीय चन्दन कुमार दास ने कहा, “मंदिर का जितना भी टुकड़ा है, सब एकत्रित कर यहाँ पर्यटन स्थल और संग्रहालय बनाया जाना चाहिए।”

surya mandir kishanganj

बबलू कुमार सिन्हा कहते हैं, “यहाँ की अवाम को प्रशासन से भरोसा उठ गया है। जो भी आता है, पूरा इतिहास पूछता है और बोलता है कि आपकी बात को आगे पहुंचाएंगे। आगे कहाँ चला जाता है, ये हमलोगों को आजतक पता नहीं चला है। हमलोगों ने इसको लेकर कई बार आवाज़ उठाया। पूर्व सांसद (स्वर्गीय) तस्लीमुद्दीन ने भी इसको लेकर प्रयास किया। एक बार इसको उठा कर भागलपुर ले जाने की बात हुई। हमलोगों ने विरोध किया। अब हमलोग नाउम्मीद हो चुके हैं। पूर्व जिला पदाधिकारी आदित्य प्रकाश भी यहाँ आए थे, अब नए डीएम आए, देखते हैं क्या होता है।”

किशनगंज जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री से पूछने पर उन्होंने कहा, “जानकारी मिली है। इसको लेकर सरकार को प्रस्ताव भेजने का प्रयास करेंगे।”

बीबीसी में छपी एक खबर के अनुसार Glasgow Museums सात चुराई हुई कलाकृतियां भारत को लौटाएगी, जिनमें बिहार के दानापुर से संबंधित एक प्राचीन भगवान सूर्य की प्रतिमा भी शामिल है। डॉ सजल कहते हैं, “यह विडम्बना है कि उसी मूर्ति से मिलती जुलती प्रतिमा की बड़ीजान में उपेक्षित हो रही है।”

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