महिला आरक्षण से संबंधित “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” बिल संसद में पास हो गया है। बिल में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई (33 %) सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है। लोकसभा में बिल को कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल ने पेश किया था। इस बिल को लोकसभा में लगभग सभी दलों का साथ मिला। लोकसभा में हुई वोटिंग में बिल के समर्थन में 454 और विरोध में दो सांसदों ने वोट किया।
ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के दोनों सांसद असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज़ जलील ने लोकसभा बिल के विरोध में वोट किया। लोकसभा में AIMIM अकेली पार्टी है, जिसने इस बिल के विरोध में वोट किया।
वहीं, राज्य सभा में एक भी वोट बिल के विरोध में नहीं पड़े।
लोकसभा में बिल के विरोध में बोलते हुए असुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल समावेशी (इन्क्लूजिव) नहीं है, और इसमें मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं को शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह बिल सिर्फ सवर्ण (उच्च जाति के) महिलाओं को फायदा पहुंचायेगा।
“मुस्लिम महिलाएं देश की आबादी का 7 फीसदी हैं। इस लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व मात्र 0.7 प्रतिशत है। हम यह भी जानते हैं कि मुस्लिम महिलाओं की सालाना ड्रॉप रेट 19 फीसदी है और अन्य महिलाओं की सिर्फ 12 फीसदी है। मुस्लिम महिलाओं की लगभग आधी से ज्यादा आबादी अशिक्षित है,” उन्होंने कहा।
हैदराबाद सांसद ओवैसी ने आगे कहा, “मोदी सरकार सिर्फ सवर्ण (उच्च जाति) महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाना चाहती है। ये लोग मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं बढ़ाना चाहते हैं। अब तक लोकसभा में 690 महिला सांसद जीतकर आई हैं, जिसमें सिर्फ 25 मुस्लिम महिला सांसद हैं। 1957, 1962, 1991 और 1999 लोकसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम महिला सांसद जीतकर नहीं आई।”
AIMIM के औरंगाबाद से सांसद इम्तियाज़ जलील ने ट्वीट कर कहा कि हम हार गए, लेकिन हमने कम से कम लड़ाई तो लड़ी। उन्होंने कहा कि ओबीसी और मुस्लिम उन 2 सांसदों को याद रखेंगे जिन्होंने बिल के विरोध में वोट किया, ना कि उन 454 सांसदों को जिन्होंने समर्थन में वोट किया।’
#WomenReservationBill We lost but at least we fought.! 454 Vs 2! OBCs and Muslims will not remember the 454 but the 2 who fought for them.! @asadowaisi pic.twitter.com/Tffrw5korg
— Imtiaz Jaleel (@imtiaz_jaleel) September 20, 2023
AIMIM ने भले ही मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं को आरक्षण में शामिल न करने को लेकर इस बिल के विरोध में वोट किया, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ओवैसी अपनी पार्टी से विधानसभा व लोकसभा में महिलाओं को टिकट देते हैं या नहीं?
देश में AIMIM की मौजूदा स्थिति
पार्टी के गृह राज्य तेलंगाना में AIMIM के सात विधायक हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 8 प्रत्याशियों को टिकट दिया, जिसमें सभी पुरूष प्रत्याशी थे। मलकपेट, नम्पल्ली, करवन, चारमीनार, चंद्रयुंगट्टा, याकूतपूरा और भद्रपूरा सीटों से पार्टी जीतने में कामयाब रही थी। जबकि राजेंद्रनगर से AIMIM को हार का मुंह देखना पड़ा था।
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चुनाव में मलकपेट से अहमद बिन अब्दुल्ला, नम्पल्ली से जाफर हुसैन, करवन से कौसर मोहिउद्दीन, चारमीनार से मुमताज अहमद खान, चंद्रयुंगट्टा से अकबरुद्दीन ओवैसी, याकूतपूरा से सैयद अहमद पाशा कादरी और भद्रपूरा से मो. मोअज्जम खान AIMIM की टिकट पर चुनाव लड़कर जीते।
बिहार और महाराष्ट्र में भी यही हाल
AIMIM के अब तक तीन राज्यों में विधायक बने हैं। पार्टी के गृह राज्य तेलंगाना के अलावा बिहार और महाराष्ट्र में भी AIMIM के विधायक रहे हैं। बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी के पांच विधायक जीतने में कामयाब हुए। AIMIM ने पूर्णिया के बायसी तथा अमौर, किशनगंज के बहादुरगंज तथा कोचाधामन और अररिया के जोकिहाट से जीतने में सफलता प्राप्त की। हालांकि बाद में AIMIM के चार विधायक, पार्टी का दामन छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल में चले गए।
इसके अलावा महाराष्ट्र से भी AIMIM के अब तक चार विधायक रहे हैं। वर्तमान में औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से इम्तियाज़ जलील सांसद भी हैं। महाराष्ट्र में 2014 और 2019 विधान सभा चुनाव में AIMIM के दो-दो विधायक जीते। 2014 विधानसभा चुनाव में बायकुला से वारिस पठान और औरंगाबाद सेंट्रल से इम्तियाज़ जलील (औरंगाबाद से वर्तमान सांसद) जीते। उसी तरह 2019 में मालेगांव सेंट्रल से मो. इस्माईल अब्दुल खालिक और धुले सिटी से शाह फारूक विधायक बने। गौर करने वाली बात यह है कि बिहार और महाराष्ट्र में भी पार्टी टिकट पर कोई महिला चुन कर विधानसभा नहीं गईं।
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
हैदराबाद के एक वरिष्ठ पत्रकार नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि यह AIMIM की हिपोक्रिसी (बहाना) है। उन्होंने बताया कि AIMIM की टिकट पर कभी भी कोई महिला विधायक जीतकर नहीं आई है। इसलिए यह कहना कि मुस्लिम या ओबीसी महिलाओं को आरक्षण में शामिल नहीं करने की वजह से AIMIM ने इस बिल के विरोध में वोट किया, सही नहीं है।
हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी महिलाओं को शिक्षित करने और उनको अपनी पसंद से शादी करने देने की वकालत जरूर करते रहे हैं। वह कहते हैं कि पार्टी की टिकट पर कई महिला प्रत्याशी आरक्षित सीटों से काउंसिलर की पद पर कामयाब रही हैं, लेकिन असल प्रतिनिधित्व तब माना जायेगा, जब पार्टी की टिकट से कोई महिला विधायक या सांसद जीतकर लोकसभा या विधानसभा पहुंचेगी।
AIMIM ने पेश की सफाई
AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और पूर्णिया के अमौर से विधायक अख्तरुल ईमान ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि पार्टी महिला आरक्षण के विरोध में नहीं है, लेकिन उनकी मांग है कि आरक्षण में मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं को भी शामिल किया जाये। उन्होंने बताया कि देश में सबसे दयनीय स्थिति मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं की है, चाहे वो राजनीतिक हिस्सेदारी की बात हो या फिर शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति की बात हो।
“देश की आजादी से लेकर अबतक मात्र 4 फीसद मुस्लिम महिलाएं ही सांसद पहुंच पाई हैं। वर्तमान सदन में सिर्फ दो मुस्लिम महिला सांसद हैं। चूंकि मुसलमानों का शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर बहुत दयनीय है, इसलिए इनको रिजर्वेशन मिलना चाहिए। मुस्लिम और ओबीसी महिलाओं को आरक्षण में शामिल किये बिना जो समाज के पिछड़े लोग हैं, उनका नुकसान होगा,” उन्होंने कहा।
AIMIM ने इस बिल के विरोध अकेले करने के बजाय दूसरे दलों से बात करने की कोशिश की? इसके जवाब में अख्तरुल ईमान कहते हैं कि जाहिर है यह बात कहने की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि माइनॉरिटी वोट के सभी पार्टी सौदागरी करते रहते हैं, लेकिन माइनॉरिटी के रिजर्वेशन के लिए कोई भी पार्टी मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है। ईमान ने आगे कहा कि इस मामले में सभी पार्टियों को वकालत करनी चाहिए और उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि माइनॉरिटी समुदाय बिना रिजर्वेशन के कैसे आगे बढ़ पायेगा?
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