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सक्षमता परीक्षा के विरोध में क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं बिहार के नियोजित शिक्षक

बिहार के अधिकतर शिक्षक यूनियन ‘बिहार शिक्षक एकता मंच’ के बैनर तले सक्षमता परीक्षा का विरोध कर रहे हैं। इसमें बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ और नवनियुक्त माध्यमकि शिक्षक संघ समेत कई अन्य शिक्षक यूनियन भी शामिल हैं।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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जब से बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की अध्यक्षता में बनी अनुशंसा कमेटी ने सक्षमता परीक्षा से संबंधित अपनी रिपोर्ट सौंपी है, तब से बिहार के नियोजित शिक्षकों में बैचेनी बढ़ गई है। नियोजित शिक्षक, विभाग के इस कदम का खुल कर विरोध कर रहे हैं।

दरअसल, कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में अनुशंसा की है कि जो नियोजित शिक्षक तीन अवसर के बाद भी सक्षमता परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होंगे, उनकी नौकरी खत्म हो जायेगी। बताते चलें कि 1 फरवरी को शिक्षा विभाग ने इस बिंदू पर निर्णय लेने के लिये केके पाठक की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था।

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर, प्राथमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव, राज्य शिक्षा शोध व प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक आर. सज्जन सदस्य के तौर पर और माध्यमिक शिक्षा के निदेशक सदस्य-सचिव के तौर पर इस कमेटी का हिस्सा थे।


उल्लेखनीय है कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिलाने संबंधी सक्षमता परीक्षा 26 फरवरी से 13 मार्च के बीच होगी। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) इस परीक्षा का आयोजन करेगी।

जब से यह बात शिक्षकों को पता चली है कि सक्षमता परीक्षा में फेल होने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जायेगी, तब से शिक्षकों में विभाग के खिलाफ रोष व्याप्त है।

बिहार के अधिकतर शिक्षक यूनियन ‘बिहार शिक्षक एकता मंच’ के बैनर तले सक्षमता परीक्षा का विरोध कर रहे हैं। इसमें बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ और नवनियुक्त माध्यमकि शिक्षक संघ समेत कई अन्य शिक्षक यूनियन भी शामिल हैं।

नियोजित शिक्षकों ने सोमवार को पूरे बिहार में ‘बिहार शिक्षक एकता मंच’ के बैनर तले प्रखंड स्तर पर सक्षमता परीक्षा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कमेटी के आदेश की प्रतियां जलाईं। शिक्षक 10 फरवरी को पूरे बिहार में सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस भी निकालेंगे।

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इसके अतिरिक्त शिक्षक संघ 13 फरवरी को बिहार विधानसभा का घेराव करने का ऐलान कर चुके हैं। शिक्षक संघों के ऐलान के बाद विभाग हरकत में आ गया है। विभाग ने सभी जिला पदाधिकारियों को पत्र लिखकर ऐसे शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है, जो धरना प्रदर्शन में भाग लेंगे।

बताते चलें कि बिहार में तक़रीबन पौने चार लाख नियोजित शिक्षक कार्यरत हैं। ये शिक्षक प्राथमिक से लेकर प्लस टू स्कूलों में नियुक्त हैं। ये नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा हासिल करने और ‘समान काम का समान वेतन’ के लिये कई बार आंदोलन कर चुके हैं।

फेल होने पर नौकरी खत्म करने का विरोध कर रहे शिक्षक

मैं मीडिया ने सक्षमता परीक्षा का विरोध कर रहे कई नियोजित शिक्षकों से बात कर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया।

कई शिक्षकों ने बताया कि उनको सक्षमता परीक्षा से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इस परीक्षा में फेल करने पर जो नौकरी खत्म करने की बात कही जा रही है, वो सरासर अन्याय है।

शिक्षकों ने बताया कि शिक्षा विभाग ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली-2023 में यह साफ-साफ लिखा है कि जो शिक्षक सक्षमता परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होंगे, वो स्थानीय निकाय शिक्षक के रूप में बने रहेंगे, लेकिन अब विभाग अपनी बात पर क़ायम नहीं है।

टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने मैं मीडिया को बताया कि विभाग का यह कदम मनमाना और गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि उनको विभाग की मंशा ठीक नहीं लग रही है।

“विभाग की मंशा हम लोगों को ठीक नहीं लग रही है। परीक्षा लेनी थी राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिये। लेकिन अब परीक्षा का प्रारूप ऐसा बना दिया गया है कि नौकरी में बने रहना है तो परीक्षा दीजिये वरना आपको नौकरी से निकाल देंगे,” उन्होंने कहा।

अमित विक्रम ने आगे कहा, “किसी भी नौकरी में ऐसा प्रावधान नहीं होता है कि 20 साल नौकरी करने के बाद आपको निकाल दिया जाये। यह सब शिक्षकों को बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है। यह असंवैधानिक नियम है।”

उन्होंने कहा कि विभाग के इस कदम के खिलाफ वे लोग आंदोलन की घोषणा कर चुके हैं और जब तक यह वापस नहीं होता है शिक्षकों का आंदोलन जारी रहेगा।

ज्ञात हो कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिये बिहार सरकार ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली-2023 को मंजूरी दी है। नियमावली के खंड 3 (3) में यह बात दर्ज है कि वैसे “स्थानीय निकाय” शिक्षक जो सक्षमता परीक्षा में शामिल या उत्तीर्ण नहीं होते हैं, वे “स्थानीय निकाय” शिक्षक के रूप में बने रहेंगे।

तीन जिलों के विकल्प पर भड़के शिक्षक

नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा में भाग लेने के लिये बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन भरना होगा।

इसके लिये ऑनलाइन आवेदन 1 फरवरी से शुरू हो चुका है और आवेदन की अंतिम तिथि 15 फरवरी निर्धारित है। ऑनलाइन आवेदन के समय शिक्षकों से तीन जिलों का विकल्प मांगा जा रहा है। शिक्षक विभाग द्वारा तीन विकल्प मांगने का भी विरोध कर रहे हैं।

परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के किशनगंज जिला महासचिव अरूण ठाकुर ने मैं मीडिया को बताया कि शिक्षक 15-20 साल से एक स्कूल में पढ़ा रहे हैं और अब उनसे विभाग कह रहा है कि सक्षमता परीक्षा का फार्म भरते समय उनको तीन जिलों का विकल्प देना होगा, जो कि बहुत गलत है।

उन्होंने कहा कि कि ऐसी नई-नई नीति लाकर बिहार सरकार शिक्षकों को प्रताड़ित और शोषित कर रही है।

“हमलोग सरकार के इस कदम का बहिष्कार करते हैं और सरकार हमारी बात नहीं सुनेगी तो हमलोग भी परीक्षा देने के लिये बाध्य नहीं हैं। हम परीक्षा में नहीं बैठेंगे विभाग को जो कार्रवाई करना है करे,” उन्होंने कहा।

अरुण ने आगे कहा, “जिन शिक्षकों ने अपनी सेवा सरकार को 15-20 साल युवा अवस्था में दी, आज उनकी उम्र वो नहीं रही कि वो दूसरे काम काज कर पायें। क्या 15-20 साल तक सेवा करने वाले शिक्षकों को आप सेवा मुक्त कर देंगे?”

अरूण ने शिक्षा विभाग से अपील करते हुए कहा कि फॉर्म भरते समय तीन जिलों के विकल्प की जगह जिस जिले में शिक्षक नियुक्त हैं, वहां के तीन प्रखंडों का विकल्प उनसे मांगा जाये।

“ऑफलाइन मोड में हो सक्षमता परीक्षा”

शिक्षकों की दूसरी आपत्ति सक्षमता परीक्षा को ऑनलाइन मोड (कंप्यूटर आधारित परीक्षा) में आयोजित करने से है। शिक्षकों ने बताया कि कई शिक्षक ऐसे हैं, जिनकी आयु 40-50 वर्ष के बीच में है और इस उम्र में वो कंप्यूटर चलाने में सक्षम नहीं हैं।

किशनगंज स्थित एक स्कूल में कार्यरत एक महिला शिक्षिका ने विभाग के इस फैसले को अव्यावहारिक बताया।

नाम नहीं छापने की शर्त पर महिला शिक्षिका ने मैं मीडिया को बताया कि विभाग कहता है कि शिक्षक स्कूल में पढ़ाने के बाद जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में कंप्यूटर संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन महिला शिक्षकों के लिये ऐसा कर पाना संभव नहीं है।

“अभी 40 और 50 साल की दहलीज़ पर जो शिक्षक हैं वो सिंपल मोबाईल फोन चलाते हैं। स्मार्ट फोन भी उन्हें अच्छे से चलाना नहीं आता है। क्या आपको लगता है कि 10-15 दिनों में वो माउस के कर्सर को ठीक तरह से संभाल पायेंगे?,” उन्होंने पूछा।

उन्होंने आगे कहा, “इसके लिये जिलों में यह व्यवस्था की गई है कि शाम साढ़े 7 बजे से 9 बजे तक डायट सेंटर में आकर आप कंप्यूटर की प्रैक्टिस कर सकते हैं। मैं दूसरे जिले की बात नहीं कहूंगी, किशनगंज की बात कहूंगी। कौन सी महिला साढ़े 7 बजे से 9 बजे तक उस डायट सेंटर में जाकर प्रैक्टिस करेगी।”

परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ के किशनगंज जिला महासचिव अरुण ठाकुर ने कहा कि प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में कंप्यूटर का कोई साधन ही नहीं है और उन शिक्षकों से विभाग कह रहा है कि उनको ऑनलाइन मोड में परीक्षा देनी होगी। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार नियोजित शिक्षकों को हटाने के लिये यह सोची समझी साजिश कर रही है।

अरुण ने कहा कि नियोजित शिक्षक परीक्षा से नहीं डरते हैं और सरकार अपनी नीति में बदलाव करेगी तो वे लोग परीक्षा देने के लिये तैयार हैं। उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षक हर तरह की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर यहां तक पहुंचे हैं, चाहे वो दक्षता परीक्षा हो या फिर प्रशिक्षण संबधी परीक्षा।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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