अररिया जिले के भरगामा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत खजुरी वार्ड संख्या 7 में एक मुस्लिम परिवार बीते कई दशकों से हिंदू मोहल्ले में रह रहा है। इस परिवार के मुखिया हैं, अब्दुल रहमान। अब्दुल रहमान कवि, संगीतकार, भजन, ग़ज़ल व कव्वाली गायक हैं। वह आकाशवाणी और दूरदर्शन पर भी अपने संगीत कार्यक्रम पेश कर चुके हैं। मस्जिद में इमामत के साथ ही सत्संग में भजन गाने वाले अब्दुल रहमान समाज में हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम करते रहे हैं।
फिलहाल, अब्दुर्रहमान को पैरालाइसिस है, इसलिए वह अपने जीवन के बारे में ठीक तरह बता नहीं सकते, लेकिन उनकी जिंदगी के शानदार सफर के बारे में बताने के लिए उनके ढेरों हिंदू मित्र व शुभचिंतक मौजूद हैं।
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जेपी आंदोलन में अब्दुल रहमान के साथ रहे वचन देव मोदी अपने मित्र रहमान के घर उनका हाल चाल पूछने आए हुए हैं। वह बताते हैं कि रहमान एक मिलनसार इंसान होने के साथ-साथ बेहतरीन कलाकार भी हैं।
स्थानीय युवक प्रमोद कुमार यादव बताते हैं कि रहमान साहब का जन्म 1937 में भरगामा प्रखंड के भटगामा में हुआ था, जिसके बाद सन 1962 में वह खजूरी आकर बस गए। प्रमोद ने आगे बताया कि अब्दुल रहमान ने यहां मंदिर बनाने में भी बहुत बड़ा सहयोग दिया था।
अनिल कुमार यादव बताते हैं कि जब भी कहीं नाट्य कार्यक्रम होता था, उसमें अब्दुल रहमान जरूर पहुंचते थे और अगर किसी प्रोग्राम में वह नहीं पहुंचते तो वहां इनकी कमी महसूस होती थी और हमारा जोश कम हो जाता था।
भुमेश्वर प्रसाद यादव रिटायर्ड पोस्ट मास्टर हैं। अब्दुल रहमान के बारे में बताते हुए कहते हैं कि किसी भी सामाजिक काम में उनकी पूछ जरूर होती थी। एक बार का किस्सा बताते हुए भुवनेश्वर प्रसाद कहते हैं कि अब्दुल रहमान को हिंदू मुस्लिम एकता पर भाषण देने के लिए राम मनोहर लोहिया ने भी आशीर्वाद दिया था।
अब्दुल रहमान के पुत्र इरफान ने बताया कि उनके पिता के महान लेखक फणीश्वर नाथ रेणु के साथ अच्छे संबंध थे। साथ ही वह अच्छे कवि भी थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई के साथ कवि सम्मेलन में भी भाग लिया है। वह आगे बताते हैं कि उनके पिता ने यहां एक मस्जिद भी बनाई है जिसमें इमामत किया करते थे और साथ ही वे सत्संग में जाकर मंत्र वगैरह भी पढ़ते थे।
इरफान आगे दुख जाहिर करते हुए कहते हैं कि जब से उनके पिता अस्वस्थ हुए हैं तब से कोई भी एमएलए एमपी उनका हाल पूछने तक नहीं आया, जबकि पहले उनके बिना कोई कार्यक्रम नहीं होता था।
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