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अररिया : मुस्लिमों के पोखर में होती है छठ पूजा, हिंदू-मुस्लिम एकता की दिखती है अनोखी मिसाल

स्थानीय लोग बताते हैं कि जब से यहां आबादी बसनी शुरू हुई है, तब से लोग इस तालाब के किनारे छठ पूजा कर रहे हैं। मो. मारूफ के पूर्वजों के जमाने से ही यहां पर लोग छठ पर्व मना रहे हैं। वार्ड नंबर दो के ही पिंकू चौधरी ने गर्व के साथ बताया कि पोखर के मालिक मारूफ मुस्लिम होने के बावजूद पूरे छठ में तन मन से सहयोग करते हैं।

ved prakash Reported By Ved Prakash |
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chhath puja is held in the pond of muslims in araria

देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच दूरी बढ़ाने के लिए चाहे जितनी भी राजनीति की जा रही हो, लेकिन हकीकत में हिंदू और मुस्लिम एकता की जड़ें इतनी मजबूत हैं कि कोई भी राजनीति इस एकता को कमज़ोर नहीं कर सकती है। अगर नफरती टीवी चैनलों के प्रोपेगैंडा को छोड़ दें तो आज भी देश में सभी समुदाय के लोग मिलजुल कर रह रहे हैं। देश में समय-समय पर हिंदू-मुस्लिम एकता की खबरें लगातार मीडिया में आती रहती हैं। ऐसी ही हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी मिसाल बिहार के अररिया में देखने को मिली है, जहां मुस्लिम व्यक्ति के तालाब के किनारे हर साल छठ पूजा की जाती है।


आपको बता दें कि अररिया नगर परिषद क्षेत्र की वार्ड संख्या दो में मौजूद यह तालाब पूरे अररिया आरएस के लोगों के लिए छठ मनाने का प्रमुख स्थल है। यहां लोग पिछले 30-40 सालों से मुस्लिम समुदाय के पोखर में छठ पूजा करते आ रहे हैं। पोखर का मालिक मो. मारूफ हैं। स्थानीय युवक गोलू कुमार राय ने बताया कि मारूफ स्वभाव के बहुत अच्छे हैं और हर तरह के सामाजिक कार्य में लोगों का सहयोग करते हैं।

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स्थानीय लोग बताते हैं कि जब से यहां आबादी बसनी शुरू हुई है, तब से लोग इस तालाब के किनारे छठ पूजा कर रहे हैं। मो. मारूफ के पूर्वजों के जमाने से ही यहां पर लोग छठ पर्व मना रहे हैं। वार्ड नंबर दो के ही पिंकू चौधरी ने गर्व के साथ बताया कि पोखर के मालिक मारूफ मुस्लिम होने के बावजूद पूरे छठ में तन मन से सहयोग करते हैं।


पोखर के किनारे हरे-भरे पेड़ लगे हैं और बगल में भगवान विष्णु का छोटा सा मंदिर भी बना हुआ है, जहां पर लोग पूजा-अर्चना करते हैं। 13 साल से तालाब की रखवाली करने वाले बुजुर्ग बुधन दास बताते हैं कि मारूफ ने न सिर्फ हिंदूओं को अपने तालाब के किनारे छठ पर्व मनाने की छूट दे रखी है, बल्कि उन्होंने विष्णु मंदिर निर्माण के लिए एक डिसमिल जमीन भी दान में दी है।

तालाब के मालिक मो. मारूफ ने बताया कि जब से उन्होंने होश संभाला है तब से अपने तालाब के किनारे पर लोगों को छठ पर्व मनाते हुए देखा है। वह बताते हैं कि उनके तालाब के किनारे छठ पर्व मनाने की परंपरा उनके पूर्वजों के समय से ही चली आ रही है। साफ-सफाई से लेकर हर तरह की मदद के लिए वह हमेशा तैयार रहते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता व अररिया नगर परिषद के पूर्व मुख्य पार्षद रितेश राय ने मैं मीडिया को फोन पर बताया कि अररिया में हिंदू मुस्लिम एकता की यह अनोखी मिसाल है। यह बड़ी खुशी की बात है कि मो. मारूफ के द्वारा छठ में लोगों की मदद की जाती है और उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए जमीन भी दान में दी है। रितेश राय ने आगे बताया कि उनके कार्यकाल में तालाब तक जाने के लिए एक पीसीसी सड़क का निर्माण कराया गया था ताकि छठ व्रतियों को जाने-आने में किसी भी प्रकार की दिक्कत ना हो।

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अररिया में जन्मे वेद प्रकाश ने सर्वप्रथम दैनिक हिंदुस्तान कार्यालय में 2008 में फोटो भेजने का काम किया हालांकि उस वक्त पत्रकारिता से नहीं जुड़े थे। 2016 में डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में कदम रखा। सीमांचल में आने वाली बाढ़ की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं।

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