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Chandrayaan-3 की सफलता में शामिल कटिहार के इसरो साइंटिस्ट मो. साबिर आलम

चंद्रयान 3 मिशन की सफलता में देश के अलग अलग हिस्सों से जिन सैकड़ों वैज्ञानिकों ने अपना योगदान दिया उनमें से एक कटिहार के मोहम्मद साबिर आलम भी हैं। बारसोई प्रखंड क्षेत्र के चापाखोर पंचायत अंतर्गत छोगड़ा गांव निवासी 25 वर्षीय वैज्ञानिक साबीर आलम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो में ‘साइंटिस्ट इंजीनियर’ के पद पर कार्यरत हैं।

Md Minarul Reported By Md Minarul |
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अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया। धरती से करीब 3 लाख 84 हज़ार किलोमीटर दूर चांद की सतह पर जब चंद्रयान ने कदम रखा तो पूरा देश जश्न में डूब गया। बीते 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेश सेंटर से चंद्रयान 3 मिशन को लॉन्च किया गया था। 40 दिनों बाद चंद्रयान 3 चांद की सतह को छूने वाला पहला लुनर मिशन बन गया।

चंद्रयान 3 मिशन की सफलता में देश के अलग अलग हिस्सों से जिन सैकड़ों वैज्ञानिकों ने अपना योगदान दिया उनमें से एक कटिहार के मोहम्मद साबिर आलम भी हैं। बारसोई प्रखंड क्षेत्र के चापाखोर पंचायत अंतर्गत छोगड़ा गांव निवासी 25 वर्षीय वैज्ञानिक साबीर आलम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो में ‘साइंटिस्ट इंजीनियर’ के पद पर कार्यरत हैं।

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साबिर आलम ने कटिहार जवाहर नवोदय विद्यालय से दसवीं पास करने के बाद पांडिचेरी नवोदय विद्यालय से बारहवीं की पढ़ाई की। वर्ष 2014 में मोहम्मद साबिर ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी से aerospace engineering में बीटेक की डिग्री हासिल की जिसके बाद 2018 में उनका इसरो में चयन हो गया।


बेटे की इस कामियाबी से परिवार वाले बेहद खुश हैं और घर पर जश्न का माहौल है। साबिर के पिता मोहम्मद हारून रशीद सेवानिवृत शिक्षक हैं। उन्होंने कहा कि इतनी कम आयु में उनके बेटे की इस बड़ी कामयाबी से वह बेहद गौरवान्वित हैं। उन्होंने आगे कहा कि उनके बेटे ने छोटे से गांव से निकलकर न केवल उनका बल्कि राज्य और पूरे देश का नाम रोशन किया है।

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मो. मिनारूल कटिहार के रहने वाले हैं। बारसोई की सभी ख़बरों पर नजर रखते हैं।

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