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BIHAR STET परीक्षा: प्रश्नों की उत्तर कुंजी में कई गलतियां, नाखुश अभ्यर्थी ने कहा- “चुनावी खेल खेला जा रहा”

बीएसईबी ने परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों की उत्तर कुंजी जारी की, जिसमें काफी सवाल उठ रहे हैं। कई विषयों के प्रश्नों के जवाब गलत पाए गए जिसके बाद अभ्यर्थियों और शिक्षा क्षेत्र के जानकारों ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की आलोचना की।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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इसी महीने, 4 सितंबर से 15 सितंबर के बीच बिहार सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड अर्थात बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) द्वारा स्टेट टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (STET) की परीक्षा ली गई थी। बीएसईबी ने परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों की उत्तर कुंजी जारी की, जिसमें काफी सवाल उठ रहे हैं। कई विषयों के प्रश्नों के जवाब गलत पाए गए जिसके बाद अभ्यर्थियों और शिक्षा क्षेत्र के जानकारों ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की आलोचना की।

बहुत सारी शिकायतें मिलने पर विज्ञान के प्रश्नों की उत्तर कुंजी को बीएसईबी ने अपनी वेबसाइट से हटा दिया और सुधार कर दोबारा उपलोड किया है। STET परीक्षा के परिणाम इसी महीने के आखिर में आने के कयास लगाए जा रहे हैं। परिणाम आने से पहले अगर कोई अभ्यर्थी आपत्ति दर्ज करने के लिए आवेदन करता है तो उसे 50 रुपये की फीस देनी होगी।

“कई प्रश्नों के विकल्प ही नहीं थे”

जवाब कुंजी में गलत उत्तर छापने पर कई लोग विभाग की आलोचना कर रहे हैं। अभ्यर्थियों ने प्रश्न में दिए गए विकल्पों पर भी सवाल उठाए हैं। किशनगंज जिला के पोठिया प्रखंड निवासी मोहममद मश्कूर आलम इस बार STET परीक्षा में बैठे थे जिसमें उन्होंने गणित के पेपर 1 की परीक्षा दी। मश्कूर ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि उनके पेपर की उत्तर कुंजी में 10 से 12 ग़लतियाँ मिली हैं। यहीं नहीं, परीक्षा में पूछे गए कई प्रश्नों के विकल्प सही से नहीं दिए गए थे।


bihar stet 2023 math question answer key

”सबसे बड़ी ग़लती यह थी कि 4-5 प्रश्नों के विकल्प में रूट की जगह चौकोर डब्बा बना हुआ था। हम जो गणित बनाए और जो उसका जवाब आया वह तो ऑप्शन में था ही नहीं। जैसे एक सवाल था कि पोलिनोमियल क्या है। रूट के अंदर अगर वैरिएबल है तो वह पोलिनोमियल नहीं हुआ। ऑप्शन में अंक के बाद डब्बा बना दिया गया था। बहुत से परीक्षार्थी ने या तो तुक्का मार दिया, या सवाल को हल नहीं किया।”

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मश्कूर आलम आगे कहते हैं, ”दो चार जगह जब स्क्वायर (वर्गाकार) जैसा बना हुआ डब्बा देखे तो हम अंदाज़ा लगाए कि शायद स्क्वायर आकार का मतलब रूट है। दो ऐसे सवाल थे जिनका कोई विकल्प था ही नहीं। एक दो और आदमी के साथ भी ऐसा हुआ।”

bihar stet math question

उत्तर कुंजी में हिंदी प्रश्नों के भी कई उत्तर गलत निकले

STET अभ्यर्थियों ने विज्ञान, म्यूजिक, गणित के अलावा हिंदी जैसे विषयों में गड़बड़ी की शिकायत की है। किशनगंज निवासी STET परीक्षारती कुंदन कुमार ने हिंदी पेपर 2 की परीक्षा दी थी। उन्होंने कहा कि कुल 150 प्रश्नों में बीसीईबी की वेबसाइट पर जारी की गई उत्तर कुंजी में से 6 से 7 प्रश्नों के जवाब गलत बताये गए हैं। इनमें से कुछ सवालों का उन्होंने ज़िक्र किया।

एक प्रश्न में, किस राज्य की राज्यभाषा हिंदी नहीं है, के सवाल के विकल्प में ( A) जम्मू कश्मीर (B) उत्तराखंड (C) छत्तीसगढ़ और (D) झारखंड दिये गये थे। बोर्ड के द्वारा उत्तराखंड को सही बताया गया है, जबकि सही जवाब जम्मू और कश्मीर है।

इसी तरह उन्होंने एक और प्रश्न का ज़िक्र किया जिसमें पूछा गया था कि ‘तन चितउर मन राजा कीन्हा’,पंक्ति किस काव्य ग्रन्थ की है। इसके विकल्प में ( A) मृगावती (B) पद्मावत (C) मधुमालती और (D) चित्रावली दिये गये हैं। उत्तर कुंजी में चित्रावली को सही बताया गया है, लेकिन सही उत्तर पद्मावत है।

कुंदन कुमार ने कई ऐसे प्रश्नों को पढ़ कर सुनाया जिसके जवान उत्तर कुंजी में गलत लिखे गए थे। वह इस बात से नाराज़ हैं कि प्रश्न पर आपत्ति करने के पैसे लिए जा रहे हैं और साथ साथ आपत्ति दर्ज करने का समय भी बहुत सीमित रखा गया है। उन्होंने कहा ऐसा करने से गलत जवाब देने वाले अभ्यर्थियों को फायदा मिलेगा।

शिक्षक कुंदन कुमार से बिहार विद्यायल परीक्षा समिति के अधिकारियों से मांग की है कि गलत उत्तरों को चुनने वाले एक्सपर्ट को अविलंब हटाते हुए त्रुटियों को सुधार किया जाय। आगे उन्होंने कहा, ”ऐसे प्रश्न और उत्तर कुंजी सेट करने वाले एक्सपर्ट से आगे से परहेज किया जाए ताकि बिहार शिक्षा विभाग का नाम देश और दुनिया में बदनाम होने से बचाया जा सके।”

क्या शिक्षकों की बहाली का शोर चुनावी स्टंट है?

किशनगंज के एक और अभ्यर्थी इफ्तिखार आलम भी STET परीक्षा के संचालन से नाखुश दिखे। उन्होंने बताया कि 150 प्रश्नों में से उत्तर कुंजी में 30 से अधिक के जवाब गलत दिए गए हैं। इफ्तिखार ने इतिहास पेपर 1 की परीक्षा दी थी।

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उन्होंने कहा कि शायद आपत्ति दर्ज करने की तिथि समाप्त हो गई हो अगर समय होता भी तो वह आपत्ति दर्ज नहीं करते। वह परीक्षाओं में हो रहे कुशासन से निराश हैं।

”हम लोगों को तो उतना समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसा क्यों हो रहा है। इतने सारे सवाल का जवाब क्यों गलत दिया गया यह समझ से बाहर है। ऐसा तो नहीं हो सकता कि जो परीक्षा ले रहे हैं उनको ज्ञान नहीं है। ज्ञान तो होगा ही। फिलहाल इलेक्शन भी आ रहा है। अभी तो बहुत लंबी प्रक्रिया है। काफी परीक्षा होगी फिर कागज़ात वैरिफाई होंगे। लगता है नौकरी मिलने की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव के बाद ही होगी,” इफ्तिखार ने कहा।

वहीं चुनाव को लेकर मश्कूर आलम ने कहा कि अभी तो बस एक के बाद एक परीक्षाएं ली जा रही हैं लेकिन चुनाव से पहले कोई बहाली प्रक्रिया होगी, ऐसा लगता नहीं है।

उन्होंने कहा, ”युवाओं के गले में चुनाव का टोकन रख कर खेल खेला जाता है। अभ्यर्थियों ने महीनों और सालों तक मेहनत की। इतनी तेज़ी से परीक्षाएं ली जाती हैं लेकिन बहाली नहीं होती। कुछ महीने पहले खबरों में बिहार की बेरोज़गारी दिखाई जा रही थी, अभी हर जगह शोर है कि बिहार में बंपर बहाली हो रही है। इतनी परीक्षा हो रही है.. यह सब चुनाव तक चलता रहेगा।”

“बीएड करने वालों का कुछ हल निकाले सरकार”

मश्कूर आलम और इफ्तिखार आलम ने बीपीएससी शिक्षक बहाली परीक्षा भी दी थी लेकिन चूँकि दोनों ने बीएड पास किया है इसलिए उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार उन्हें बीपीएससी शिक्षक बहाली परीक्षा में बहाली नहीं मिलेगी। मशकूर ने आगे यह भी बताया कि बीते 20 अगस्त को लिए गए सीटेट (CTET) परीक्षा का भी परिणाम अभी नहीं आया है।

”हम लोगों ने बार बार परीक्षा दी, हर कागज़ात तैयार करवाए और फिर पता चला कि बीएड वाले का नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले बीपीएससी ने अधिसूचना निकाल दी थी। हम सब से परीक्षा ली गई लेकिन कोई फायदा नहीं। जिन लोगों ने 3, 4 साल परिश्रम करके परीक्षा पास की है उनके लिए कुछ तो हल निकालिएगा, कम से कम यह कीजिए कि जब अगली बार वैकेंसी निकलेगी चाहे एक साल या दो साल बाद ही सही, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक़ बीपीएससी शिक्षक बहाली प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकते।”

मशकूर ने आगे कहा, ”बिहार सरकार कह रही थी कि बीपीएससी टीआरई की परीक्षा कराने से शिक्षकों की गुणवत्ता बढ़ेगी, लेकिन जब 3 करोड़ 90 लाख बीएड पास अभ्यर्थी बाहर हो जाएंगे तो कट-ऑफ नीचे आ जाएगा ना। बिहार सरकार ने नोटिस निकाल कर यह भी कहा था कि अगर कैंडिडेट कम पड़े तो हम कट-ऑफ से नीचे जाकर भी बहाली करेंगे। कट-ऑफ 65%-70% से घटकर वही 40%-45% पर आएगा, तो शिक्षकों की क्वालिटी कम तो हो गई ना।”

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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