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JMCS Chit Fund Fraud: गरीबों के लाखों रुपये लूटकर जनशक्ति चिट फंड कंपनी फरार

Janshakti Multi State Multi Purpose Cooperative Society Ltd. या JMCS नाम की एक संस्था पिछले कुछ सालों से बिहार के किशनगंज ज़िले के अलग-अलग इलाकों में चिट फंड का काम कर रही थी।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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JMCS customer in kishanganj

Janshakti Multi State Multi Purpose Cooperative Society Ltd. या JMCS नाम की एक संस्था पिछले कुछ सालों से बिहार के किशनगंज ज़िले के अलग-अलग इलाकों में चिट फंड का काम कर रही थी।


उत्तराखंड में JMCS पर हो चुकी है कार्रवाई

चिट फंड स्कीम के तहत कई लोगों का समूह एक निश्चित रकम तय वक्त पर किश्तों में जमा करता है और maturity अवधि पूरी होने पर जमा राशि ब्याज सहित लौटा दी जाती है। भारत में चिट फंड का रेगुलेशन चिट फंड अधिनियम, 1982 और चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2019 द्वारा होता है।

लेकिन आए दिन कई संस्थानें चिट फंड के नाम पर फ्रॉड कर गरीब लोगों के करोड़ों रुपए लेकर फरार हो जाती हैं। पिछले पांच सालों में उत्तराखंड में JMCS के धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं। इसको लेकर दिल्ली के नांगलोई इलाके से इसी साल जनवरी में पंकज नाम के एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई है। फिर भी JMCS जिला प्रशासन को बिना किसी जानकारी के करीब तीन सालों से कोचाधामन प्रखंड क्षेत्र में सक्रिय था। अपने शुरुआती दिनों में संस्थान ने ग्राहकों को समय पर पैसे वापस कर लोगों का भरोसा जीता और अपना नेटवर्क इलाके में फैलाता गया। नौबत ये हुई कि कोचाधामन के हल्दीखोड़ा, बिशनपुर, चोपड़ा बखारी और सोंथा जैसे मार्केट के दर्जनों छोटे गरीब दुकानदार इसकी चपेट में आ गए।


न एजेंट का नाम मालूम है, न ही बैंक का

64 वर्षीय जानकी देवी हल्दीखोड़ा मार्केट में फल बेचती है। परिवार में सिर्फ एक बेटी है। इसलिए JMCS के एजेंट के पास रोज़ाना 200 रुपए जमा करती थी। छह छह महीने पूरे होने पर दो बार उनके पैसे वापस भी मिले, लेकिन इस बार एजेंट लापता है। उन्हें न एजेंट का नाम मालूम है, न ही बैंक का।

a woman customer of jmcs crying

लक्खी देवी का पति शराबी है, पांच बच्चों की परवरिश के लिए वह हल्दीखोड़ा मार्केट में पापड़ बेचती हैं। अपना घर बनाने के लिए वह रोज़ाना 100 रुपए जमा करती थी। करीब 20 दिन पहले उनके एक साल के स्कीम का maturity हो गया है, लेकिन अब एजेंट नज़र नहीं आता है।

चूड़ी की दूकान चला कर नूर जहाँ बड़ी मुश्किल से रोज़ाना में 50 रुपया जमा करती थीं। करीब 12 हज़ार जमा हुए थे, अब उन्हें नहीं मालूम उनके पैसे कैसे वापस मिलेंगे।

भूमिहीन काबुल और रूबेदा के सात बच्चे हैं, जिनमें से पांच बेटियां हैं। एक बेटा बीमार रहता है। बेटियों की शादी और बेटे के इलाज के लिए अपने खून-पसीने की कमाई का 700 रुपए रोज़ाना JMCS में जमा कर रहे थे। छः महीने में 1 लाख 33 हज़ार जमा हो गए थे, जिसमें से सिर्फ 35 हज़ार ही उन्हें वापस मिला है।

मीट दुकानदार रहमत आलम के अनुसार करीब दो साल से एक स्थानीय युवा शम्स ज़िया उर्फ़ शमशीर के पास वे लोग पैसा जमा करते थे। रहमत को JMCS संस्था का नाम तक नहीं मालूम, उन्हें बस शम्स ज़िया पर भरोसा था। लेकिन अब दो महीने से वो एजेंट से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।

‘एजेंट पर भरोसा था’

गुड्डू कुमार शाह दो साल से CSP और मेडिकल की दुकान चला रहे हैं। उन्हें चिट फंड कंपनी पर पहले से संदेह थे। इसको लेकर उन्होंने अपने परिचत स्थानीय एजेंट को आगाह भी किया, लेकिन फिर खुद इस चगुंल में फंस गए। हालाँकि, उन्होंने एजेंट पर दबाव डाल कर अपने ज़्यादातर पैसे वापस ले लिए हैं।

मछली बेचने वाले जालंधर साहनी रोज़ाना करीब 400 कमाते थे, उसमें से 200 रुपए कर रोज़ाना JMCS में जमा कर देते थे। तीन साल से यही सिलसिला चल रहा था। दो बार 36-36 हज़ार रुपए उन्हें वापस भी मिले।

ऑटो चालक दिलावर आलम को कुछ महीने से फ़ोन पर डिपाजिट का मैसेज आना बंद हो गया। उन्हें तभी संदेह हुआ। उनके करीब 32 हज़ार अभी भी JMCS के जमा हैं।

2021 से बंद है वेबसाइट

सोशल मीडिया पर खंगालने पर हमें JMCS बहादुरगंज नाम का एक फेसबुक ग्रुप मिला। इस ग्रुप से मालूम पड़ता है कि JMCS संस्था का janshaktisociety.com वेबसाइट भी था, लेकिन अभी ये वेबसाइट बंद है। Internet Archive Wayback Machine से पता चलता है कि 2013 से 2021 के बीच यह वेबसाइट सक्रिय था। 2021 के दिसंबर से वेबसाइट बंद है। पासबुक में संस्था का ऑफिस नांगलोई दिल्ली में लिखा है। पासबुक में दिए दोनों नंबर पर कॉल करने पर कोई जवाब नहीं मिलता है।

JMCS की ज़िले में सक्रियता की जानकारी जिला प्रशासन के पास भी नहीं है। कोचाधामन बीडीओ शम्स तबरेज़ से पूछने पर उन्होंने बताया कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

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उधर JMCS के एजेंट शम्स ज़िया ने माना उसने पैसा लिया है। उसने बताया कि वह सभी को पैसा करने का प्रयास कर रहा है।

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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