बिहार के गया लोकसभा क्षेत्र के लिये दोनों ही गठबंधन NDA और INDIA ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। गया सीट पर एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा(सेक्युलर) यानि हम(से) सुप्रीमो जीतनराम मांझी हैं।
वहीं, इस सीट पर विपक्षी INDIA गठबंधन के उम्मीदवार बिहार के पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत हैं। सर्वजीत को INDIA गठबंधन में शामिल राजद ने टिकट दिया है।
किसने कब जीता गया लोक सभा
1957 व 1962 में कांग्रेस के ब्रजेश्वर प्रसाद, 1967 में कांग्रेस के रामधनी दास, 1971 में जनसंघ की टिकट पर ईश्वर चौधरी, 1977 में भारतीय लोक दल की टिकट पर एक बार फिर ईश्वर चौधरी, 1980 व 1984 में कांग्रेस के रामस्वरूप राम, 1989 में जनता दल के ईश्वर चौधरी, राजेश कुमार (1991) और भागवती देवी (1996) यहां से सांसद बने।
1998 में गया सीट पर बीजेपी के कृष्ण कुमार चौधरी, 1999 में रामजी मांझी, 2004 में राजद के राजेश कुमार मांझी, 2009 व 2014 में एक बार फिर बीजेपी के हरि मांझी और 2019 में जदयू के विजय कुमार मांझी सांसद के रूप में यहां से जीते।
मतदाताओं की तादाद
गया एक आरक्षित (एससी) सीट है। इस क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र हैं- शेरघाटी, बाराचट्टी, बोधगया, गया टाउन, वज़ीरगंज और बेलागंज। गया जिले के अन्तर्गत आने वाले टेकारी, इमामगंज तथा गुरुआ विधानसभा क्षेत्र औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र और अतरी विधानसभा सीट जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।
चुनाव आयोग द्वारा जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, गया लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या 18,03,744 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की तादाद 9,36,997, महिला वोटरों की तादाद 8,66,721 और थर्ड जेंडर वोटरों की संख्या 26 है।
01.01.2024 को प्रस्तावित फाइनल रोल में वोटरों की संख्या | |||||
No. | Assembly Name | Male | Female | Third Gender | Total Voters |
226 | Sherghati | 145194 | 135313 | 10 | 280517 |
228 | Barachatti (SC) | 163246 | 151789 | 1 | 315036 |
229 | Bodh Gaya (SC) | 168732 | 155331 | 5 | 324068 |
230 | Gaya Town | 143364 | 131816 | 4 | 275184 |
232 | Belaganj | 149253 | 136943 | 4 | 286200 |
234 | Wazirganj | 167208 | 155529 | 2 | 322739 |
गया लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटर | 1803744 |
NDA उम्मीदवार जीतन राम मांझी
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा(सेक्युलर) के नेता जीतन राम मांझी मुसहर जाति से हैं। बिहार में हुई जाति आधारित गणना के अनुसार, राज्य में मुसहर जाति की आबादी 40,35,787 है, जो कि कुल आबादी का 3 प्रतिशत है।
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मांझी ने मगध विश्वविद्यालय के गया कॉलेज से बीए (ऑनर्स) किया है। चुनाव आयोग में मांझी द्वारा जमा किये गये हलफनामे के मुताबिक़, मांझी के खिलाफ गया के विभिन्न थानों में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने, पब्लिक शांति व्यवस्था बिगाड़ने और अन्य मामले में 6 मुक़दमे दर्ज हैं।
मांझी के पास विभिन्न स्रोतों से 11,32,268 रूपये की चल संपत्ति है, जिनमें एक महिन्द्रा स्कॉर्पियो, एक अम्बेसडर कार और दो गाय शामिल हैं। उनके पैतृक घर की कीमत 13,50,000 रूपये है। वहीं उनकी पत्नी के पास 5,38,310 रूपये की संपत्ति है।
मांझी का राजनीतिक सफर
मांझी वैसे तो गया और जहानाबाद ज़िले के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से सात बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन वह अब तक लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाए। उन्होंने तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा है।
1991 में गया लोकसभा सीट पर ही उनका मुक़ाबला कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार से हुआ था। लेकिन करीब 50 हज़ार वोटों से वह चुनाव हार गए। यह चुनाव मांझी ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था।
2014 के लोकसभा चुनाव में मांझी ने एक बार फिर गया सीट से अपनी किस्मत आज़माई। इस बार वह जदयू के टिकट पर लड़ रहे थे।
इस चुनाव में मांझी 1,31,828 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा के उम्मीदवार हरि मांझी यहां से जीतने में सफल रहे थे। राजद के रामजी मांझी दूसरे नंबर पर रहे।
वहीं, 2019 में मांझी एक बार फिर गया सीट से चुनावी मैदान में आए। इस चुनाव में मांझी अपनी ही पार्टी हम(से) के टिकट पर लड़े।
2019 में गया से जदयू के विजय कुमार जीते। मांझी 1,52,426 वोटों से चुनाव हार गए। विजय कुमार को 4,67,007 और मांझी को 3,14,581 वोट मिले थे।
मांझी सात बार रहे विधायक
1980 से जीतन राम मांझी बिहार विधानसभा का सभी चुनाव लड़ते आ रहे हैं। इस दौरान गया और जहानाबाद के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से वह सात बार विधायक बने।
1980-1990 तक वह दो टर्म कांग्रेस के टिकट पर फतेहपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे। फतेहपुर सीट से ही 1990 और 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनको कांग्रेस के टिकट पर हार का सामना करना पड़ा था।
लगातार दो हार के बाद मांझी ने विधानसभा सीट और पार्टी दोनों बदल लिया। 2000 का विधानसभा चुनाव उन्होंने राजद के टिकट पर बोधगया सीट से लड़ा, जिसमें उनको जीत मिली।
2005 में मांझी ने एक बार फिर विधानसभा सीट और पार्टी बदल लिया। इस वर्ष के बिहार विधानसभा का दोनों चुनाव मांझी ने जदयू के टिकट पर लड़ा। वह 2005 के फरवरी माह में हुए चुनाव में फतेहपुर सीट से और अक्टूबर में हुए चुनाव में बाराचट्टी से लड़े। फतेहपुर से वह हार गये थे, हालांकि, बाराचट्टी से वह जीतने में कामयाब रहे।
2010 का विधानसभा चुनाव मांझी ने मखदुमपुर से जदयू के टिकट पर ही लड़ा, जिसमें वह जीतने में सफल रहे।
2015 का विधानसभा चुनाव मांझी दो विधानसभा सीट इमामगंज और मख़दुमपुर से लड़े। दोनों सीट से वह खुद की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा(सेक्युलर) की टिकट पर लड़े थे।
इमामगंज से मांझी जीतने में कामयाब रहे। यहां से उन्होंने जदयू के कद्दावर नेता और बिहार विधानसभा के स्पीकर रहे उदय नारायण चौधरी को हराया। वहीं, मांझी मख़दुमपुर सीट से हार गये थे।
मांझी वर्तमान में इमामगंज सीट से ही विधायक हैं। मांझी बिहार सरकार में कई बार मंत्री बने। वह 20 मई 2014 से 20 फरवरी 2015 तक बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे।
INDIA गठबंधन के प्रत्याशी कुमार सर्वजीत
गया सीट पर INDIA गठबंधन के प्रत्याशी कुमार सर्वजीत हैं। कुमार सर्वजीत दुसाध (पासवान) जाति से हैं। जाति आधारित गणना की आंकड़ों के अनुसार, बिहार में दुसाध (पासवान) जाति की आबादी क़रीब 70 लाख है, जो बिहार की पूरी आबादी का 5.31 प्रतिशत है। उन्होंने रांची के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की पढ़ाई की है।
राष्ट्रीय जनता दल ने उनको टिकट दिया है। वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। कुमार सर्वजीत अब तक तीन बार बोधगया विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने हैं।
कुमार सर्वजीत पहली बार 2009 में बोधगया सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में जीते। उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के टिकट पर लड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विजय कुमार मांझी को हराया था।
वह 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर लोजपा के टिकट पर बोधगया से इलेक्शन में खड़े हुए। हालांकि, इस चुनाव में उनको भाजपा के श्याम देव पासवान के हाथों शिकस्त मिली।
2015 में बोधगया सीट से कुमार सर्वजीत ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा, जिसमें उनका मुक़ाबला एक बार फिर भाजपा के श्याम देव पासवान से हुआ। चुनाव में कुमार सर्वजीत की जीत हुई।
2020 के विधानसभा चुनाव में वह एक बार फिर राजद के टिकट पर बोधगया सीट से खड़े हुए। इन चुनाव में उन्होंने भाजपा के हरि मांझी को 4,708 मतों से शिकस्त दी। कुमार सर्वजीत को 80,926 और हरि मांझी को 76,218 वोट मिले थे।
बिहार की महागठबंधन वाली नीतीश कुमार सरकार में कुमार सर्वजीत पर्यटन मंत्री और कृषि मंत्री भी रहे।
पिता रह चुके हैं गया के सांसद
कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार भी राजनेता थे। राजेश कुमार 1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर गया से सांसद चुने गये थे। उन्होंने 1980, 1984, 1998 और 1999 का लोकसभा चुनाव भी गया लोकसभा सीट से लड़ा था, जिसमें उनको हार मिली थी।
वह बोधगया से 1977-80 और 1985-90 के बीच विधायक रहे। उन्होंने बोधगया सीट से 1972, 1980, 1990 और इमामगंज सीट से 2005 का बिहार विधानसभा भी चुनाव लड़ा था, जिसमें उनको हार का सामना करना पड़ा था। जनवरी 2005 में चुनाव कैंपेनिंग के दौरान ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
करोड़पति पत्नी
कुमार सर्वजीत के खिलाफ पटना के सचिवालय थाना में एक मुक़दमा दर्ज है। विभिन्न स्रोतों से चल संपत्ति के तौर पर कुमार सर्वजीत के पास 90,31,428 रूपये और उनकी पत्नी के पास 1,95,70,825 रूपये की चल संपत्ति है। वहीं, कुमार सर्वजीत ने विभिन्न बैंकों से 29,88,914 रूपये का कर्ज ले रखा है।
अचल संपत्ति में उनके नाम पर 8.19 एकड़ खेती करने योग्य ज़मीन रजिस्टर्ड है, जिसकी अनुमानित कीमत 70 लाख रूपये है। इसके अलावा उनके पास 7 करोड़ 80 लाख रूपये की कीमत की कई बिल्डिंग है। वहीं, उनकी पत्नी के नाम पर भी एक बिल्डिंग है, जिसकी कीमत 1 करोड़ 13 लाख 95 हज़ार रूपये है।
गया सीट पर 2019 का लोकसभा चुनाव
2019 के लोकसभा चुनाव में जीतनराम मांझी का मुक़ाबला जदयू के विजय कुमार से हुआ था, जिसमें मांझी की हार हुई थी। मांझी यह चुनाव खुद की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा(सेक्युलर) से लड़ रहे थे। बताते चलें कि मांझी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस समर्थित महागठबंधन के साझा उम्मीदवार थे।
2019 के चुनाव में जदयू के विजय कुमार ने मांझी को 1,52,486 वोटों से पराजित किया था। विजय कुमार को 4,67,007 और मांझी को 3,14,581 वोट प्राप्त हुए थे।
विधानसभा वार मिले वोटों की संख्या
2019 के लोकसभा चुनाव में गया लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली सभी सभी छह विधानसभा सीटों शेरघाटी, बाराचट्टी, बोधगया, गया टाउन, बेलागंज और वज़ीरगंज में जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार विजय कुमार वोटों की गिनती में हम(से) के उम्मीदवार जीतन राम मांझी से आगे थे।
शेरघाटी विधानसभा में जदयू के विजय कुमार को 70,896 और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा(सेक्युलर) के जीतनराम मांझी को 51,178 वोट मिले थे।
बाराचट्टी में जदयू को 86,413 वोट और हम(से) को 49,343 मत प्राप्त हुए थे। वहीं, बोधगया विधानसभा में जदयू 83,743 और हम(से) 56,063 वोट लाने में कामयाब रहे थे।
इसी प्रकार, गया टाउन में भी जदयू लीड में थी। यहां से जदयू को 80,869 और हम(से) को 42,014 मत प्राप्त हुए थे। बेलागंज से जदयू के उम्मीदवार विजय कुमार को 62,287 और हम(से) उम्मीदवार जीतन राम मांझी को 61,861 मत मिले।
इसी तरह, वज़ीरगंज विधानसभा में जनता दल यूनाइडेड को 81,540 और हम(से) को 53,525 मत हासिल हुए थे।
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