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“सीधे माथे पर एनकाउंटर किया गया” – कटिहार में हुई पुलिस फायरिंग पर ग्राउंड रिपोर्ट

Barsoi Police Firing: मौके पर मौजूद स्थानीय बिजली विभाग के कर्मी मोनू से लेकर प्रदर्शन में मौजूद मुखिया प्रतिनिधि, स्थानीय विधायक महबूब आलम, सभी प्रशासन से एक ही सवाल कर रहे हैं कि क्या भीड़ पर गोली चलाने के अलावा प्रशासन के पास कोई और रास्ता नहीं था?

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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बिहार के कटिहार में स्थानीय पंचायत, नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने 26 जुलाई को ‘बिजली विभाग की लचर व्यवस्था के खिलाफ’ बारसोई अनुमंडल परिसर में एक ‘जन आक्रोश रैली’ और धरना का आयोजन किया। लेकिन, देखते देखते ही एक ‘शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन’ आक्रोश रैली में तब्दील हो गया। इस दौरान पुलिस की फायरिंग में दो स्थानीय युवाओं की मौत हो गई और एक सिलीगुड़ी में इलाजरत है।

मृतकों की शिनाख्त खुर्शीद आलम और सोनू कुमार के रूप में हुई है।

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ऑटो ड्राइवर खुर्शीद पर निर्भर था परिवार

22 वर्षीय खुर्शीद आलम ऑटो चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करता था। खुर्शीद की माँ बताती हैं कि उनके छह बेटे थे जिनमें से दो बेटों की मौत कुछ साल पहले सड़क हादसे में हो गई थी। “अब और एक बेटा पुलिस की गोली का शिकार हो गया,” उन्होंने कहा।


चिखती पुकारती खुर्शीद की माँ कहती हैं, “दुनिया में मेरा अब क्या बचा है? मेरी देखरेख कौन करेगा? आखिरी दिनों में कौन साथ देगा? अपने बच्चे को बहुत ही लाड़ प्यार से पाला पोसा, कभी कोई तकलीफ नहीं दी, बच्चों को एक भी काम नहीं बताती थी। सुबह 9-10 बजे बिस्तर से उठता था। मैं उन्हें अच्छे से खिलाती पिलाती थी। एक दिन उनके पिता ने उन्हें धूप में काम करने भेज दिया, तो मैं उनसे झगड़ने लगी कि मेरे बच्चे को धूप में क्यों काम करने भेज दिए? …..मेरे बच्चे को क्यों गोली मार दिया?”

बसलगांव पंचायत निवासी खुर्शीद के पिता मुसिउर रहमान पेशे से किसान हैं। करीब एक साल पहले खुर्शीद का तलाक़ हो गया था। वह बताते हैं कि बेटा रैली में गया था। उसे उम्मीद थी कि बिजली की समस्या का कोई समाधान होगा। लेकिन, फ़ोन आया और बुरी खबर मिली।

“सब बोला रैली है। कुछ अच्छा होगा, लेकिन वहाँ गया तो गोली चला दिया,” खुर्शीद के पिता मुसिउर रहमान कहते हैं।

भाई को बचाने गया था सोनू कुमार

तीन भाइयों में मंझला सोनू कुमार ने जब प्रदर्शन में हंगामे की बात सुनी, तो वह अपने बड़े भाई को वहां से निकालने के लिए भागा। सोनू के बड़े भाई मोनू ने दो महीने पहले ही बिजली विभाग में नौकरी शुरू की थी। सोनू का भाई मोनू तो वापस घर आ गया, लेकिन सोनू की लाश वापस आई। सोनू ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था। मोनू बताते हैं कि पुलिस ने उनके सामने ही गोली चलाई थी।

“हम बिजली ऑफिस में सुविधा एजेंट के तौर पर कार्यरत हैं। धरना प्रदर्शन होते होते जन आक्रोश फ़ैल गया और भीड़ ऑफिस की तरफ आकर तोड़फोड़ करने लगी। गिट्टी पत्थर भी फेंकने लगी। उसके बाद हम अपने भाई को फ़ोन किए, तो भाई हमको वहां से निकालने आ गया। बहुत फ़ोन करने पर पुलिस फाॅर्स आयी। पुलिस ने फायरिंग की, तभी गोली मेरे भाई को लग गई,” मोनू कुमार बताते हैं।

पुलिस के अनुसार उग्र भीड़ के हमले में लगभग एक दर्जन पुलिसकर्मी तथा बिजली विभाग के कर्मियों के जख्मी होने की सूचना है। पुलिस ने ज़ख़्मी पुलिसकर्मियों की तस्वीरें भी जारी की है। मोनू बताते हैं कि कुछ पुलिस वालों की ऊँगलियो में हल्की चोट लगी, लेकिन बिजली विभाग से किसी को चोट नहीं आई है।

“सीधे गोली चलाने का क्या औचित्य है?”

मौके पर मौजूद स्थानीय बिजली विभाग के कर्मी मोनू से लेकर प्रदर्शन में मौजूद मुखिया प्रतिनिधि, स्थानीय विधायक महबूब आलम, सभी प्रशासन से एक ही सवाल कर रहे हैं कि क्या भीड़ पर गोली चलाने के अलावा प्रशासन के पास कोई और रास्ता नहीं था?

मोनू कुमार कहते हैं, “ऐसे फायरिंग नहीं करना चाहिए था। सीधे माथा पर एनकाउंटर किया गया है। कोई क्रिमिनल या आतंकवादी तो नहीं था।”

बलरामपुर के विधायक महबूब आलम पूछते हैं, “भीड़ को रोकने का जो प्रारंभिक तरीका होता है, लाठीचार्ज, आंसू गैस, वाटर कैनन, इनका इस्तेमाल न करके सीधे गोली चलाने का क्या औचित्य है?”

धरना के आयोजक

प्रदर्शन के आयोजकों में स्थानीय मुखिया संघ और नगर पंचायत के जन प्रतिनिधियों का नाम आता है। पैदल मार्च और शांतिपूर्ण धरना के लिए बारसोई अनुमंडल कार्यालय से लिखित इजाज़त ली गई थी और इससे जुड़े पत्र में आठ लोगों के हस्ताक्षर हैं। इनमें इमादपुर पंचायत के मुखिया इंजीनियर मोअज्ज़म हुसैन, बारसोई नगर पंचायत मुख्य पार्षद प्रतिनिधि रिंकू सिंह, उप मुख्य पार्षद प्रमोद कुमार साह, एकशल्ला पंचायत के मुखिया राधाकांत घोष, मुखिया प्रतिनिधि अब्दुल वदुद, मुखिया प्रतिनिधि मो. शाहनवाज़ और मो. मुजफ़्फ़र हुसैन शामिल हैं।

मुखिया इंजीनियर मोअज्ज़म हुसैन ने कुछ दिनों पहले ही ‘The Barsoi Association’ नाम से एक संगठन बनाया है। वह बिजली की समस्या को लेकर मुखर रहे हैं। मोअज्ज़म हुसैन से मैं मीडिया ने फ़ोन पर बात की। उन्होंने बताया कि फिलहाल वह घटना में घायलों का इलाज करवा रहे हैं, इसलिए क्षेत्र में नहीं हैं।

वहीं, विधायक महबूब आलम कहते हैं कि धरना के आयोजकों में भाजपा-RSS वाले और उनके विरोधी थे। हालाँकि थोड़ी देर में उन्होंने अपना बयान बदल दिया और धरना को गैर-राजनीतिक बताया।

उधर, मृतक के परिजन और स्थानीय नेता 20 से 50 लाख रुपये मुआवजा और नौकरी व साथ ही साथ कटिहार डीएम और एसपी पर कार्रवाई की मांग रहे हैं।

कटिहार एसपी जितेंद्र कुमार के अनुसार पुलिस पूरी घटना की जांच कर रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। एसपी ने आगे कहा कि CCTV फुटेज और वीडियो फुटेज के आधार पर घटना की जांच की जा रही है।

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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