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बिहार में बिक गई सरकारी स्कूल की ज़मीन, प्रशासन दंग

पूर्णिया सिटी स्थित राजकीकृत राजा पृथ्वीचंद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से जुड़ा है। गौरतलब है कि बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने दो सप्ताह पूर्व 14 सितंबर को निरीक्षण के क्रम में इस स्कूल का भी दौरा किया था।

Syed Tahseen Ali is a reporter from Purnea district Reported By Syed Tahseen Ali and Nawazish Alam |
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बिहार में आए दिन कहीं पुल चोरी हो जाता है, कहीं ट्रेन का इंजन चोरी हो जाता है, तो कहीं संचार टावर चोरी हो जाता है। ताजा मामले में पूर्णिया जिले में एक सरकारी स्कूल की जमीन को गैर-कानूनी तरीके से बेचने की बात सामने आई है।

मामला जिले के पूर्णिया सिटी स्थित राजकीकृत राजा पृथ्वीचंद उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से जुड़ा है। गौरतलब है कि बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने दो सप्ताह पूर्व 14 सितंबर को निरीक्षण के क्रम में इस स्कूल का भी दौरा किया था।

क्या है स्कूल की जमीन को बेचने का पूरा विवाद

दरअसल, पूर्णिया सिटी के राजा पृथ्वीचंद लाल ने स्कूल बनवाने के लिए अपनी भूमि दान की थी। उन्होंने दो जगहों पर अपनी जमीन प्रदान की थी। एक जगह की जमीन का रकबा (क्षेत्रफल) लगभग 44 डिसमिल और दूसरी जगह का भी करीब-करीब इतना ही था।


एक जगह पर वर्तमान में स्कूल की बिल्डिंग बनी हुई है। दूसरे प्लॉट पर स्कूल की पुरानी बिल्डिंग जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। ताज़ा विवाद इसी जमीन का है, जिसका रकबा पुलिस प्रशासन के अनुसार, लगभग 44 डिसमिल है।

राजा पृथ्वीचंद लाल ने जमीन तो दे दी, लेकिन स्कूल प्रशासन की लापरवाही और गैर-जिम्मेदारी से दूसरे प्लॉट की जमाबंदी (म्यूटेशन) नहीं हो सकी। हालांकि जमीन पर स्कूल का ही कब्जा रहा।

स्कूल के नाम जमीन की जमाबंदी नहीं होने की वजह से सर्वे में पृथ्वीचंद लाल के वंशजों के नाम ही जमीन अंकित हो गई। इसी को आधार बनाकर पृथ्वीचंद लाल के पोते मीणा अनिल गुप्ता ने स्कूल की पुरानी बिल्डिंग वाली जमीन किसी दलाल को बेच दी।

फिलहाल, मीणा अनिल गुप्ता मुंबई में रहते हैं। मीणा अनिल गुप्ता ने यह जमीन पूर्णिया सिटी के रहने वाले मोहम्मद मंजूर आलम और शाहबाज आलम को बेची है।

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क्या है स्कूल का दावा?

स्कूल के प्रधानाध्यापक अशोक प्रसाद यादव ने बताया कि स्थानीय अभिभावकों के जरिये उनको पता चला कि स्कूल की जमीन की बिक्री हो चुकी है। जब उन्होंने सवाल किया कि यह कैसे संभव है? उनको बताया गया कि जमीन बेचने वालों के पास पूरा सबूत है।

“मुझे स्कूल की जमीन के बिकने की जानकारी 15 सितंबर को रात साढ़े नौ बजे के आस-पास मिली। जमीन की बिक्री 4 या 5 सितंबर को हुई है। राजा पीसी लाल की तीसरी पीढ़ी के मीणा अनिल गुप्ता जो मुंबई (महाराष्ट्र) में रहते हैं, उन्होंने यह जमीन गैर-कानूनी तरीके से बेची है। जबकि उनको कोई अधिकार नहीं है जमीन बेचने का,” उन्होंने कहा।

प्रधानाध्यापक द्वारा थाने में दिये गए आवेदन के मुताबिक, पृथ्वीचंद लाल ने यह जमीन साल 1959 में स्कूल को दान में दी थी। स्कूल प्रशासन की मानें तो तब से लेकर अबतक जमीन पर स्कूल का ही कब्जा है।

आवेदन के मुताबिक, नगरपालिका में हुए जमीन सर्वे में गलती से जमीन का खतियान पृथ्वीचंद लाल के दो बेटे भूवनेश्वरीचंद लाल और विष्णुचंद लाल के नाम से अंकित हो गया। इसके विरुद्ध स्कूल प्रशासन ने जमीन के मालिकाना हक को लेकर पूर्णिया सत्र न्यायालय में मुकदमा दायर किया था, जिसमें 2005 में स्कूल के पक्ष में सत्र न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया था।

कथित तौर पर स्कूल की जमीन बेचने वाले मीणा अनिल गुप्ता, राजा पृथ्वीचंद लाल के बेटे भूवनेश्वरीचंद लाल के पुत्र हैं। इधर स्कूल की जमीन खरीदने वालों ने इसको लेकर सफाई पेश की है।

जमीन खरीदने वाले मंजूर आलम और शाहबाज आलम ने बताया कि उनके द्वारा विद्यालय की जमीन को नहीं खरीदा गया है, बल्कि राजा पृथ्वी चंद लाल के वंशज द्वारा उन्हें दूसरी जमीन बेची गई है।

हालांकि, स्कूल की तरफ से दिये गये आवेदन में जिस खाता संख्या और खेसरा संख्या का जिक्र है, वह विद्यालय को दान में मिली जमीन का ही है। आवेदन में नगरपालिका खाता संख्या 95 और खेसरा संख्या 94 (क, ख, और ग) का जिक्र है।

जिला प्रशासन के तेवर सख्त

शिकायत मिलने के बाद जिलाधिकारी ने मामले में तुरंत संज्ञान लेते हुए सभी अधिकारियों को बुलाकर जांच का निर्देश दिया। अधिकारियों द्वारा जांच के बाद यह पाया गया कि विद्यालय को दान में जो जमीन मिली है, उसकी ही बिक्री की गई है।

जांच के बाद जिलाधिकारी ने विद्यालय को दान में मिली जमीन का तत्काल म्यूटेशन कराने का निर्देश दिया। आनन-फानन में महज़ 12 घंटा के अंदर ही म्यूटेशन भी हो गया। डीएम के आदेश के बाद जमीन की जमाबंदी विद्यालय के नाम पर कर दी गई है।

मामले को लेकर पूर्णिया सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी पुष्कर कुमार ने बताया कि छः लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इनमें जमीन खरीदने और बेचने वाले शामिल हैं।

“दान में मिली जमीन का स्कूल के प्रबंधकों ने जमाबंदी कायम नहीं करवाया था, म्यूटेशन नहीं हुआ था। जमाबंदी नहीं होने के कारण यह जमीन जमींदार के पौत्र की पैतृक संपत्ति के खाते में आ गया था। उसने इस जमीन को बेच दिया। बाद में पता चला इसके बारे में तो जांच के बाद उसकी जमाबंदी को अविलंब कैंसिल कराया गया है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा “स्कूल के प्रिंसिपल को सक्षम न्यायालय में जाकर जो जमीन की रजिस्ट्री हुई है, उसको कैंसिल कराना चाहिए। स्कूल प्रशासन को अपनी संपत्ति का ध्यान रखना चाहिए। अगर कोई संपत्ति देता है, तो जल्द उसकी जमाबंदी कराएं। जमीन खरीदने वालों को भी जमीन पर न जाने की हिदायत दी गई है और अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा इस संबंध में जांच भी की गई है।”

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