हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने किशनगंज में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि शेरशाहबादी समुदाय के लोग आदिवासियों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करते हैं। मांझी बिहार विधानसभा अनुसूचित जाति/जनजाति संबंधित समिति के सदस्य के तौर पर किशनगंज का दौरा कर रहे हैं। यह समिति अनुसूचित जाति/ जनजाति से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन का अध्ययन करती है।
हाल ही में जीतनराम मांझी की पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए गठबंधन में शामिल हुई है। दिल्ली में इसी हफ्ते मंगलवार को हुई एनडीए की बैठक में मांझी ने भी हिस्सा लिया था। इस बैठक के बाद मांझी का यह पहला सीमांचल दौरा है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा किशनगंज में कथित घुसपैठ का मामला उठाती रहती है। पिछले महीने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने किशनगंज में प्रेस वार्ता कर कहा कि यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि बंगलादेशी घुसपैठियों को शरण देते हैं और बंगलादेशी व रोहिंग्या मुसलमान सीमांचल सहित देश के लिए एक बड़ी समस्या हैं।
मांझी ने किशनगंज में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि शेरशाहबादी समुदाय बिहार सरकार की गैर मजरूआ जमीन पर कब्जा किए हुए है।
“शेरशाहबादी परिवार के लोग यहां पर बाहर से आए हुए हैं और जिस जमीन पर शिड्यूल कास्ट का कब्ज़ा होना चाहिए, उस पर वे लोग (शेरशाहबादी) कब्जा बना कर रखे हुए हैं, खास कर बॉर्डरिंग इलाके में। यही नहीं, जो शिड्यूल कास्ट के कब्जे में होनी चाहिए, उस जमीन पर भी उनका (शेरशाहबादी) कब्जा हो गया है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि समिति के सदस्य दो भागों में बंटकर पूरे राज्य का दौरा कर रहे हैं। समिति का एक भाग पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सारण, वैशाली और गोपालगंज के दौरे पर हैं। समिति का दूसरा भाग पूर्णिया, खगड़िया, कटिहार, सहरसा, सुपौल, किशनगंज, मधेपूरा और अररिया जिले के दौरे पर हैं। जीतनराम मांझी समिति के इसी दल का हिस्सा हैं। उनके साथ समिति के दूसरे सदस्य भी मौजूद थे।
समिति ने किशनगंज के जिलाधिकारी, आरक्षी अधीक्षक और विभिन्न विभाग के पदाधिकारियों से मुलाकात कर राज्य में एससी एसटी समुदाय के लिए चल रही योजनाओं से संबंधित जानकारी ली। समिति ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत चल रहे मामलों को लेकर भी अधिकारियों से बातचीत की।
Also Read Story
इस अधिनियम के तहत तय समय सीमा के अंदर चार्जशीट फाइल नहीं करने को लेकर समिति ने नाराज़गी जाहिर की। मांझी ने इस अधिनियम के तहत चल रहे मामलों में दोषसिद्धि दर के कम होने पर सवाल भी उठाए। दोषसिद्धि दर को बढ़ाने के लिए समिति ने सुझाव भी दिए हैं।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।