शुक्रवार को बिहार के किशनगंज जिले के ऐतिहासिक खगड़ा मेले का शुभारंभ किया गया। जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला व पुलिस अधीक्षक डॉ. इमानुल हक़ मेगनु ने संयुक्त रूप से इहका उद्घाटन किया। एक महीने तक चलने वाले इस मेले में मनोरंजन के लिए झूला, सर्कस, थियेटर और कई प्रकार की आकर्षक दुकानें लगाई गई हैं।
उद्घाटन समारोह में पहुंचे किशनगंज पुलिस अधीक्षक इमानुल हक़ मेगुन ने अपने संबोधन में कहा कि किशनगंज का खगड़ा मेला एक समय सोनपुर मेले की टक्कर का था लेकिन समय के साथ साथ सोनपुर मेले की पहचान बढ़ती गई और खगड़ा मेला अपनी पहचान खोता चला गया।
“जब मेले का प्रारंभ हुआ तो सोनपुर मेले की टक्कर का था लेकिन समय के साथ खगड़ा मेले की पहचान घटती गई। किशनगंज का जो भौगोलिक स्थान है और नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के निकटतम होने के कारण जो इसका महत्व है… इस मेले को ना केवल देश के अलग राज्यों बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान दे सकते हैं,” उन्होंने कहा।
किशनगंज एसपी ने मेले के अस्तित्व को बचाने के लिए जिला पदाधिकारी के समक्ष प्रस्ताव रखा कि इस मेले का आयोजन साल में दो से चार बार किया जाए ताकि आर्थिक लाभ अधिक हो और यहां के लोगों को गुणवत्तापूर्ण सामान मिल सके।
उन्होंने कहा, “मेरा डीएम साहब से यही अनुरोध रहेगा कि अगर हम इसे साल में दो-चार बार कराएं तो राजस्व की वसूली होगी और बाहर के राज्य से जो विक्रेता आए हैं उन्हें अधिक से अधिक लाभ हो और यहां के लोगों को गुणवत्तापूर्ण वस्तु मिले और लोगों का मनोरंजन हो जाए।”
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इमानुल हक़ ने मेला प्रबंधन को आदेश भी दिया कि खगड़ा मेले में बजने वाले डीजे सहित अन्य आवाज़ों को रात 10 बजे तक बंद कर दिया जाए ताकि आसपास के लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। पिछले वर्ष कई लोगों ने देर रात तेज़ ध्वनि की शिकायत की थी इसको देखते हुए इस बार प्रबंधन इसपर ख़ास ध्यान रखे।
वहीं जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला ने कहा कि जिले की आर्थिक व्यवस्था और लोगों के रोजगार को बढ़ाने में खगड़ा मेले का महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने कहा कि साल में दो से तीन बार इस मेले का आयोजन करने के लिए जिला प्रशासन विचार विमर्श कर रहा है।
“सिक्किम, छत्तीसगढ़ से यहां पर कारीगर आए हैं जो अपनी कारीगरी की नुमाइश करेंगे। किशनगंज वासी और आसपास के जिले के जितने लोग हैं वो यहां आएं और यहां सर्कस और बाकी खेलकूद में भाग्य लें। यहां के तमाम दुकानदार और कर्मियों को हम धन्यवाद देते हैं कि हमारे जिले की परंपरा को आप ने बनाए रखा है,” डीएम तुषार सिंगला ने कहा।
उन्होंने आगे कहा, “यहां की जो लोकल अर्थव्यवस्था है उसमें खगड़ा मेले का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जिला स्तर पर इस पर भी विचार किया गया था कि क्यों न खगड़ा मेले को साल में एक बार की जगह दो बार रखा जाए, जैसे दुर्गा पूजा, छठ पूजा के समय अगर हम खगड़ा मेला करवा पाएं या अन्य मेले का आयोजन करवा पाएं तो इसपर भी जिला विचार विमर्ष करेगा।”
बता दें कि किशनगंज का यह ऐतिहासिक खगड़ा मेला ब्रिटिश काल से ही लगता आ रहा है। इसकी शुरुआत सन 1883 में की गई थी। उस समय के खगड़ा एस्टेट के नवाब सैय्यद अता हुसैन खान ने इस मेले की बुनियाद रखी थी। सोनपुर मेले के बाद किशनगंज का खगड़ा मेला राज्य में दूसरा सबसे बड़े पशु मेले के रूप में जाना जाता था। एक समय बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, मलेशिया, अफगानिस्तान जैसे कोई मुल्कों के व्यापारी इस मेले में आया करते थे।
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