लोकसभा में राम मंदिर के धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बाबरी मस्जिद ज़िंदा थी, ज़िंदा है और हमेशा ज़िंदा रहेगी। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को बताना चाहिये कि क्या वो सिर्फ एक मज़हब के लोगों की सरकार है या फिर देश में रहने वाले सभी मज़हब के मानने वालों की सरकार है।
बताते चलें कि सोकसभा में बजट सत्र का आज (शनिवार) आख़िरी दिन था। सुबह लोकसभा के सत्र की शुरुआत राम मंदिर निर्माण के धन्यवाद पर चर्चा के साथ शुरू हुई। चर्चा के दौरान ओवैसी ने बोलते हुए कहा कि सरकार ऐसा कर देश के मुसलमानों को सही संदेश नहीं दे रही है।
“मैं यह पूछना चाह रहा हूं कि क्या मोदी सरकार एक समुदाय और एक मज़हब की सरकार है। या पूरे देश के मज़ाहिब (धर्मों) के मानने वालों की सरकार है। क्या मोदी सरकार सिर्फ हिंदुत्व फिक्र और नजरिया की सरकार है। क्या इस गवर्मेंट ऑफ इंडिया का कोई मज़हब है। यह वतने अज़ीज़ सबके मज़हब को मानता है,” उन्होंने कहा।
हैदराबाद के सांसद ने आगे कहा, “मेरा मानना है कि इस देश का कोई मज़हब नहीं है। क्या यह सरकार 22 जनवरी का पैग़ाम देकर यह बताना चाहती है कि एक मज़हब के मानने वालों को दूसरे मज़हब के लोगों पर ग़लबा या कामयाबी मिली। क्या आईन (संविधान) इसकी इजाज़त देता है। आप 17 करोड़ मुसलमानों को क्या पैग़ाम दे रहे हैं।”
जब ओवैसी बोल रहे थे तो लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने उनको टोकते हुए कहा कि वह सिर्फ धन्यवाद प्रस्ताव पर बात करें, क्योंकि अयोध्या में जो भी हुआ वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हुआ और अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण राम मंदिर को तोड़ कर की गई थी।
इसके जवाब में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह उनको गलत साबित कर सकते हैं, क्योंकि अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहीं नहीं कहा है कि राम मंदिर को तोड़ कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी।
“मैं आपको ग़लत साबित कर दूंगा सर। मैं आपकी बड़ी इज़्ज़त करता हूं। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के पाराग्राफ 12 (22) में लिखा गया है कि मस्जिद ध्वस्त करना यथास्थिति का उल्लंधन था। मस्जिद को ढहाना रूल ऑफ लॉ का आपराधिक उल्लंघन था,” उन्होंने कहा।
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AIMIM सुप्रीमो ने आगे कहा, “सर आपने कहा था कि वहां पर मंदिर को तोड़ कर बनाया गया मस्जिद। सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के सर्वे को नकारा। उन्होंने कहा कि मंदिर को तोड़ कर मस्जिद नहीं बनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है ये।”
“बाबर, औरंगज़ेब और जिन्ना का स्पोक्सपर्सन हूं?”
संसद में बोलते हुए ओवैसी ने कहा कि भारतीय मुसलमानों के साथ 1947 और 1992 से लेकर 2022 में भी धोखा हुआ। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी मुसलमानों को अपनी वफादारी साबित करना पड़ता है। ओवैसी ने कहा कि क्या वह बाबर, औरंगज़ेब या जिन्न के प्रवक्ता हैं?
इसी बीच, संबोधन के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी के सांसद शशिकांत दूबे ने ओवैसी को टोकते हुए सवाल पूछा कि वह बतायें कि बाबर को आक्रमणकारी मानते हैं या नहीं? इसका जवाब देते हुए ओवैसी ने कहा कि पहले शशिकांत दूबे यह बतायें कि पुष्यमित्र शुंग को वह क्या मानते हैं?
“बताओ पुष्यमित्र शुंग को आप क्या मानते हैं? जम्मू-कश्मीर के उस राजा को क्या मानते हैं जिसके पास एक फौज थी मंदिरों को तोड़ने के लिये? यही तो मैं कह रहा हूं कि निशिकांत दूबे असदुद्दीन ओवैसी से बाबर की बात पूछ रहे हैं,” उन्होंने कहा।
ओवैसी ने आगे कहा, “तुम गांधी की बात पूछते, तुम बोस की बात पूछते, तुम जलियांवाला बाग़ की बात पूछते, तुम कालापानी में जो मुसलमान शहीद हो गए उनकी बात पूछते। मगर बाबर की बात पूछते हो। मोदी हुकूमत यह पैग़ाम देना चाह रही है मुसलमानों को कि इंसाफ चाहिये या जान बचाना है।”
ओवैसी ने कहा कि सरकार मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाना चाहती है, लेकिन वह दूसरे दर्जे के नागरिक होना क़बूल नहीं करेंगे। अपने संबोधन के आख़िर में ओवैसी ने बाबरी मस्जिद जिंदाबाद का नारा लगाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद जिंदा है और हमेशा जिंदा रहेगी।
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