हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा शेरशाहबादी मुस्लिमों पर दिए गए विवादित बयान पर अब केस दर्ज हो गया है। मुरसलीन आलम की तरफ से यह केस किशनगंज के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष दायर किया गया है। मुरसलीन आलम ‘ऑल बिहार शेरशाहबादी एसोसिएशन’ के प्रखंड सचिव हैं।
क्यों दर्ज हुआ केस
यह मुकदमा जीतन राम मांझी और हिन्दुसतानी आवाम मोर्चा के किशनगंज ज़िला अध्यक्ष डॉ शाहजहां के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500, 153 ए तथा 295 ए के तहत दर्ज हुआ है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष दिए गये आवेदन में कहा गया है कि मांझी के बयान से सीमांचल में रह रहे लाखों शेरशाहबादी मुस्लिमों के सम्मान को ठेस और आघात पहुंचा है।
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आवेदन में कहा गया है, “अभियुक्त (मांझी) के कथन से क्षेत्र में विभिन्न जाति, समुदाय, वर्ग व भाषा बोलने वाले लोगों के बीच नफरत और अशांति फैलने की संभावन बन गई है। शेरशाहबादी बिरादरी के लोग यहां के मूल सम्मानित नागरिक हैं तथा राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर, शारीरिक परिश्रम कर तथा मेहनत मज़दूरी कर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाते हैं तथा अपने परिवार के सदस्यों का भरण पोषण करते हैं”।
क्या था मांझी का बयान
जीतन राम मांझी ने किशनगंज में शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि शेरशाहबादी समुदाय के लोग आदिवासियों की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करते हैं। उन्होंने शेरशाहबादी मुस्लिमों पर बिहार सरकार की ज़मीन पर क़ब्ज़ा करने का भी आरोप लगाया था।
मांझी ने कहा था “शेरशाहबादी परिवार के लोग यहां पर बाहर से आए हुए हैं, और जिस जमीन पर दलितों का कब्ज़ा होना चाहिए, उस पर वे लोग (शेरशाहबादी) कब्जा बना कर रखे हुए हैं, खास कर बॉर्डरिंग इलाके में। यही नहीं, जो जमीन शिड्यूल्ड कास्ट के कब्जे में होनी चाहिए, उस जमीन पर भी उनका (शेरशाहबादी) कब्जा हो गया है,”।
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