भारतीय जनता पार्टी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि बिहार के सीमांचल और भागलपुर में बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण डेमोग्राफी बदल रही है। निशिकांत ने पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद और कलियाचक जैसे इलाकों को बांग्लादेशी घुसपैठियों का गढ़ बताया। उन्होंने भारत सरकार से इन इलाकों में एनआरसी (NRC) लागू करने की मांग की।
झारखंड के गोड्डा संसदीय क्षेत्र से सांसद निशिकांत दुबे ने संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान ये बातें कहीं। निशिकांत ने संबोधन में कहा कि 1951 में झारखंड में आदिवासियों की संख्या 36 प्रतिशत थी और अभी झारखंड में आदिवासियों की संख्या 24 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि झारखंड में आदिवासियों की संख्या लगातार घट रही है और गोड्डा, पाकुर और साहबगंज जिलों में मुस्लिम आबादी बढ़ रही है।
“आज स्थिति ये है कि बांग्लादेशी घुसपैठिये आते हैं और आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं। जो मुसलमान का पॉपुलेशन (आबादी) है खासकर कुछ जिले हैं गोड्डा, पाकुर, साहबगंज, देवघर और जामताड़ा हैं, उन सभी का पॉपुलेशन (आबादी) लगातार बढ़ रहा है,” उन्होंने कहा।
निशिकांत ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब ममता बनर्जी सांसद थीं तो लगातार बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा संसद में उठाती थीं, लेकिन जब से मुख्यमंत्री बनी हैं तो उनके कई जिलों में बांग्लादेशी गुसपैठियों की संख्या बढ़ी है।
“जब से ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी हैं…मालदा, मुर्शिदाबाद और कलियाचक में केवल बांग्लादेशी घुसपैठिये भरे पड़े हैं। यही हाल बिहार का है। कटिहार, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और भागलपूर में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण पूरी डेमोग्राफी बदल गई है,” उन्होंने कहा।
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उन्होंने आगे कहा, “यह केवल झारखंड के आदिवासियों का विषय नहीं है, बल्कि बंगाल और बिहार का भी विषय है। भारत सरकार से मेरा आग्रह है कि एनआरसी लागू करिये और सारे बांग्लादेशी घुसपैठियों को यहां से बाहर करिये। कम से कम झारखंड राज्य के आदिवासियों को बचाइये।”
उल्लेखनीय है कि भाजपा, बिहार के सीमांचल इलाकों में कथित बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला उठाती रहती है। इसी साल जून में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने किशनगंज में कहा था कि यहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि बंगलादेशी घुसपैठियों को शरण देते हैं और बंगलादेशी व रोहिंग्या मुसलमान सीमांचल सहित देश के लिए एक बड़ी समस्या हैं।
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