12 साल का गौतम कुमार मांझी चौथी कक्षा में पढ़ता है। पहले वह रात में तीन से चार घंटे पढ़ता था, लेकिन पिछले दो महीने से उसकी पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित है और मुश्किल से आधे घंटे ही पढ़ पाता है। “स्कूल का होमवर्क पूरा नहीं कर पाते हैं क्योंकि स्कूल से तीन बजे लौटते हैं और तुरंत ट्यूशन पढ़ने जाते हैं। ट्यूशन से लौटते हुए शाम हो जाती है और इसके बाद घर में अंधेरा रहता है,” गौतम ने कहा।
गौतम मांझी नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड के अकबरपुर के बभनडीहा गांव की मुसहर टोली में रहता है। इस मुसहर टोली में मुसहरों के लगभग 40 घर हैं और सभी घरों में बिजली की सप्लाई बंद है, जिससे ये टोली शाम ढलते ही अंधेरे में डूब जाती है।
टोली के घरों में रात में मुश्किल से एक दो घंटे तक रौशनी टिमटिमाती है और फिर अंधेरा छा जाता है।
लोग बताते हैं कि वे दुकान के सरसों तेल खरीद कर लाते हैं और उसी से शाम को एक-दो घंटे तक रौशनी करते हैं, ताकि खाना बन जाए और लोग खाना खा लें।
स्थानीय लोगों ने बताया कि लगभग दो महीने पहले स्थानीय प्रशासन ने इस टोली की बिजली सप्लाई काट दी है। प्रशासन का कहना है कि वे लोग पिछले 10 साल से बिजली बिल जमा नहीं कर रहे थे, जिस कारण बिजली काट दी गई है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि ऐसा कैसे संभव हो हो सकता है कि 10 साल तक कोई बिजली बिल नहीं भरे, फिर भी बिजली मिलती रहे और एक दिन अचानक प्रशासन को याद आए कि 10 साल से बिजली बिल बकाया है?
10 से 25 हजार तक बिजली बिल बकाया!
गौतम उस दिन को याद करता है जब टोले के करीब लगे ट्रांसफॉर्मर से बिजली कनेक्शन काटा गया था। “हमलोग ट्रांसफॉर्मर के निकट खेत में खेल रहे थे। तभी एक गाड़ी में तीन चार लोग आये और बिजली काट दिये। हमलोग बिजली काटने का कारण पूछे, तो उन लोगों ने बताया कि बिजली बिल जमा करना होगा, तभी बिजली मिलेगी,” गौतम ने बताया।
गौतम की मां 51 वर्षीयी सरोज देवी बिजली काटे जाने से परेशान तो हैं ही, उससे भी ज्यादा परेशानी उन्हें इस बात की है कि उन पर 20 हजार रुपये का बिजली बिल आया है। सरोज देवी की ही तरह टोले के अन्य घरों में 10 से 25 हजार रुपये के बीच में बिजली बिल आया है।
वह कहती हैं, “20 हजार रुपये का बिजली बिल मांग रहे हैं। इतना रुपया हमलोग कहां से दे पायेंगे। 20 हजार रुपये एक साथ देखने में हमारी उम्र खत्म हो जाएगी। हमलोग तो सिर्फ एक बल्ब जलाते थे। कहां से 20 हजार रुपये का इंतजाम करेंगे?”
वह बताती हैं, “10 साल पहले जब मीटर दिया जा रहा था, तब हम कहे थे कि हम मीटर नहीं लेंगे, बिजली का बिल हम कहां से चुका पायेंगे? तो हमलोगों से कहा गया कि हरिजन के लिए फ्री है और मीटर ठोक (लगा) दिया। “तब फ्री बोलकर (मीटर) लगा दिया और अब बिल मांग रहा है कि इतना रुपये देना होगा, तब बल्ब जलाना, वरना पकड़ कर ले जाएंगे,” सरोज देवी कहती हैं।
वह आगे कहती हैं, “हम गरीब आदमी हैं, कहां से बिजली बिल भरेंगे? खाने के तो लाले हैं…अपनी एक कट्ठा जमीन तक नहीं है। सरकारी जमीन में रहते हैं। कमाते हैं, तो खाते हैं। बच्चे को किसी तरह पढ़ा रहे हैं। लेकिन बिजली ही काट दी गई, अब बच्चा कैसे पढ़ेगा?”
“एक बल्ब था, जलता था, तो घर में उजाला रहता था, उसको भी अंधेरा करके चला गया। पहले जब बिजली नहीं थी, तो किरासन तेल तो मिलता था, लेकिन किरासन तेल भी बंद हो गया, अब घर में रौशनी कैसे करेंगे,” सरोज देवी ने कहा।
पिछले साल हुई बिहार जाति गणना के मुताबिक, राज्य में 11,06,507 मांझी (मुसहर और भुइयां को मिलाकर) परिवार रहते हैं, जिनमें से 54 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय 6000 रुपये से भी कम है और ये गरीब की श्रेणी में आते हैं।
फ्री बिजली पर सरकार की ना
इसी साल फरवरी में विधानसभा में बजट सत्र के दौरान विपक्ष ने नीतीश सरकार से मांग की थी कि गरीब परिवारों को 200 यूनिट बिजली फ्री दी जाए। भाकपा-माले (लिबरेशन) के विधायक संदीप सौरभ ने कहा था कि बिहार में 94 लाख परिवारों की मासिक आय 6000 रुपये से भी कम है, इसलिए इन परिवारों को 200 यूनिट बिजली फ्री में दी जानी चाहिए।
लेकिन, बिहार सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था, “हम उपभोक्ताओं को फ्री में बिजली नहीं दे सकते हैं। हम वर्षों कहते आ रहे हैं कि हम लोगों को काफी सस्ती दर पर बिजली दे रहे हैं।”
बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा था, “नहीं दे सकते बिजली हमलोग फ्री में। बिजली उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर बिजली देने के लिए साल 2023-24 में 13114 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं। जहां तक किसानों की बात है, तो कृषि गतिविधियों के लिए उन्हें 70 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है।”
विधानसभा में सरकार के इस रुख के बाद ही इस मुसहर टोले की बिजली काट दी गई। हिलसा के एसडीओ आकाश कुमार गुप्ता ने मैं मीडिया को बताया कि उन्हें (जिनकी बिजली काटी गई है) बिजली कनेक्शन मुफ्त में दिया गया था, बिजली मुफ्त नहीं थी, इसलिए बिजली बिल नहीं भरने पर बिजली कनेक्शन काट दिया गया। यह पूछे जाने पर कि 10 साल तक बिना बिजली चुकाये कैसे इन परिवारों को बिजली दी जाती रही, उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। उन्होंने यह भी नहीं बताया कि नालंदा में ऐसे कितने परिवार हैं, जिनका बिजली कनेक्शन काटा गया है।
सरोज देवी की तरह ही राजेंद्र मांझी का भी बिजली कनेक्शन काटा गया है और उन्हें बकाया बिजली बिल के भुगतान के साथ ही नये सिरे से कनेक्शन के लिए 1000 रुपये जमा करने को कहा गया है।
60 वर्षीय राजेंद्र मांझी कहते हैं, “हमलोग खेतों में मजदूरी पर जीते हैं लेकिन मजदूरी भी साल के चार महीने ही मिलती है। बाकी समय घर पर रहते हैं, कभी कोई काम आ गया, तो आ गया। हमारा 20 हजार रुपये बिजली बिल आया है। हमलोग 20 हजार रुपये का बिजली बिल भला कैसे दे पायेंगे? अगर सालभर काम मिलता तो, चुका भी देते, लेकिन काम मिलता नहीं है।”
उन्होंने कहा कि 10 साल से बिजली मिल रही थी। “कोई बिजली बिल मांगने नहीं आता था। कहता था कि बीपीएल को बिजली फ्री है। बिजली से हमलोग सिर्फ एक बल्ब जला रहे थे। हमारे घर में न पंखा है, न टीवी है। सिर्फ एक बल्ब है।”
बिजली कनेक्शन काटे जाने से न केवल टोले की दिनचर्या बदली है बल्कि संपर्क का अत्याधुनिक और अनिवार्य साधन मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी प्रभावित हुआ है क्योंकि बिजली नहीं होने से लोग मोबाइल फोन चार्ज नहीं करा पा रहे हैं। मोबाइल फोन के जरिए अभी ऑनलाइन क्लास भी लिये जाते हैं, लेकिन मोबाइल चार्ज नहीं होने से टोले के बच्चे ऑनलाइन क्लास में भी शामिल नही हो पाते हैं।
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गौतम मांझी बताता है, “अभी दो तीन तरीके से हमलोग मोबाइल चार्ज करते हैं। ट्यूशन जाते हैं, तो वहां चार्ज कर लेते हैं, लेकिन ट्यूशन में टीचर टोक देते हैं कि हमलोग घर से मोबाइल चार्ज कर क्यों नहीं लाते हैं। जिस दिन ट्यूशन नहीं रहता है, उस दिन बाजार में जाकर 10 रुपये में फुल चार्ज करवाते हैं। कभी इमरजेंसी रहा, तो दोस्त के घर पर, जहां बिजली सप्लाई हो रही है, जाकर चार्ज कर लेते हैं।”
“बिजली नहीं है, तो मोबाइल फोन भी बहुत सोच समझ कर चलाना पड़ता है ताकि ज्यादा देर तक मोबाइल का चार्ज रहे,” गौतम ने कहा।
सांसद ने कहा- इसे देखेंगे, संदीप सौरभ-चुनावी मुद्दा होगा
मुसहर टोली, नालंदा लोकसभा क्षेत्र में आती है। इस लोकसभा से साल 2004 से लगातार जदयू जीत रही है। वर्ष 2004 में नीतीश कुमार यहां से सांसद बने थे। इसके बाद राम स्वरूप प्रसाद यहां से सांसद बने। वर्ष 2009 से जदयू के टिकट पर कौशलेंद्र कुमार लगातार तीन बार यहां से चुनाव जीते और अब पार्टी के टिकट पर चौथी बार मैदान में हैं। महागठबंधन से यह सीट भाकपा-माले (लिबरेशन) को मिली है। संदीप सौरभ को पार्टी के प्रत्याशी बनाया है। वह फिलहाल पटना के पालीगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
कौशलेंद्र कुमार ने कहा, “बिजली का पैसा देना है, फ्री में बिजली तो नहीं देने की बात है। फ्री में उस वक्त बिजली कनेक्शन मिला था और मीटर वगैरह लगा था, लेकिन बिजली तो फ्री नहीं है।”
जब हमने उनसे पूछा कि मुसहरों की उतनी आय नहीं होती है कि वे बिजली बिल भर सकें, तो उन्होंने कहा कि वह इसे देखेंगे।
भाकपा-माले (लिबरेशन) उम्मीदवार संदीप सौरभ ने कहा कि उन्होंने विधानसभा में गरीबों को 200 यूनिट तक बिजली फ्री देने का मुद्दा उठाया था, लेकिन सीएम ने इससे इन्कार कर दिया।
उन्होंने मुसहर टोली में बिजली काटे जाने पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि पहले जब उन्हें कनेक्शन दिया गया था, तो कहा गया था कि बीटीएल को फ्री बिजली मिलेगी और अब मोटा बिजली बिल उन्हें भेजा रहा है, यह तो ग़लत है। संदीप सौरभ ने बिजली को चुनावी मुद्दा बनाने की बात भी कही।
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