महान आंचलिक कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की 102 वीं जयंती पूर्णिया जिले में रेणु महोत्सव के रूप में मनाई गई।
रेणु महोत्सव को लेकर जिला मुख्यालय स्थित एचई हाई स्कूल के प्रांगण में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन डीएम इनायत खान, एसपी अशोक कुमार सिंह, जीप अध्यक्ष आफताब अज़ीम पप्पू, नगर परिषद अध्यक्ष विजय कुमार मिश्र, उपाध्यक्ष गौतम साह आदि ने किया। महोत्सव को तीन सत्रों में बंटा गया था। पहले सत्र में कार्यक्रम में आये साहित्यकार व कवियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। दूसरे सत्र में रेणु के व्यक्तित्व व कृतित्व पर साहित्यिक परिचर्चा का आयोजन किया गया। तीसरे सत्र में कवि सम्मेलन व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें जिले के सिंगर अमर आनंद के साथ टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सुर संग्राम की विजेता प्रिया राज ने भाग लिया।
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कार्यक्रम को डीएम इनायत खान, एसपी अशोक कुमार सिंह, एडीएम राजमोहन झा, डीडीसी मनोज कुमार, डीईओ राजकुमार, भू-अर्जन पदाधिकारी सलीम अंसारी, एसडीओ शैलेश चंद्र दिवाकर, एसडीपीओ पुष्कर कुमार, जीप अध्यक्ष आफताब अज़ीम पप्पू, नगर परिषद अध्यक्ष विजय कुमार मिश्र, उपाध्यक्ष गौतम कुमार साह आदि ने संबोधित किया।
‘रेणु जी के उपन्यास अनुकरणीय’
रेणु महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डीएम इनायत खान ने कहा कि रेणु जी ने अपने लिखे साहित्य और उपन्यासों में जो लिखा था, वह आज भी अनुकरणीय है। उनको अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। रेणु जी को किसी क्षेत्र में या भाषा में बांधना बेमानी होगी। उनकी लेखनी उस समय पूरे विश्व में पहुंची, जिस समय आज की तरह सूचना तंत्र मजबूत नहीं था। यह उनकी लेखनी की मजबूती को दर्शाता है, इसलिए जरूरत है कि आज की पीढ़ी उनकी लिखी बातों पर अमल करे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसपी अशोक कुमार सिंह ने कहा कि रेणु जी की लेखनी इतने वर्षों बाद भी आज की हकीकत को बयां करती है। उनकी लिखी कहानी मारे गये गुलफाम पर बनी बहुचर्चित फ़िल्म तीसरी कसम के गीत आज भी जीवन की सच्चाई को दर्शाते हैं। फ़िल्म का वह गाना ‘सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है, न हाथी है न घोड़ा है, वहां पैदल ही जाना है’ सिर्फ गीत नहीं है, वह आज भी हकीकत बयान करता है।
सदर एसडीपीओ पुष्कर कुमार ने कहा कि आज के बच्चों को साहित्य पढ़ने की जरूरत है। स्कूल के पुस्तकालयों में रेणु जी के लिखे साहित्य, कविता और उपन्यास होने चाहिए, ताकि आज की पीढ़ी उसे पढ़े।
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