सीमांचल में एक समारोह के दौरान इमारत ए शरिया बिहार, झारखंड और ओडिशा के नायब अमीर ए शरीयत मौलाना शमशाद रहमानी क़ासमी ने महागठबंधन सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने अपनी तक़रीर के दौरान कहा कि बिहार की मौजूदा सरकार में जो पार्टियां खुद को सेकुलर बताती हैं, आज मुसलामानों का नाम भी लेना गवारा नहीं करती।
उन्होंने कहा, “आज हमारा (मुसलामानों का) वजूद हवा होकर रह गया है। समाज का कोई तबका हमारी ज़रूरत महसूस नहीं कर रहा है। बीजेपी तो हमारी ज़रूरत महसूस कर ही नहीं रही है, लेकिन वे लोग जो हमारे नाम पर वोट मांगते और सत्ता तक पहुँचते थे, आज वे सेक्युलर पार्टियां भी मुसलमानों का नाम लेने को भी तैयार नहीं हैं, क्योंकि फलां का वोट नहीं मिलेगा। यानी फलां का वोट लेने के लिए हमारा नाम भी लेना गवारा नहीं है। और हमारे वोट फिर भी चाहिए जैसे कि हम बंधुआ मज़दूर हैं इनके।”
मौलाना शमशाद रहमानी ने आगे कहा, “जो लोग बिहार के सत्ता पर काबिज़ हैं और सेक्युलर कहलाने वाले हैं, आप उनका भी जायज़ा लीजिए और देखिए कि वो कैसे बड़े हौसले और बड़ी बेबाकी से या मेरी ज़बान में कहिये बड़ी बेहयाई के साथ बैठे हैं, जैसे अल्पसंख्यकों की उनको कोई ज़रूरत ही नहीं है।”
राजनीतिक पार्टियां मुसलमानों की समस्या को लेकर गंभीर नहीं
उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में छह सौ से अधिक मदरसा के शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दी गई है और अलग अलग तरीके से मदरसा को खत्म करने की साजिश की जा रही है। इसका सीधा असर ग्रामीण इलाकों के गरीब मुसलमानों के बच्चों पर पड़ रहा है।
नायब अमीर ए शरीयत ने कहा, “मदरसों के साथ हुकूमत खिलवाड़ कर रही है, क्योंकि हुकूमत की नियत मदरसों के लेकर साफ़ नहीं है। जब नोटिफिकेशन 394, 395, 396 आया था, तब हम लोग वज़ीर-ए-आला (मुख्यमंत्री) नीतीश कुमार से मिले थे और उन्होंने इसे तब्दील कराने का यक़ीन दिलाया था, लेकिन उसके बावजूद कुछ नहीं हो सका। पहले लगता था कि नीतीश जी बीजेपी के साथ हैं, इसलिए समस्याएं हैं उनके लिए। लेकिन, आज आरजेडी जो सेक्युलर होने का दम भरने वाली पार्टी है, उसके साथ भी मिलकर मुसलमानों का कुछ अच्छा तो क्या होता और बुरा होता चला जा रहा है।”
इमारत ए शरिया के नायब अमीर ने आगे कहा कि आज बिहार में किसी भी बड़े संगठन के लोगों से सरकार में बैठे महागठबंधन दल के लोग मिलना भी मुनासिब नहीं समझते हैं।
मौलाना शमशाद रहमानी कहते हैं, “मदरसों पर रोक लगाने से ग़रीब बच्चों के पढ़ाई लिखाई ख़त्म हो जाएगी और उन्हें खाना पीना जो मिल रहा था, वो भी खत्म हो जाएगा। ये ग़रीब बच्चे स्कूल की फीस देने के काबिल नहीं हैं। जिस तरह से असम में हुआ, कहीं दबे लफ़्ज़ों में ये लोग यहाँ भी वही तो नहीं करना चाह रहे हैं।”
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इमारत ए शरिया के नायब अमीर अररिया के मदरसा अल जमीयतुल फरुकिया में एक मस्जिद के उद्घाटन समारोह में मौजूद थे। उन्होंने मदरसा वेतन मामले में कहा कि जिन मदरसों के शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया है, जल्द से जल्द उसे रिलीज करवाया जाए ताकि फिर से ये मदरसा अपनी जगह पर कायम हो सके।
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