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जब विधानसभा चुनाव में फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ का हुआ जमानत ज़ब्त

जब चुनाव परिणाम आया तो रेणु जी को बहुत तकलीफ हुई क्योंकि रेणु जी को सिर्फ 6498 वोट आए और वह चौथे नंबर पर रहे।

Seemanchal Library Foundation founder Saquib Ahmed Reported By Saquib Ahmed |
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फणीश्वर नाथ रेणु (Phanishwar Nath Renu) का नाम आते ही हमारे दिमाग में जो सबसे पहली बात आती है वह है उनका उपन्यास “मैला आंचल” (Maila Aanchal) और “मारे गये गुलफाम” कहानी पर आधारित फिल्म ” तीसरी कसम” (Teesri Kasam)। लेकिन आज हम बात उनकी साहित्यिक यात्रा की नही बल्कि राजनीतिक यात्रा की करेंगे।


रेणु 1952 तक सोशलिस्ट पार्टी के माध्यम से राजनीति में सक्रिय थे। मजदूर और किसान मोर्चे पर भी वह डटे रहे थे मगर उन्हें जल्द ही यह समझ में आ गया कि राजनीति में लेखक की स्थिति दूसरे दर्जे की होती है। इसलिए 1952 के प्रथम आम चुनाव से पहले ही दलगत राजनीति को विदा कह दिए। इस दौरान लगातार अपने साहित्यिक चेतना से हाशिये और शोषित वर्ग की आवाज़ बुलंद करते रहे।

साल 1972 में पटना मेें एक संवाददाता सम्मेलन मेें रेणु ने तत्कालीन पूर्णिया जिले के फारबिसगंज विधानसभा (Forbesganj Vidhan Sabha) क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा कर हलचल मचा दी। इस दौरान उन्होंने कहा था कि ” लाठी-पैसे और जाति के ताकत के बिना भी चुनाव जीते जा सकते हैं। मैं इन तीनों के बगैर चुनाव लड़कर देखना चाहता हूँ।”


1972 के विधानसभा में फणीश्वर नाथ रेणु जी के सामने कांग्रेस के नेता सरयू मिश्र और सोशलिस्ट पार्टी नेता लखन लाल कपूर थे। कहा जाता है कि सरयू मिश्र, लखन लाल कपूर व रेणु जी तीनों मित्र हुआ करते थे और 1942 के आंदोलन में तीनों एक साथ भागलपुर जेल में बंद थे। इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान रेणु जी के खिलाफ सरयू मिश्र और लखन लाल कपूर ने उनका खुल कर विरोध नही किया। चुनाव में रेणु जी का चुनाव चिह्न नाव था और उनका नारा हुआ करता था ” कह दो गाँव गाँव में, वोट डलेगा नाव पे, कह दो बस्ती बस्ती में, वोट लगेगा कश्ती पे।”

जब चुनाव परिणाम आया तो रेणु जी को बहुत तकलीफ हुई क्योंकि रेणु जी को सिर्फ 6498 वोट आए और वह चौथे नंबर पर रहे। जबकि चुनाव जीते सरयू मिश्र को 29750 और दूसरे नंबर पर रहे लखन लाल कपूर को 16666 वोट मिले थे।

हालाँकि दशकों बाद रेणु जी के बेटे पद्मपराग राय वेणु (Padmparag Rai Venu) 2010 में भाजपा (BJP) के टिकट पर फारबिसगंज से रिकार्ड 70400 वोटों से चुनाव जीतकर विधायक बने। अगली बार टिकट नहीं मिला तो नीतिश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जद (यू) (JDU) में चले गए। यहाँ गौर करने कि बात है कि जहाँ रेणु जी समाजवादी विचारधारा के थे वही उनके बेटे दक्षिणपंथी पार्टी के टिकट पर विधायक बने। वही दूसरी ओर रेणु जी के सबसे छोटे बेटे दक्षिणेश्वर प्रसाद राय दिल्ली जाने वाली सीमांचल एक्सप्रेस (Seemanchal Express) का नाम मैला आंचल एक्सप्रेस करने की मांग लगातार करते आ रहे हैं।

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स्वभाव से घुमंतू और कला का समाज के प्रति प्रतिबद्धता पर यकीन। कुछ दिनों तक मैं मीडिया में काम। अभी वर्तमान में सीमांचल लाइब्रेरी फाउंडेशन के माध्यम से किताबों को गांव-गांव में सक्रिय भूमिका।

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