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किशनगंज सांसद के गाँव का 36 साल पुराना अस्पताल हुआ बंद

छत्तरगाछ रेफरल अस्पताल दर्जनों पंचायतों का एक मात्र स्वास्थ्य केंद्र है। इन सभी पंचायतों के लोग पश्चिम में महानंदा और पूर्व में डोंक नदी से घिरे होने के कारण पूरी तरह छत्तरगाछ रेफरल अस्पताल पर निर्भर हैं।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
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एक ओर जहां बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव अस्पतालों का औचक दौरा कर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अस्पतालों की व्यवस्था दुरुस्त हो, वहीं दूसरी ओर किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत छत्तरगाछ स्थित 36 साल पुराने और क्षेत्र के लिए बेहद अहम रेफरल अस्पताल को विभागीय आदेश के बाद बंद करने की तैयारी की जा रही है। वह भी सिर्फ इसलिए कि अस्पताल भवन जर्जर हालत में है। रेफरल अस्पताल जिस भवन में चल रहा है, उसे प्रशासन ने अब असुरक्षित करार दे दिया है। अस्पताल के पास वैकल्पिक भवन नहीं होने के कारण OPD को छोड़कर सभी आपातकालीन सेवाएं 17 किलोमीटर दूर पोठिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शिफ्ट करने का आदेश जारी कर दिया गया है। 3 जुलाई 2023 को प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने आम सूचना प्रकाशित की, जिससे स्थानीय लोग अचंभित और गुस्से में हैं।

किशनगंज के सांसद डॉ. मोहम्मद जावेद आज़ाद का पैतृक गाँव छत्तरगाछ ही है। जानकार बताते हैं उनके पिता तत्कालीन स्थानीय विधायक मोहम्मद हुसैन आज़ाद के अथक प्रयासों के बाद यह अस्पताल अस्तित्व में आया था।

आपको बता दें कि छत्तरगाछ रेफरल अस्पताल दर्जनों पंचायतों का एक मात्र स्वास्थ्य केंद्र है। इन सभी पंचायतों के लोग पश्चिम में महानंदा और पूर्व में डोंक नदी से घिरे होने के कारण पूरी तरह छत्तरगाछ रेफरल अस्पताल पर निर्भर हैं। बीच के इसी भूभाग से ठाकुरगंज और दिघलबैंक प्रखंड को जिले से जोड़ने वाली लाइफलाइन सड़क भी गुज़रती है, जहां अक्सर बड़े हादसे होते रहते हैं। आसपास की पंचायत सहित सड़क यात्रियों के लिए इस अस्पताल की आपातकालीन सेवाएं जीवनदायिनी हैं। रेफरल अस्पताल छत्तरगाछ की आपातकालीन सेवाओं को 17 किलोमीटर दूर CSC पोठिया किये जाने से प्रसूताओं से लेकर दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जिंदगियों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाएगा।


यही कारण है कि जब से यह जानकारी आम लोगों में फैली है, तब से आम लोग से लेकर नेता तक, सभी अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं। प्रशासन के इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में भी गहमागहमी शुरू हो गई है।

हालांकि, इस अस्पताल में राजनीतिक गमागहमी का अपना पुराना इतिहास है।

मोहम्मद इदरीश पास के गांव अठीयाबाड़ी के रहने वाले हैं। 1987 में किन परिस्थियों में इस अस्पताल का उद्घाटन हुआ था, उस संबंध में वह बताते हैं –

गीता देवी अस्पताल में सफाई का काम करती हैं। इसके एवज में उन्हें हर महीने लगभग चार हज़ार रुपये मिल जाते हैं, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण आसानी से हो जाता है। अस्पताल के स्थानांतरण की खबर से वह परेशान हैं कि अब उनके बाल बच्चों के पालन पोषण और शिक्षा का इंतजाम कैसे होगा।

अब्दुस समद आज़ाद दुर्घटना का शिकार होकर प्राथमिक उपचार कराने आये हैं। वह कहते हैं कि भवन जर्जर कोई एक दिन में नहीं हुआ है। प्रशासन को इसकी ख़बर थी तो उन्होंने इसपर गौर क्यों नहीं किया। आज अचानक अस्पताल को दूर भेजना प्रशासन की नाकामी है।

मो. नुरुल हक़ स्थानीय निवासी हैं। वह बताते हैं कि भवन की जर्जरता को लेकर उन्होंने कई बार वीडियो बनाकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भेजा है। लेकिन, किसी ने समय रहते संज्ञान नहीं लिया। आगे वह कहते हैं कि अगर अस्पताल यहाँ से जाता है तो इसका खामियाजा सांसद को भुगतना होगा।

शब्बीर आलम स्थानीय पत्रकार हैं। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में भवन पूरी तरह से जर्जर है, लेकिन प्रशासनिक आदेश तुगलकी है। उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में ही कर्मियों के लिए आवासीय भवन बनकर तैयार है। प्रशासन चाहे तो उसे इस्तेमाल में ले सकता है।

मो. आदिल राजद छात्र प्रदेश उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने प्रशासन के इस आदेश को तुगलकी फरमान बताया।

वहीं, आफताब अजहर सिद्दीकी कहते हैं कि ठाकुरगंज से किशनगंज तक जाने वाली सड़क इसी इलाके से गुजरती है जिसपर अक्सर बड़ी सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं। अस्पताल के सही लोकेशन पर होने के कारण लोगों को जीवनदान मिलता है लेकिन अब क्या होगा, नहीं पता। अगर किसी शख्स के साथ कोई अनहोनी हो जाये तो इसका जिम्मेदार कौन होगा?

नजरुल इस्लाम स्थानीय समाज सेवी हैं। वह किशनगंज के सांसद डॉ जावेद आज़ाद से इसका हल निकालने की गुजारिश कर रहे हैं।

इस पूरे मामले को लेकर हमने प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी शाहिद रज़ा अंसारी से बात की, तो उन्होंने बताया की बिल्डिंग जर्जर होने के कारण यह फैसला आया है। फ़िलहाल OPD को छोड़कर सभी आपातकालीन सेवाओं को पोठिया स्थित CSC के साथ टैग किया गया है। चूँकि OPD चलाने के लिए भी हमारे पास कोई भवन नहीं हैं, इसलिए हम ऐसी जगहों को चिन्हित कर रहे हैं, जहाँ से OPD चलाया जा सके। सफाई कर्मियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि इस पर फैसला बड़े पदाधिकारी करेंगे।

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वहीं किशनगंज विधायक इज़हारुल हुसैन ने बताया कि हमने इस मामले को बिहार विधानसभा में निरंतर उठाया है. नतीजतन छत्तरगाछ रेफरल अस्पताल के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई है। टेन्डर होते ही निर्माण काम शुरू हो जाएगा। साथ ही साथ उन्होंने कहा कि हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि अस्पताल को पोठिया के बजाय कहीं आसपास ही स्थान्तरित किया जाए।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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