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नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत में क्या फर्क है?

नगर पंचायत को ही नगर परिषद या नगर पालिका परिषद के रूप में स्थापित किया जाता है। इसकी आबादी नगर पंचायत से अधिक होती है। किसी क्षेत्र को नगर परिषद का दर्जा पाने के लिए वहां की आबादी 1 लाख से 5 लाख तक होनी चाहिए।

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बिहार में निकाय चुनाव या आधिकारिक भाषा में नगरपालिका चुनाव को लेकर अब गहमागहमी देखने को मिलेगी। दरअसल, बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने 9 सितंबर को इन चुनावों की घोषणा की है। ये चुनाव दो चरणों में होंगे।


पहले चरण की वोटिंग 10 अक्टूबर को होगी। इसके लिए नॉमिनेशन 10 सितंबर से 19 सितंबर तक होगा और रिजल्ट 12 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे। वहीं, दूसरे चरण की वोटिंग 20 अक्टूबर को होगी। इसके लिए 16 सितंबर से 24 सितंबर तक नॉमिनेशन होना है और रिजल्ट 22 अक्टूबर को घोषित किये जाएंगे।

बिहार में कुल 261 नगरपालिकाएं हैं, जिनमें से 19 नगर निगम, 88 नगर परिषद और 154 नगर पंचायत हैं। 13 नगरपालिकाओं का कार्यकाल 2022 के बाद खत्म होगा, इसलिए उनमें फिलहाल चुनाव नहीं हो रहे हैं।


24 नगरपालिकाओं के चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। कुल 224 नगरपालिकाओं में अभी चुनाव चल रहे हैं। इन 224 में से 17 नगर निगम, 70 नगर परिषद और 137 नगर पंचायत हैं।

पिछले साल ही पंचायत चुनाव खत्म हुआ है, लेकिन इस साल चुनाव की घोषणा होने से आम लोगो मे कुछ कन्फ्यूजन है। फिर लोगों में इसको लेकर भी कौतूहल है कि ये नगर निगम, नगर पंचायत और नगर परिषद क्या बला है।

यहाँ, इन तीनों में जो बुनियादी फर्क है, उसे समझने की कोशिश करेंगे।

1992 में नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा मिला

साल 1992 में भारतीय संविधान में 74वें संशोधन हुआ और इसमें एक नया नियम जोड़ा गया, जिससे नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा मिल गया। यह नया संशोधन 1 जून 1993 से प्रभावी हुआ। नगर निकायों को तीन स्तर में संविधान में उपबंधित किया गया है। इन्हें नगर पंचायत, नगर परिषद तथा नगर निगम कहा जाता है।

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नगर पंचायत क्या होता है?

नगर पंचायत सबसे छोटी श्रेणी में आती है। नगर पंचायत उन क्षेत्रों को कहा जाता है, जिन्हें अभी-अभी ग्रामीण से नगरीय क्षेत्र में तब्दील किया गया है। नगर पंचायत की आबादी एक लाख से अधिक नहीं होती है।

उल्लेखनीय हो कि बिहार में पहले सिर्फ 81 नगर पंचायत थी। भाजपा-जदयू की पिछली सरकार में 113 इलाकों को नगर पंचायतों में तब्दील किया है। किशनगंज का पौआखाली नगर पंचायत, अररिया का जोकीहाट नगर पंचायत और पूर्णिया का अमौर नगर पंचायत इन्हीं नवगठित नगर पंचायतों में शामिल हैं।

नगर परिषद क्या होता है?

नगर पंचायत को ही नगर परिषद या नगर पालिका परिषद के रूप में स्थापित किया जाता है। इसकी आबादी नगर पंचायत से अधिक होती है। बताया जाता है कि किसी क्षेत्र को नगर परिषद का दर्जा पाने के लिए वहां की आबादी 1 लाख से 5 लाख तक होनी चाहिए।

हाल के दिनों में 36 नगर पंचायतों को नगर परिषद में अपग्रेड किया गया है। पूर्णिया जिले के कसबा नगर परिषद और बनमनखी नगर परिषद, अररिया जिले के जोगबनी नगर परिषद इन्हीं उत्क्रमित नगर परिषद में शामिल हैं।

नगर निगम क्या है?

नगरीय स्थानीय शासन की सबसे बड़ी श्रेणी को नगर निगम या Municipal Corporations कहा जाता है। नगर निगम की बनावट शहरी होती है और यहां की आबादी कम से कम 5 लाख तो होनी ही चाहिए। नगर निगम स्थापित करने के लिए नया कानून भी लाया जा सकता है, मगर मौजूदा कानून भी नगर निगम स्थापित करने की छूट देता है। बिहार में हाल के दिनों में सात नगर परिषदों को अपग्रेड करते हुए नगर निगम बनाये गये हैं, लेकिन इसके लिये नया कानून नहीं बनाया गया।

नगरपालिकाओं में चुनाव प्रचार की शर्तें

इन तीन नगर निकायों में चुनाव प्रचार की शर्तें भी अलग होती हैं।

जैसे नगर निगम में मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद यानी मेयर और डिप्टी मेयर के उम्मीदवार 16 बाइक, तिनपहिया या आठ हल्का मोटर वाहन लेकर चुनाव प्रचार कर सकते हैं।

लेकिन, नगर परिषद में चुनाव लड़ने वाले मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद उम्मीदवार आठ बाइक, तिनपहिया या चार हल्का मोटर वाहन लेकर ही चुनाव प्रचार कर पाएंगे।

वहीं, नगर पंचायत में मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद उम्मीदवार चार बाइक, तिनपहिया या दो हल्का मोटर वाहन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

इसके अलावा सुविधाओं के मामले में भी नगर निगम को वरीयता मिलती है। उससे थोड़ी कम वरीयता नगर परिषद को और उससे कम वरीयता नगर पंचायत को मिलती है।

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