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मांझी का बयान सीमांचल में दलित-शेरशाहबादी को लड़ाने की कोशिश – कांग्रेस नेता तौक़ीर आलम

कटिहार के कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तौकीर आलम ने पूर्व मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। तौक़ीर आलम ने कहा कि भाजपा सीमांचल में हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने और सामाजिक ताने–बाने को तोड़ने में नाकाम रही है, इसलिए अब भाजपा ने जीतनराम माँझी को मोहरा बनाकर दलित और शेरशाहबादी मुस्लिम को लड़ाने की कोशिश शुरू कर दी है।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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सीमांचल में दो दिवसीय किशनगंज दौरे पर आए हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी द्वारा शेरशाहबादी मुस्लिम पर दिए बयान से यहां की राजनीति गर्म हो गई है।

कटिहार के कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव तौकीर आलम ने पूर्व मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया है। तौक़ीर आलम ने कहा कि भाजपा सीमांचल में हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने और सामाजिक ताने–बाने को तोड़ने में नाकाम रही है, इसलिए अब भाजपा ने जीतनराम माँझी को मोहरा बनाकर दलित और शेरशाहबादी मुस्लिम को लड़ाने की कोशिश शुरू कर दी है।

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शेरशाहबादी मुस्लिमों पर मांझी का विवादित बयान

मांझी ने किशनगंज में बयान दिया था कि शेरशाहबादी समुदाय बिहार सरकार की जमीन पर कब्जा किए हुए हैं। उन्होंने कहा था कि शेरशाहबादी लोग यहां पर बाहर से आकर बसे हैं और जिस जमीन पर दलितों का कब्ज़ा होना चाहिए, उस जमीन पर शेरशाहबादी समुदाय कब्जा किए हुए हुए हैं।


तौकीर ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में जब से बीजेपी सत्ता से दूर हुई है, तब से इनकी बौखलाहट सामने आ रही है।

“बड़ी हैरत की बात है कि जो सूबे का मुख्यमंत्री रहे हैं, उनको बिहार की जाति और समाज का ज्ञान तक नहीं है। जान-बूझकर शेरशाहबादी समाज को बाहरी कहना और पूरी जाति पर दलित समाज की जमीन हड़पने का इल्जाम लगाना, ये सिर्फ एक समाज को अपमानित करने का काम ही नहीं, बल्कि भाईचारा वाले समाज को आपस में लड़ाने का बड़ा षड्यंत्र किया जा रहा है। इस तरह की नफरत फैलाने वाली बयानबाज़ी सीमांचल में चलने वाली नहीं है, ऐसे बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा,” उन्होंने कहा।

तौक़ीर आलम ने कहा कि जिस तरह मणिपुर में भाजपा सरकार ने दंगा और नफरत को रोकने के बजाए अपने नफरती बयानों से उसे बढ़ावा देने का काम किया है, ठीक उसी तरह सीमांचल में शेरशाहबादी समाज को टारगेट कर उसे दूसरी जातियों से लड़ाना चाहती है।

उन्होंने कहा, “जब से जीतनराम मांझी भाजपा के साथ गठबंधन में गए हैं, उनके सुर बदल गए हैं। मैं भाजपा और माँझी जी से कहना चाहता हूँ कि सीमांचल का इलाक़ा मेहनतकश और पसमांदा इलाकों में शुमार है। यहाँ के लोग अमनपसंद हैं और आपसी भाईचारे के साथ रहते है, इसलिए यहां नफरत का बीज बो कर लड़ाने की कोशिश ना करें।”

उन्होंने कहा, “जीतनराम मांझी ने शेरशाहबादी समाज को बाहरी कहा है और पूरे समाज पर दलितों की जमीन हड़पने का बेबुनियाद इल्जाम लगाया है। या तो वह इसको साबित करें या फिर पूरे सीमांचल के लोगों से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें।”

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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