बिहार में 28 अगस्त 2020 से शुरू हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट “हर घर नल का जल योजना” के टेंडर अभी तक राज्य के छोटे ठेकेदारों को दिये जाते रहे हैं, लेकिन हाल ही में योजना का कार्य संभालने के लिए पीएचई विभाग ने ग्लोबल टेंडर देने के निर्देश दिए हैं।
पीएचईडी विभाग के इस फैसले के बाद सीमांचल के छोटे ठेकेदार इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ग्लोबल टेंडर के लागू होने से सिर्फ बड़े पूंजीपति वर्गों के संवेदकों और उनकी कम्पनियों को इसका फायदा मिलेगा और राज्य के छोटे संवेदक बेरोजगार हो जायेंगे।
Also Read Story
विरोध में शामिल संवेदक असगर अली पीटर ने कहा कि एक तरफ मुख्यमंत्री का कहना है कि हम 16 लाख रोज़गार देंगे और दूसरी तरफ आप संवेदकों को बेरोज़गार करते जा रहे हैं। असग़र अली का मानना है कि मुखयमंत्री को इसकी जानकारी नहीं है बल्कि उनके पीछे ये षडयंत्र रचा जा रहा है।
वह आगे कहते हैं, “इसमें विभाग के लोग भी शामिल हैं जो चाहते हैं कि बड़ी कंपनियों को काम देकर उनसे मोटा पैसा निकाला जाए, इसीलिए हम चाहते हैं कि इस टेंडर को छोटा किया जाए। इसके लिए हमने आज सभी संवेदकों की मीटिंग बुलाई है जिसमे तय किया गया है कि हम अपनी इस रोज़ी रोटी की लड़ाई के लिये माननीय नयायालय की शरण में जाएंगे।”
प्रदर्शन में शामिल एक अन्य संवेदक अहमद हुसैन कहते हैं कि ये साफ़ साफ़ कमिशनखोरी का खेल है, ग्लोबल टेंडर से कार्य की गुणवत्ता में कमी आती है। इस योजना में बड़े कांट्रेक्टर द्वारा किये गए कार्य में शिकायत देखने को मिलती है, जबकि जो काम हम छोटे कांट्रेक्टर करते हैं उसमें अगर कोई कमी निकाल दे, तो हम अभी के अभी इस लड़ाई से पीछे हट जाएंगे।
अहमद हुसैन बताते हैं, “जब भी योजना की जांच होती है तो केवल हम छोटे ठेकेदारों की ही जांच की जाती है जिन लोगो को बड़े टेंडर दिये जाते हैं, उनकी कभी जांच नहीं की जाती।”
तनवीर आलम भी एक संवेदक हैं और ग्लोबल टेंडर को लेकर हो रहे विरोध में शामिल हैं। उनका कहना है कि ये ग्लोबल टेंडर मनमाने तरीके से किया गया है।
तनवीर बताते हैं, “हम रोज़ अखबारों में देखते हैं कि बांका, सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी जैसे डिवीजन में छोटे छोटे टेंडर किये गए हैं, स्थानीय संवेदकों का पहला हक़ बनता है क्योंकि सरकार का उद्देश्य भी लोगो को रोज़गार देना है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस योजना को छोटे छोटे संवेदको ने रात-दिन मेहनत कर धरातल पर लाने का कार्य किया है, और अब उन्ही को बेरोज़गार किया जा रहा है, यदि ग्लोबल टेंडर किया गया तो प्रदेश भर के ठेकेदार तो बेरोजगार होंगे ही साथ ही उनके अधीनस्थ जितने भी मज़दूर लोग काम करते हैं, वो भी बेरोजगार होंगे।
वहीं, अन्य ठेकेदारों ने राज्य सरकार और विभाग को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार छोटे छोटे संवेदकों का ख्याल कर ग्लोबल टेंडर को निरस्त नहीं करेगी, तो हम सभी संवेदक मिलकर न्यायालय की शरण में जाएंगे।
इस मामले को लेकर पीएचई विभाग के कार्यपालक अभियंता मुहम्मद ताहिर हसन से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विभाग का निर्देश प्राप्त हुआ था, जिसके आलोक में ग्लोबल टेंडर निकाला गया है। इस टेंडर में जो सभी मानकों को पूरा करेंगे और सक्षम होंगे, वो टेंडर प्रक्रिया में भाग लेंगे।
उन्होंने आगे बताया कि ग्लोबल टेंडर के विरोध में संवेदको के द्वारा उन्हें ज्ञापन सौंपा गया है, जिसे विभाग को भेजा जायेगा, उसके बाद विभाग से जो भी निर्देश मिलेगा उसपर अमल किया जायेगा।
सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।