जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने रविवार को नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने पहली बार 3 मार्च 2000 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन तब सिर्फ एक सप्ताह कुर्सी पर रह पाए थे।
2005 से लगातार सत्ता में जदयू
वह दूसरी बार 24 नवंबर 2005 को बिहार के मुख्यमंत्री बने। तबसे अभी तक नीतीश कुमार (बीच में नौ महीने छोड़ कर) इस कुर्सी पर बरकरार हैं। हालांकि इस दौरान उन्होंने कई बार अपना सहयोगी बदला और कभी भाजपा, तो कभी राजद के सहयोग से सरकार में आए।
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2005-2010 के बीच नीतीश कुमार भाजपा के सहयोग से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे। 2010 का चुनाव भी उन्होंने NDA के सहयोगी दल के तौर पर जीता और तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 2013 में भाजपा के तरफ से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद उन्होंने भाजपा से दूरी बना ली। तब कांग्रेस और वामपंथी दलों के सहयोग से नीतीश कुमार की सरकार बची।
2014 के बाद
2014 लोकसभा में जदयू ने राजद और भाजपा से बराबर दूरी बनाई, लेकिन 40 में से दो ही सीट जीत पाई। इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और पार्टी के महादलित चेहरे जीतन राम मांझी को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया।
सिर्फ नौ महीने में ही नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया और 22 फ़रवरी 2015 को राजद-कांग्रेस के सहयोग से उन्होंने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
महागठबंधन सरकार
2015 के विधानसभा चुनाव में राजद-जदयू-कांग्रेस के महागठबंधन की भारी जीत हुई और नीतीश कुमार ने पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन 2017 आते-आते वह वापस भाजपा के साथ चले गए और 26 जुलाई को उन्होंने छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
2020 का विधानसभा चुनाव भाजपा-जदयू साथ लड़कर जीती और नीतीश कुमार ने सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन 2022 आते आते वह वापस राजद के साथ चले गए और 10 अगस्त को उन्होंने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
अब डेढ़ साल में नीतीश कुमार वापस भाजपा के साथ आ गए हैं और उन्होंने नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
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