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“मिशन दक्ष” के तहत प्रारंभिक स्कूलों में पढ़ायेंगे हाई स्कूलों के शिक्षक, केके पाठक का नया आदेश

मिशन दक्ष के तहत कमज़ोर छात्रों को प्रारंभिक विद्यालयों में विद्यालय गतिविधि समाप्त होने के बाद अथवा भोजनावकाश के बाद विशेष कक्षाएं दी जाएंगी। विशेष कक्षाओं में संबंधित विद्यालय के शिक्षक पढ़ाएंगे।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
high school teachers will teach in primary schools under mission daksh

बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिये “मिशन दक्ष” के तहत माध्यमिक (वर्ग 9-10) और उच्च माध्यमिक (11-12) स्कूलों के शिक्षक भी प्रारंभिक (वर्ग 1-8) स्कूलों में पढ़ायेंगे।


विभाग के मुताबिक, सरकारी स्कूलों की कक्षाओं के ऐसे छात्र, जो पढ़ाई में बहुत कमजोर हैं, के लिए “मिशन दक्ष” प्रारंभ किया जाएगा।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को तत्काल प्रभाव से इसे लागू करने की हिदायत दी है।


दरअसल, केके पाठक जब स्कूलों का निरीक्षण कर रहे थे, तब पता चला कि कई छात्र हिन्दी भाषा का एक शब्द भी नहीं पढ़ पाते हैं। निरीक्षण के दौरान पाठक ने 8वीं में भी ऐसे बच्चों को पाया, जो हिन्दी का एक शब्द भी सही से नहीं पढ़ पा रहे थे।

इसी को देखते हुए विभाग, इन कमजोर छात्रों के लिए “मिशन दक्ष” शुरू कर रहा है।

मिशन दक्ष के तहत कमज़ोर छात्रों को प्रारंभिक विद्यालयों में विद्यालय गतिविधि समाप्त होने के बाद अथवा भोजनावकाश के बाद विशेष कक्षाएं दी जाएंगी। विशेष कक्षाओं में संबंधित विद्यालय के शिक्षक पढ़ाएंगे।

हर शिक्षक लेगा पांच बच्चों को गोद

प्रारंभिक विद्यालयों के इन शिक्षकों का दायित्व होगा कि वे पांच छात्रों को गोद (adopt) लें और जिस कक्षा में उन्होंने तकनीकी रूप से नामांकन कराया हुआ है, उस कक्षा के योग्य बनाएं।

बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित लगभग 65 हजार प्रारंभिक शिक्षकों को भी इसके तहत पांच-पांच बच्चे सौंपे जायेंगे। जरूरत पड़ने पर माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को भी अपने पोषक क्षेत्र के प्रारंभिक विद्यालयों में जाकर पढ़ाना होगा।

विभाग के अनुसार, सरकारी विद्यालयों में लगभग 5 लाख शिक्षक हैं और यदि सभी शिक्षक पांच-पांच कमजोर बच्चों को गोद लेते हैं, तो लगभग 25 लाख कमजोर बच्चों की विशेष कक्षाएं “मिशन दक्ष” के तहत ली जा सकती हैं।

विभाग ने पाया है कि माध्यमिक विद्यालयों में पर्याप्त संख्या में शिक्षक मौजूद तो रहते हैं, किन्तु खाली बैठे रहते हैं और अध्यापन संबंधी कक्षाएं बहुत कम होती हैं।

इसी को देखते हुए शिक्षा विभाग ने फैसला लिया है कि सभी माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों को भी प्रतिदिन कम-से-कम 6 कक्षाएं लेनी होंगी।

इसमें अपने माध्यमिक विद्यालय की समय सारिणी (time-table) के अनुसार वे तो कक्षाएं लेंगे ही, इसके अलावा वे “मिशन दक्ष” के तहत भी प्रारंभिक विद्यालयों में जाकर पांच-पांच बच्चों को पढ़ाएंगे।

विभाग के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की कंडिका-7 के तहत माध्यमिक विद्यालयों को नियमित रूप से पोषक क्षेत्र (feeder area) के प्रारंभिक विद्यालयों में अकादमिक सहयोग (academic support) भी देने की बात कही गई है। यानी कि माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों से यह आशा की जाती है कि वे प्रारंभिक विद्यालयों में जाकर बच्चों को पढ़ाएंगे।

यदि किसी भी दिन 6 कक्षाएं (मिशन दक्ष की कक्षाओं को मिलाकर) इन शिक्षकों द्वारा नहीं ली जाती हैं, तो यह माना जाएगा कि वे विद्यालयों में केवल सशरीर ही उपस्थित थे और उस दिन का वेतन भुगतान नहीं किया जाएगा।

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अप्रैल 2024 में इन सभी 25 लाख बच्चों की जिला स्तर पर एक परीक्षा ली जाएगी। परीक्षा में यदि ये बच्चे फेल होते हैं, तो संबंधित प्रधानाध्यापक पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, उन शिक्षकों पर भी विभागीय कार्रवाई होगी, जिनके पढ़ाए हुए बच्चे फेल होंगे।

तीन चरणों में पूरा होगा “मिशन दक्ष”

“मिशन दक्ष” के तहत पहले चरण में राज्य के सभी प्रारंभिक विद्यालयों में कक्षा 3-8 तक के ऐसे सभी विद्यार्थियों को चिन्हित किया जाएगा, जो हिन्दी के वाक्य धारा प्रवाह नहीं पढ़ सकते हैं, हिन्दी के वाक्य धारा प्रवाह नहीं लिख सकते हैं, मौलिक गणित में सक्षम नहीं हैं तथा जिन्हें अंग्रेजी वर्णमाला की जानकारी नहीं है।

ऐसे छात्रों की विद्यालय गतिविधि समाप्त होने के बाद (अपराह्न 03 बजे के बाद) अथवा भोजनावकाश के विशेष कक्षाएं ली जाएंगी।

टोला सेवक और डायट की सेवाएं ली जाएंगी

इस मिशन में टोला सेवकों को भी लगाया जाएगा। उन्हें भी पाँच कमजोर विद्यार्थी सौंपे जाएंगे। साथ ही, जहाँ कहीं आवश्यक हो, उन्हें इस मिशन से संबंधित बच्चों को शिक्षकों तक पहुंचाने का दायित्व भी सौंपा जाएगा।

जिला शिक्षा पदाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी विद्यालयों के साथ एक टोला सेवक टैग हो जाए और कोई विद्यालय टोला सेवक विहीन न हो।

DIET/BIET/PTEC/CTE जैसे शैक्षणिक संस्थानों को भी इस मिशन से सीधे रूप से जोड़ा जाएगा। कमजोर छात्रों को पढ़ाने का मॉड्यूल (module) बनाने में इनकी मदद ली जाएगी। इन संस्थानों में पढ़ रहे D.El.Ed/B.Ed के छात्रों को भी कमजोर विद्यार्थियों को गोद लेने (adopt) के लिये कहा जायेगा।

इसके अलावा इस मिशन में प्रखंड संसाधन केंद्र (BRC), संकुल संसाधन केंद्र (CRC) में उपलब्ध मानव संसाधन का भी इस्तेमाल किया जाएगा। BPMU के अंतर्गत मानव बल को भी कमजोर विद्यार्थियों को पढ़ाने का कार्य दिया जाएगा।

प्रखंड स्तर पर राज्य में पर्याप्त मात्रा में अभियंता व अन्य मानव बल को भी इस मिशन में विद्यार्थियों को पढ़ाने का काम दिया जा सकता है।

विशेष कक्षाओं की कोई निश्चित अवधि नहीं होगी। संबंधित शिक्षक यह खुद ही तय करेंगे कि वह एक दिन में किसी विद्यार्थी पर कितना मानसिक भार डाल सकते हैं।

मिशन के तहत कक्षाएं 1 दिसंबर 2023 से प्रारंभ होकर वार्षिक परीक्षा (मार्च 2024) के ठीक पहले तक चलेगी, अर्थात् लगभग 15 मार्च 2024 तक चलेगी। अकादमिक सत्र 2024-25 हेतु विशेष कक्षाएँ 1 अप्रैल 2024 से प्रारंभ होकर अगले वर्ष 15 मार्च 2025 तक चलेंगी।

तृतीय चरण के तहत, इस अकादमिक सत्र (2023-24) की वार्षिक परीक्षा 20 मार्च 2024 से 31 मार्च 2024 के बीच में ली जाएगी, जिसमें ये 25 लाख चिन्हित विद्यार्थी भी शामिल होंगे।

मिशन के क्रियान्वन के लिये गठित होगी समिति

मिशन के सफल क्रियान्वन के लिये राज्य स्तर पर एक समिति का गठन किया जायेगा। राज्य स्तरीय समिति में प्राथमिक शिक्षा के निदेशक अध्यक्ष के तौर पर रहेंगे।

इसके अलावा समिति में माध्यमिक शिक्षा के निदेशक द्वारा नामित पदाधिकारी, SCERT निदेशक द्वारा नामित पदाधिकारी, बिहार शिक्षा परियोजना (BEP) द्वारा नामित पदाधिकारी सदस्यों के तौर पर और प्राथमिक शिक्षा के उप निदेशक सदस्य सचिव के तौर पर होंगे।

रोजाना शाम 5 बजे जिलास्तर पर इस मिशन की समीक्षा व अनुश्रवण किया जाएगा।

यह समिति तय करेगी कि कक्षा 3-8 के जो कमजोर विद्यार्थी चिन्हित किए गए हैं, उनकी विशेष कक्षाएँ किस स्तर की होनी चाहिए, उन्हें किस प्रकार पढ़ाया जाना चाहिए और उनकी विशेष परीक्षा का स्तर क्या होना चाहिए।

समिति इस मिशन में शैक्षणिक सलाह के लिए राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त शिक्षाविदों की सेवाएं ले सकेगी। समिति ही उनका मानदेय तय कर सकेगी।

शिक्षा विभाग का कमांड एंड कंट्रोल केंद्र (Command and Control Centre) इस समिति को पूरा लॉजिस्टिकल सपोर्ट (Logistic Support) उपलब्ध कराएगा। साथ ही, संबंधित उप निदेशक, ई-शिक्षा कोष में इस मिशन से संबंधित सभी प्रकार की डाटा इंट्री जिलों द्वारा प्रतिदिन सुनिश्चित करायेंगे।

समिति जिला स्तरीय समिति से समन्वय स्थापित कर प्राप्त सुझावों के अनुसार उचित दिशा-निर्देश निर्गत कर सकेगी। शिक्षा विभाग की बजट शाखा, इस मिशन पर होने वाले सभी प्रकार के खर्च का हिसाब कर तृतीय अनुपूरक में राशि प्राप्त कर BEP तथा SCERT को उपलब्ध कराएगी।

SCERT और उसकी अधीनस्थ संस्थाएं इस विशेष परीक्षा के आयोजन हेतु प्रश्न पत्र बनाएंगी और परीक्षा लेंगी। प्रश्न-पत्र/उत्तर पुस्तिका छपवाने का कार्य बिहार शिक्षा परियोजना (BEP) द्वारा किया जायेगा।

जिला स्तरीय समिति का भी होगा गठन

“मिशन दक्ष” के लिये जिलास्तर पर भी जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जायेगा, जिसमें उपविकास आयुक्त और जिला शिक्षा पदाधिकारी सदस्य के तौर पर रहेंगे।

इसके अलावा जिला शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान (DIET), प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (PTEC), शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय (CTE), प्रखंड शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थान (BITE) के प्राचार्य तथा माध्यमिक शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, इस समिति के सदस्य और समग्र शिक्षा के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी समिति के सदस्य सचिव होंगे।

यह समिति सप्ताह में एक बार बैठक कर मिशन का अनुश्रवण करेगी। जिला स्तरीय समिति, राज्य स्तरीय समिति के दिशा-निर्देश पर काम करेगी। साथ ही, जिला स्तरीय समिति को जिला स्तरीय विषमताओं और संसाधनों को देखते हुए मिशन के दिशा-निर्देशों में आवश्यक संशोधन करने का अधिकार होगा।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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