आर्थिक, स्वास्थ्य के साथ साथ शिक्षा के मामले में भी बेहद पिछड़े बिहार (Bihar) के सीमांचल (Seemanchal) में बेहतर शैक्षणिक संस्थान मुहैया कराने के लिए प्रख्यात अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) का एक कैंपस किशनगंज (Kishanganj) जिले में प्रस्तावित है। इसके लिए साल 2014 में ही जमीन आवंटित हो चुकी है, लेकिन इस कैम्पस के लिए फंड जारी नहीं किया जा रहा है।
इसके खिलाफ किशनगंज के आम लोगों से लेकर सांसद, विधायक व नेता समय समय पर आवाज उठाते रहते हैं, लेकिन सरकार पर इसका बहुत असर पड़ नहीं रहा है, तो आखिरकार लोगों ने सरकार तक आवाज पहुंचाने के लिए ट्विटर (Twitter) का सहारा लिया।
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AMU के लिए फंड जारी करने को लेकर 27 जनवरी की सुबह 11 बजे से #FundForAMUKishanganj हैशटैग के साथ दो लाख से ज़्यादा ट्वीट हुए। दिलचस्प बात ये रही कि इस ट्विटर हैशटैग को सभी राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन दिया और केंद्र सरकार से एएमयू के लिए फंड की मांग की। यहां तक कि भाजपा के नेता भी समर्थन करते नजर आये।
किशनगंज सांसद डॉ जावेद आज़ाद ने ट्विटर पर एक विडियो पोस्ट करते हुए लोगों से अपील की कि तमाम लोग इस ट्रेंड का समर्थन करें।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर लिखा, “साल 2014 में एएमयू के लिए जो बजट आवंटित हुआ था, वो अभी तक नहीं मिला है, इसलिए मैं डाॅ मो जावेद की मांग का समर्थन करता हूं।”
AIMIM के मुखिया असदउद्दीन ओवैसी ने ट्वीट करके हुए कहा, “हम भारत सरकार से फंड की मांग लगातार करते आ रहे हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है। सीमांचल को क्यूँ नाकारा जा रहा है? पीएम और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने मुसलमानों की शिक्षा के लिए कुछ नहीं किया। पूरी तरह अनदेखी की गई।”
कंग्रेस नेता मस्कूर उस्मानी ने ट्वीट किया, “एएमयू किशनगंज केंद्र के नाम हस्तांतरित 224 एकड़ भूमि में एनजीटी और एनएमसीजी की नाकेबंदी के कारण किशनगंज एएमयू का निर्माण कार्य रुका हुआ है, मुख्य कारण यह है कि केंद्र को अभी तक धनराशि नहीं मिली है।”
बिहार आरजेडी के जनरल सेक्रेटरी सह प्रवक्ता चितरंजन गगन ने ट्वीट किया, “केन्द्र और राज्य सरकार का शिक्षा विरोधी चरित्र -जानबूझकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय किशनगंज सेंटर को फंड नहीं दिया जा रहा है। सभी शिक्षाप्रेमीयों को सरकार के इस शिक्षा विरोधी चरित्र के खिलाफ आवाज उठाना होगा”
AIMIM के बिहार अध्यक्ष व अमौर के विधायक अख़्तरूल ईमान ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी किया साथ ही कहा, “न्याय के साथ विकास और सबका साथ सबका विकास का दावा करने वाली राज्य और केंद्र सरकार जवाब दे कि आखिर सीमांचल के साथ इतनी नाइंसाफी क्यों?”
भाजपा नेता और निवर्तमान एमएलसी दिलीप जायसवाल ने ट्विटर पर लिखा, “सरकार को एएमयू फंड पर विचार करना चाहिए।”
स्टूडेंट इस्लामिक आर्गनाइजेशन ने ट्वीट करते हुए कहा कि अल्पसंख्यक केंद्रित किशनगंज शैक्षिक रूप से देश के सबसे उपेक्षित क्षेत्रों में से एक है। एएमयू किशनगंज परिसर लगभग एक दशक से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विफल रहा है। शिक्षा को प्राथमिकता देने का समय आ गया है।
कांग्रेस नेता तहसीन पुनावाला ने ट्वीट करते हुए कहा कि हम इस मांग का समर्थन करते हैं, साथ ही उन्होंने किशनगंज सांसद डॉ जावेद आज़ाद के पूर्व के कार्यों को गिनाया।
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