बिहार के सीमांचल में इन दिनों अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) किशनगंज के लिए फंड के मांग को लेकर सोशल मीडिया पर जोरशोर से कैंपेन चल रहा है। इसी बीच मंगलवार को AMU के VC प्रोफेसर तारिक मंसूर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार के किशनगंज केंद्र में अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास की आधारशिला रखी। नए छात्रावास का निर्माण अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए 10.50 करोड़ रुपये से किया जाएगा।
“मैं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, बिहार सरकार और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उनके उदार समर्थन के लिए हृदय से आभार व्यक्त करता हूं”, कुलपति ने कहा।
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उन्होंने कहा: “हमने केंद्र के लिए पदों और धन की मंजूरी के लिए शिक्षा मंत्रालय को एक विस्तृत प्रस्ताव भी भेजा था, जिस पर हाल ही में मंत्रालय की एक बैठक में विचार किया गया था।”
प्रो मंसूर ने बताया कि नया छात्रावास अल्पसंख्यक छात्राओं को विशेष रूप से सीमांचल क्षेत्र के छात्रों की मदद करेगा, क्योंकि महिला शिक्षा के लिए कई और शैक्षणिक संस्थानों की आवश्यकता है।
“किशनगंज केंद्र में मैनेजमेंट स्टडीज प्रोग्राम है और हम बीएड का कोर्स दोबारा शुरू करना चाहते हैं। साथ ही बीए एलएलबी का नया कोर्स भी शुरू करने का इरादा है।”, उन्होंने कहा।
लेकिन इस शिलान्यास के साथ ही किशनगंज के नेताओं के बीच क्रेडिट लेने की लड़ाई शुरू हो गई है।
कांग्रेस कोटे से किशनगंज सासंद डॉ मोहम्मद जावेद इसका श्रेय खुद लेने की कोशिश की और फेसबुक पर लिखा, “सांसद ने अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से हाॅस्टल के लिए फंड जारी करने का अनुरोध किया था। केंद्र सरकार और बिहार सरकार ने 10.5 करोड़ रुपए आवंटित किया और एएमयू के वीसी तारिक मंसूर ने गर्ल्स हॉस्टल का शिलान्यास किया।”

उसके जवाब में जदयू प्रदेश उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक मुजाहिद आलम व्यंग्य के लहजे में कहा कि फंड जारी होने में सांसद की कोई भूमिका नहीं है।
उन्होंने कांग्रेस सांसद के फेसबुक पोस्ट पर प्रतिक्रिया में लिखा, “इतनी तेज गति से फंड दिलाने के लिए माननीय सांसद महोदय का आभार कि उन्होंने 09 दिसम्बर 2021 को केन्द्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जनाब मुख्तार अब्बास नकवी को पत्र लिखा और और पत्र लिखने के डेढ़ महीने के अन्दर फंड भी मिल गया, स्वीकृति भी हो गई और टेंडर भी हो गया और काम भी शुरू हो गया। है न कमाल की बात!”

इसके बाद मुजाहिद आलम इस प्रोजेक्ट के होने के पीछे की वजह बताते हैं। वे लिखते हैं, “दिसम्बर 2019 को एएमयू किशनगंज सेंटर के डायरेक्टर डाॅ. हसन ईमाम बिहार के माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर बिहार सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए Boys &Girls Minority Hostel के लिए अतिरिक्त भवनों/बेडस् की मांग की थी ताकि दूसरे कोर्स की पढ़ाई शुरू हो सके। माननीय मुख्यमंत्री ने इस संबंध में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी साहब को इस पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया। तत्पश्चात 100-100 बेड के दो भवनों की स्वीकृति एमएसडीपी/प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम से हुई।”
“पांच करोड़ की लागत से 100 बेड के निर्माण का कार्य अंतिम चरण में है जबकि 5.47 करोड़ की लागत से दूसरे 100 बेड के भवन का अभी ले आउट हुआ है। उक्त दोनों 100-100 बेड के भवनों का आज एएमयू के वीसी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शिलान्यास किया है,” मुजाहिद आलम ने लिखा।
मुजाहिद आलम ने सांसद द्वारा फंड के लिए लिखे गये पत्र को लेकर फेसबुक पर लिखा, “सांसद महोदय ने जिस फंड के लिए माननीय मंत्री को पत्र लिखा है, उसको लेकर पांच दिसम्बर 2019 को उन्होंने एएमयू के वीसी प्रो तारिक मंसूर साहब से मिलकर बात की थी। वीसी साहब ने एनजीटी का हवाला देकर उक्त फंड के लिए प्रोपोजल बढ़ाने पर अपनी असमर्था जताई थी। फिर छह दिसम्बर को माननीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री भारत सरकार से मिलकर पत्र सौंपा था।”
“07 जनवरी 2020 को मुझे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पत्र के माध्यम से सूचित किया गया कि एएमयू किशनगंज सेंटर को प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत हास्टल निर्माण के लिए पचास करोड़ देने का प्रोपोजल एनजीटी इंजकशन के कारण एएमयू ने वापस ले लिया है,” वे आगे लिखते हैं।
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