बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 38 सीटें ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जो कुल सीटों का 15.5 प्रतिशत है। हालांकि अनुसूचित जाति की आबादी ताजा आंकड़ों के मुताबिक 19.65 प्रतिशत है। वहीं, अनुसूचित जनजाति के लिए कुल दो सीटें आरक्षित हैं, जो कुल सीटों का 0.82 प्रतिशत है, जबकि उनकी कुल आबादी 1.68 प्रतिशत है।
अररिया से भाजपा सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने जातीय गणना की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरा और इस रिपोर्ट को समाज को तोड़ने वाला बता दिया।
नीतीश कुमार ने आगे लिखा कि इस जातीय गणना के लिए जल्दी ही बिहार विधानसभा में 9 दलों की बैठक बुलाकर उन्हें गणना के परिणाम बताए जाएंगे। जून 2022 में इन्हीं 9 दलों की सहमति से जाति आधारित गणना कराने की सहमति बनी थी।
बिहार सरकार ने राज्य में हुई जाति आधारित गणना की रिपोर्ट सोमवार को जारी की। रिपोर्ट में बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से अधिक बताई गई है। इसमें परिवारों के साथ साथ राज्य में रहने वाले लोगों में परुष और महिलाओं की कुल संख्या भी सामने निकल कर आई है। राज्य में किस जाति […]
बिहार सरकार ने ज्योंही जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी की, यह खबर हर जगह चर्चा का विषय बन गई। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट लिख कर केंद्र सरकार के सचिवों में OBC की प्रतिनिधित्व पर एक बार फिर सवाल उठाया। उन्होंने बिहार जाति आधारित गणना की तारीफ […]
मुस्लिमों में शेख की आबादी 3.82%, अंसारी की 3.54%, सुरजापुरी मुस्लिम की 1.87%, शेरशाहबादी की 0.99% और कुल्हैया की 0.95% है।
हिन्दू समुदाय की आबादी 81.99% (10,71,92,958), मुस्लिम आबादी 17.70% (2,31,49,925), ईसाई आबादी 0.05% (75,238) है। इसके अलावा सिख समुदाय की आबादी 0.011% (14,753), बौद्ध आबादी 0.0851% (1,11,201), जैन आबादी 0.0096%(12,523), अन्य धर्मों की आबादी 0.1274% (1,66,566) तथा कोई धर्म नहीं मानने वालों की आबादी 0.0016% (2,146) है।
भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने सहरसा में आयोजित जनसभा में नीतीश कुमार सरकार और गठबंधन के खिलाफ तीखे हमले किए। उन्होंने जाति आधारित गणना पर चुनौती भी दी।
हल्फनामे में सरकार ने दावा किया कि सरकार अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा पिछड़े वर्गों के उत्थान को लेकर प्रतिबद्ध है। यह हलफनामा सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दायर किया है।
मंगलवार को पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित सर्वेक्षण के विरुद्ध दायर की गई याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने जातीय गणना के विरुद्ध सभी 5 याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि जाति आधारित सर्वेक्षण करने का उद्देश्य लोगों की ‘लेबलिंग’ करना नहीं है […]
यूथ फॉर इक्वेलिटी एक आरक्षण विरोधी संगठन है, जो साल 2006 में अस्तित्व में आया था। इसे आईआईटी, आईआईएम, जेएनयू और कुछ अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं के छात्रों ने बनाया था। संस्थापकों में एक अरविंद केजरीवाल भी हैं, जो फिलहाल आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं।
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में कहा है कि जाति आधारित डेटा का संग्रह संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक आदेश है।
हाल ही में मैं मीडिया ने एक रिपोर्ट में तथ्यों के आधार पर बताया था कि बिहार में जाति आधारित गणना को रोकने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका डालने वालों के संबंध भाजपा व आरएसएस से हैं।
जातिगत जनगणना पर हाईकोर्ट की रोक के खिलाफ जल्दी सुनवाई के लिए बिहार सरकार की तरफ से दायर याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी और कहा कि 3 जुलाई को ही इस मामले पर सुनवाई की जाएगी।
पूर्व उप मुख्यमंत्री व बिहार भाजपा के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी ने एक ट्विटर थ्रेड में नीतीश सरकार पर हमला किया और जातीय जनगणना के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दर्ज होने में भाजपा की भूमिका होने से इनकार किया।