पूर्व उप मुख्यमंत्री व बिहार भाजपा के कद्दावर नेता सुशील कुमार मोदी ने एक ट्विटर थ्रेड में नीतीश सरकार पर हमला किया और जातीय जनगणना के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दर्ज होने में भाजपा की भूमिका होने से इनकार किया।
अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक बुलाये और कानून बनाए सरकार। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वालों से भाजपा का कोई संबंध नहीं। हम विधानसभा में समर्थन और कोर्ट में विरोध की दो मुंही राजनीति नहीं करते।”
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उन्होंने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने अकेले श्रेय लेने की कोशिश में बाकी दलों से बात नहीं की। सुशील मोदी मानते हैं कि जातीय जनगणना के मामले में हाईकोर्ट में कमज़ोर पैरवी के कारण इस पर रोक लगी है।
उन्होंने आगे कहा, “जदयू इसका ठीकरा भाजपा के सिर फोड़ना चाहता है। हाई कोर्ट ने जो प्रश्न उठाये हैं, उनका उत्तर देने के लिए सरकार को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और ज़रूरत पड़े तो विधानसभा का सत्र बुला कर कानून बनाना चाहिए।”
“मुख्यमंत्री ने अकेले श्रेय लेने का मोह छोड़ कर सभी दलों को विश्वास में लिया होता और कोर्ट में समय रहते विभिन्य पहलुओं पर चर्चा की होती, तो इस पर रोक की नौबत नहीं आती।”
सुशील मोदी ने अपने ट्विटर थ्रेड में आगे लिखा कि जातीय जनगणना कराने का निर्णय भाजपा के सरकार में रहते हुआ था और इसमें प्रस्ताव पारित होने से लेकर प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित रहने तक पार्टी समर्थन में खड़ी रही।
उन्होंने यह भी कहा कि जातीय सर्वे करना जनगणना नहीं है और यह राज्यों का अधिकार है। बिहार से पहले कर्णाटक और तेलंगाना सरकार ऐसे सर्वे करा चुकी है।
जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट की रोक के बाद ‘मैं मीडिया’ ने एक खबर की है, जिसमें हमने बताया है कि याचिका करने वालों में दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग शामिल थे, जो अक्सर मोदी सरकार के पक्ष में खड़ी रहते हैं। इन लोगों को अहम पद भी मिले हुए हैं।
इस खबर के प्रकाशित होने के बाद ही सुशील मोदी की यह प्रतिक्रिया आई है।
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