Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

जाति आधारित जनगणना पर बिहार सरकार की याचिका पर 9 को सुनवाई

बिहार में जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी गई थी। बिहार सरकार ने फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे पटना हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। 9 मई को इस याचिका पर सुनवाई होगी।

Navin Kumar Reported By Navin Kumar |
Published On :
Patna High court

बिहार में जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी गई थी। बिहार सरकार ने फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे पटना हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। 9 मई को इस याचिका पर सुनवाई होगी।


बिहार में जाति आधारित गणना पर रोक लगी हुई है। पटना हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाई और सुनवाई के लिए तीन जुलाई की तारीख तय की। लेकिन, इस बीच नीतीश सरकार ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई है।

Also Read Story

कौन हैं बिहार में 65% आरक्षण ख़त्म करने के लिये हाईकोर्ट जाने वाले याचिकाकर्ता?

बिहार: पटना हाईकोर्ट ने 65 प्रतिशत आरक्षण वाले कानून को किया रद्द

बिहार जातीय गणना में मुस्लिम ‘कलाल-एराकी’ व ‘कसेरा-ठठेरा’ जातियों को ‘बनिया’ में गिने जाने से चिंता बढ़ी

बिहार में 75 फीसदी आरक्षण संबंधी विधेयक पर राज्यपाल की लगी मुहर

अनुसूचित जाति की तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले मुसहर सबसे पिछड़े क्यों हैं?

बिहार की मुस्लिम जातियां: पलायन में मलिक व सुरजापुरी आगे, सरकारी नौकरी में भंगी व सैयद, शेरशाहबादी कई पैमानों पर पीछे

“दलित-पिछड़ा एक समान, हिंदू हो या मुसलमान”- पसमांदा मुस्लिम महाज़ अध्यक्ष अली अनवर का इंटरव्यू

बिहार जाति गणना में सुरजापुरी मुस्लिम की आबादी कम बताई गई है: किशनगंज सांसद

बिहार आरक्षण संशोधन विधेयक सदन में पास, अब 75 फीसद होगा आरक्षण

कोर्ट इस याचिका को स्वीकार करते हुए 9 मई को सुनवाई करने को सुनवाई करने पर राजी हो गया है।


उल्लेखनीय हो कि 5 मई को बिहार सरकार की तरफ से जाति आधारित गणना पर जल्दी सुनवाई के लिए पटना उच्च न्यायालय में इंट्रोलोकेट्री एप्लीकेशन दी गई थी, फिर दोपहर बाद बिहार के महाधिवक्ता प्रशांत कुमार शाही ने चीफ जस्टिस के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति राजीव रॉय की खंडपीठ से जल्द सुनवाई करने की गुहार लगाई। महाधिवक्ता पी के शाही के मुताबिक, पटना हाईकोर्ट ने इस केस में अंतरिम आदेश दिया और अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 3 जुलाई की तारीख तय की थी। लेकिन, इस मामले में जल्द सुनवाई जरूरी है। ऐसे में कोर्ट ने उनकी याचिका मंजूर करते हुए दायर की गई इंट्रोलोकेट्री एप्लीकेशन पर 9 मई को सुनवाई करने की बात कही है।

गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने अन्य याचिकाओं की सुनवाई के दौरान जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से वकील दीनू कुमार ने पटना हाईकोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार आर्थिक सर्वे की आड़ में जातीय जनगणना करा रही है जो राज्य नहीं, बल्कि केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। अदालत में बिहार सरकार ने भी अपना पक्ष रखा था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को जाति आधारित सर्वे फौरन बंद करने का आदेश दिया था। साथ ही यह तय करने को भी कहा था कि इकट्ठा किये गये डेटा को सुरक्षित रखा जाए और अंतिम आदेश पारित होने से पहले इसे किसी के साथ साझा नहीं किया जाए।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

नवीन कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के रहने वाले हूं। आईआईएमएससी दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। अभी स्वतंत्र पत्रकारिता करते हैं। सामाजिक विषयों में रुचि है। बिहार को जानने और समझने की निरंतर कोशिश जारी है।

Related News

बिहार में प्रजनन दर, आरक्षण और 94 लाख गरीब परिवारों पर सदन में क्या बोले नीतीश कुमार

नीतीश सरकार 94 लाख गरीब परिवारों को देगी दो-दो लाख रुपये, आवास के लिए सहायता राशि भी बढ़ाएगी

बिहार जातीय गणना रिपोर्टः सरकारी नौकरियों में कायस्थ सबसे अधिक, राज्य में सिर्फ 7 फीसद लोग ग्रेजुएट

नीतीश से मिलकर सांसद जावेद व इलाके के विधायक बोले- सुरजापुरी को मिले ईबीसी आरक्षण

मंगलवार को बिहार विधानसभा के पटल पर रखी जायेगी जाति गणना की पूरी रिपोर्ट

सुरजापुरी मुसलमानों को अत्यंत पिछड़ा वर्ग में शामिल किया जाये: सांसद डॉ. जावेद

बिहार विधानसभा व कैबिनेट में किन जातियों को कितना प्रतिनिधित्व मिला है? 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

दशकों से एक पुराने टूटे पुल के निर्माण की राह तकता किशनगंज का गाँव

क्या पूर्णिया के गाँव में मुसलमानों ने हिन्दू गाँव का रास्ता रोका?

बिहार में जीवित पेंशनधारियों को मृत बता कर पेंशन रोका जा रहा है?

शादी, दहेज़ और हत्या: बिहार में बढ़ते दहेज उत्पीड़न की दर्दनाक हकीकत

किशनगंज: एक अदद सड़क को तरसती हजारों की आबादी