जातिगत सर्वेक्षण के खिलाफ दो संगठनों और कुछ व्यक्तियों ने याचिकाएं डाली थीं। जिन दो संगठनों के नाम याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं, उनमें एक ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ और दूसरा ‘एक सोच एक प्रयास’ शामिल हैं।
बिहार में जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी गई थी। बिहार सरकार ने फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे पटना हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। 9 मई को इस याचिका पर सुनवाई होगी।
तेजस्वी यादव ने पटना हाई कोर्ट के फैसले को लेकर बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग जाति आधारित सर्वे पर रोक लगने से खुशी मना रहे हैं। ये दोहरे चरित्र के लोग हैं। केंद्र में इनकी सरकार जातिगत जनगणना से मना करती है।
जस्टिस विनोद के चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने इस पर रोक का आदेश देते हुए अगली सुनवाई 3 जुलाई को मुकर्रर की है।
15 अप्रैल से बिहार में जातीय जनगणना का दूसरा फेज़ शुरू होने जा रहा है और उसके लिए बिहार सरकार ने सूबे की 215 जातियों का कास्ट कोड तय कर दिया है। जिसके माध्यम से जातियों की पहचान करने में आसानी होगी।
बिहार सरकार ने सूबे की 215 अलग-अलग जातियों के लिए कोड निर्धारित किए हैं। लेकिन, बिहार में रह रहे सिख समुदाय के लोगों के लिए जाति कोड जारी नहीं करने से वे नराज हैं।
जातियों की लिस्ट में 22 नंबर पर 'किन्नर / कोथी / हिजड़ा / ट्रांसजेंडर (थर्ड जेंडर)' लिखा गया है यानी राज्य सरकार किन्नर समुदाय को एक अलग जाति में शुमार कर रही है। इस पर किन्नर समाज में आक्रोश देखा जा रहा है।
जाति कोड के अनुसार पहले नंबर पर अघोरी जाति है वहीं केवानी जाति को 214 कोड दिया गया है। जिन लोगों की जातियों का कोड नहीं दिया गया है उनके लिए 215 यानि अन्य में जगह दी गई है।
अररिया में सेखड़ा बिरादरी पंचायत ने इसको लेकर 8 मार्च को एक आपातकालीन बैठक का आयोजन किया। बैठक की अध्यक्षता सेखड़ा विकास परिषद के अध्यक्ष रज़ी अहमद ने की।
एक प्रेस वार्ता के दौरान अख्तरुल ईमान ने कहा कि जातीय जनगणना के तहत भवनों की गणना में कंडिका आठ, छह और कंडिका आठ, सात में बड़ी त्रुटि रह गयी है।
जातिगत जनगणना से आशय यह है कि जब देश में जनगणना की जाए तो इस दौरान लोगों से उनकी जाति भी पूछी जाए। सीधे शब्दों में कहें तो जाति के आधार पर लोगों की गणना करना ही जातीय जनगणना होता है।
बिहार में जाति आधारित गणना जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के जाति गणना कराने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर दिया है।
भारत की कुल आबादी अभी कितनी है, इसका पता लगाने के लिए इस साल भारत सरकार जनगणना करा रही है। इसके लिए पिछले साल के बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 3736 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं। भारत में हर 10 साल के अंतराल पर लोगों की गिनती की जाती है। जनगणना की शुरुआत 19वीं […]