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जातीय जनगणना में सिखों के जातियों का कोड नहीं होने से समुदाय नाराज

बिहार सरकार ने सूबे की 215 अलग-अलग जातियों के लिए कोड निर्धारित किए हैं। लेकिन, बिहार में रह रहे सिख समुदाय के लोगों के लिए जाति कोड जारी नहीं करने से वे नराज हैं।

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Sikh community of Kishanganj

बिहार में जाति आधारित जनगणना का द्वितीय चरण का कार्य 15 अप्रैल से आरंभ किया जाना है। बिहार सरकार ने सूबे की 215 अलग-अलग जातियों के लिए कोड निर्धारित किए हैं। लेकिन, बिहार में रह रहे सिख समुदाय के लोगों के लिए जाति कोड जारी नहीं करने से वे नराज हैं।


सिखों का कहना है कि उनके समुदाय के लभगभ 60 से 70 हजार की आबादी बिहार में निवास करती है। फिर भी बिहार सरकार के जातीय जनगणना कोडिंग लिस्ट में सिखों को कोई जगह नहीं दी गयी हैं। सिख समुदाय के लोगों ने बिहार सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सिख समुदाय के लोगों की आबादी बिहार में कम होने और सरकार का वोट बैंक नहीं होने की वजह से बिहार सरकार सिखों की अनदेखी कर रही है। उन्होंने बिहार सरकार से मांग की कि सिख समुदाय के लोगों को भी जाति कोड लिस्ट में शामिल किया जाए ताकि सिख छात्र छात्राओं को इसका लाभ मिल सके।

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वहीं, भाजपा एमएलसी व किशनगंज स्थित सिख अल्पसंख्यक MGM मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि जातीय जनगणना के लिस्ट में एक धर्म के लोगों छोड़ देना अधिकारियों की लापरवाही को दर्शा रहा है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के लोगों की गणना अब अन्य की श्रेणी में होगी, जो काफी दुखद है। डॉ जायसवाल ने बिहार सरकार ने मांग की कि सिख समुदाय के लोगों की भी जातीय जनगणना की कोडिंग होनी चाहिए। साथ ही उन्हें बिहार में अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए।


जब सिख समुदाय के आरोपों को लेकर किशनगंज जिला पदाधिकारी श्रीकांत शास्त्री से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि पहले चरण की गणना में ऐसी कोई शिकायत उन्हें नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि अगर उस वक्त भी सिख समुदाय के द्वारा शिकायत दर्ज की जाती, तो ये मुद्दा सरकार के संज्ञान में पहुंचाया जाता। डीएम ने कहा कि अगर ऐसी शिकायत मिल रही है, तो मामले की जांच कर सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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