जातिगत जनगणना कोड में सेखड़ा समुदाय को शामिल नहीं किए जाने से इस बिरादरी में रोष देखा जा रहा है।
अररिया में सेखड़ा बिरादरी पंचायत ने इसको लेकर 8 मार्च को एक आपातकालीन बैठक का आयोजन किया। बैठक की अध्यक्षता सेखड़ा विकास परिषद के अध्यक्ष रज़ी अहमद ने की। बैठक में वक्ताओं ने बताया कि बिहार सरकार द्वारा की जा रही जाति जनगणना के दूसरे चरण की सूची में अलग अलग जातियों का अलग अलग कोड जारी किया गया है, लेकिन उक्त सूची में सेखड़ा जाति का कोई जिक्र नहीं है।
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बता दें कि अररिया, पूर्णिया, दरभंगा, सहरसा, किशनगंज और कटिहार सहित विभिन्न जिलों में सेखड़ा जाति की एक बहुत बड़ी आबादी बसती है। ख़ास तौर पर अररिया जिले के नौ प्रखंडों में सेखड़ा जाति के काफी लोग रहते हैं। सेखड़ा जाति केन्द्र सरकार द्वारा जारी जातिगत सूची में 76वें नंबर पर अंकित है। बिहार सरकार द्वारा पहले चरण में हुई जातिगत जनगणना की जाति सूची में सेखड़ा जाति का नाम 55वें नंबर पर अंकित था, लेकिन दूसरे चरण के लिए जारी लिस्ट में सेखड़ा जाति का नाम नहीं होने से सेखड़ा जाति के लोगों में ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सेखड़ा जाति से जुड़े लोगों द्वारा पूर्व में हड्डी चुनने जैसे पेशे से जुड़े होने के कारण इस जाति को हड्डी चुनना के नाम से भी जाना जाता है। सेखड़ा जाति के लोगों ने प्रशासन से अपील की है कि राज्य सरकार द्वारा जारी जाति कोड में संशोधन कर सेखड़ा जाति के लिए भी कोड आवंटित किया जाए, अन्यथा इस बिरादरी के लोग जनतांत्रिक तरीके से आन्दोलन को बाध्य होंगे।
आपदा प्रबंधन मंत्री का मुख्यमंत्री को पत्र
बिहार के आपदा प्रबंधन मंत्री व जोकीहाट विधायक शाहनवाज़ आलम ने इस मामले को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष रखा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिख कर सेखड़ा जाति को जाति आधारित गणना फॉर्म में शामिल करने की अपील की है।
उन्होंने पत्र में लिखा कि सेखड़ा जाति को राज्य द्वारा निर्धारित पिछड़ी जातियों की सूची में ‘अत्यंत पिछड़ी जाति’ के रूप में रखा गया है, लेकिन जाति आधारित गणना फॉर्म में चिन्हित नहीं किया गया है।
शाहनवाज़ ने पत्र में यह भी लिखा कि स्थानीय अंचल कार्यालय में सेखड़ा जाति का प्रमाण पत्र नियमित रूप से निर्गत होता आ रहा है, इसलिए सेखड़ा जाति को गणना फॉर्म में शामिल किया जाए ताकि इस जाति के लोग मुख्य धारा में सम्मिलित हो सकें।
आपातकालीन बैठक में क्या हुआ तय
आपातकालीन बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान जिला परिषद अध्यक्ष आफताब अज़ीम उर्फ़ पप्पू ने कहा, “सेखड़ा जाति का सर्टिफिकेट बरसों से बनता आ रहा है। यहां सेखड़ा जाति की बड़ी आबादी है। कम से कम 4 से 5 लाख की आबादी यहां रहती है। अभी जो कोड आया है, उसमें सेखड़ा जाति का नाम होना चाहिए। हो सकता है कि सेखड़ा जाति का नाम भूलवश या किसी कारणवश छूट गया होगा। लेकिन, इससे लोगों में आक्रोश है कि निकट भविष्य में जनगणना होना है और अगर वह कोड नहीं मिलेगा, तो इससे आगे काफी कठिनाई होगी। ”
उन्होंने आगे कहा, “लोगों को जाति प्रमाणपत्र बनाने में भी कठिनाइयां होंगी। यहां के जवानों और दबे कुचले समाज के लोगों में एक आक्रोश है कि यह नाम कैसे छूट गया।”
इसी को लेकर बुद्धिजीवी, सम्मानित लोग और जनप्रतिनिधि लोगों की पहल पर एक बैठक हुई कि जिसमें यह विचार किया गया कि तकनीकी भूल हुई है और उसके सुधार के लिए जिला प्राधिकारी, राज्य स्तर पर प्रधान सचिव जी, मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को आवेदन भेजा जाए ताकि भूलवश जो चूक हुई है, उसे ठीक किया जाए ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।”
इससे पहले आफताब अज़ीम ने संबोधन के दौरान बैठक में शामिल लोगों से कहा, “यह लड़ाई लड़ने की ज़रूरत है। हमारे 8 से 9 हज़ार लोग सरकारी नौकरी में हैं। अगर इस काम में ग्रहण लगेगा तो फिर हमारी नौकरियों पर भी ग्रहण लग जाएगा। ”
सेखड़ा विकास परिषद के अध्यक्ष रज़ी अहमद ने बैठक में अपने संबोधन में कहा, “आप इस लड़ाई को लड़ कर अपना हक़ हासिल कीजिये। आपका संगठन मज़बूती के साथ काम करता रहे। बहुत सारे ब्लॉक में आज भी सर्टिफिकेट नहीं दिया जा रहा है। उसकी लड़ाई भी हम लड़ रहे हैं। फॉरबिसगंज, नरपतगंज और भरगामा में हम पिछड़े हुए हैं। इसके अलावा यहां भी अगर सर्टिफिकेट जारी होता है, तो उसमें भी परेशानी होती है। आज इतने सारे बुद्धिजीवी साथी हमारे साथ यहां आ गए हैं, तो हमको नहीं लगता कि आगे हमको किसी तरह की परेशानी होगी।”
इस अवसर पर स्थानीय एसएच मासूम ने कहा, “कोड डायरेक्टरी में मात्र मूल जातियों का उल्लेख है। इसमें एक तकनीकी समस्या है। आप कहिएगा कि सेखड़ा मेरी जाति है लेकिन वे कहेंगे कि सेखड़ा मूल जाति नहीं है बल्कि उप-जाति है। तो फिर हमारी मूल जाति क्या है? तो वे कहेंगे कि हमारी मूल्य जाति तो शेख़ है। चला गया सब कुछ! जितनी मेहनत हमारे मरहूम अजीमुद्दीन साहब और उनके साथ सारे लोगों ने की थी, सब जाया हो जाएगी। हम गुज़ारिश करेंगे कि आप लोग अपने बहुत कीमती वक़्त में से दो वक़्त हमारी नई नस्लों के लिए निकालिए।”
अररिया बस्ती पंचायत के मुखिया शाद अहमद बबलू ने बैठक में लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “हम तो यही कहेंगे कि कहीं न कहीं कोई न कोई साज़िश हुई है। यह लिस्ट पटना से निकलती है और अररिया आते आते नाम गायब हो जाना कहीं न कहीं साज़िश है। लेकिन इसको ज़्यादा हवा देने की ज़रूरत नहीं है। अभी हम लोगों को बस यह देखना है कि जहां हमारा नाम नहीं है, वहाँ नाम दोबारा कैसे आएगा, इसके लिए हमको उपाय सोचना है।”
इस मौके पर पूर्व पार्षद अबू सहमा ने कहा, “जाति जनगणना में सेखड़ा जाति का नाम नहीं आया है। जब तक नहीं आ जाता हम लोग चुप नहीं बैठेंगे। इसके लिए जो भी करना होगा हम लोग करेंगे। आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।”
भाजपा ने पूर्व में बनाया था निशाना
बिहार में जातिगत जनगणना शुरू होने से पहले जून, 2022 में बिहार भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल एक फेसबुक पोस्ट लिख कर सीमांचल कश की सेखड़ा और कुल्हैया जातियों को निशाना बनाया था। उन्होंने लिखा था, “सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग सेखड़ा अथवा कुल्हैया बन कर पिछड़ों की हकमारी करने का काम करते हैं। यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं, वे इस गणना की आड़ में पिछड़े अथवा अति पिछड़े नहीं बन जाएं। ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं जिनके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है।”
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