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“जो पप्पू यादव के साथ नहीं रह सकता वो अपनी बीवी के साथ भी नहीं रह सकता”, जाप कार्यकर्ताओं की नाराजगी पर पप्पू यादव का बयान

‘क्विंट हिंदी’ को दिए साक्षात्कार में पप्पू यादव ने कहा कि उन्होंने पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता से बात की और सबकी रजामंदी से यह कदम उठाया। अगर कोई कार्यकर्ता ऐसा कह रहा है तो वे पार्टी का कार्यकर्ता है ही नहीं।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
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पांच बार सांसद रह चुके पप्पू यादव 2024 लोकसभा की तारीखों की घोषणा के चार दिन बाद 20 मार्च को कांग्रेस से जुड़ गए। उन्होंने अपने राजनीतिक संगठन जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) का कांग्रेस में विलय कर दिया, जिससे जाप के कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है।

‘मैं मीडिया’ ने उन कार्यकर्ताओं से बात भी की जिन्होंने कहा कि जाप प्रमुख पप्पू यादव ने उन्हें बिना बताए पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया, हालांकि पप्पू यादव ने एक इंटरव्यू में कार्यकर्ताओं की नाराजगी को सिरे से खारिज कर दिया है।

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‘क्विंट हिंदी’ को दिए साक्षात्कार में पप्पू यादव ने कहा कि उन्होंने पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता से बात की और सबकी रजामंदी से यह कदम उठाया। अगर कोई कार्यकर्ता ऐसा कह रहा है तो वे पार्टी का कार्यकर्ता है ही नहीं।


“उस वक्त भी ज़ूम पर सब लोग थ, सारे लोग हमें (एयरपोर्ट) छोड़ने आए थे। कौन सा कार्यकर्त्ता आपको बोल दिया, वह कार्यकर्ता नहीं होगा। दुनिया में जो पप्पू यादव के साथ नहीं रह सकता वो अपनी बीवी के साथ भी नहीं रह सकता,” पापु यादव ने क्विंट से कहा।

क्या जाप के अन्य नेता या कार्यकर्ता को कांग्रेस में कोई ज़िम्मेदारी मिलेगी, इस प्रश्न पर उन्होंने कहा, “दिल्ली के सारे कार्यकर्ता कल वहां मौजूद थे। मैंने सूची दे दी है कांग्रेस को। प्रदेश नेतृत्व तय करेगा, मोहन प्रकाश जी तय करेंगे कैसे किसको कहां समायोजित करना है,” पप्पू यादव ने कहा।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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