बिहार में करीब पांच साल बाद वापस महागठबंधन की सरकार बन गई है। मंगलवार को राजद-जदयू महागठबंधन की इस सरकार के 31 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इस बार 5 मुस्लिम चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। सीमांचल के कसबा से कांग्रेस विधायक आफ़ाक़ आलम भी इसमें शामिल हैं।
65 वर्षीय आफ़ाक़ आलम को पशु व मत्स्य संसाधन मंत्री बनाया गया है।
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चौथी बार बने हैं विधायक
आफ़ाक़ आलम 2000 बिहार विधानसभा चुनाव में पूर्णिया ज़िले के कसबा विधानसभा क्षेत्र से बतौर आज़ाद उम्मीदवार चुनाव लड़े थे। लेकिन, लगभग पांच हज़ार वोटों से ये चुनाव हार गए। साल 2005 के फ़रवरी और अक्टूबर में हुए चुनाव में आफ़ाक़ समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में थे। फरवरी वाले विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के प्रदीप कुमार दास को पटखनी दे दी, लेकिन अक्टूबर में जब दोबारा चुनाव हुआ, तो आफ़ाक़ आलम को हार का मुंह देखना पड़ा।
साल 2010 बिहार विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया और वापस चुनाव जीतने में सफल रहे। साल 2015 में भी महागठबंधन के साझा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते और साल 2020 में उन्होंने लोजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रदीप कुमार दास को हराया।
2020 में जीत के बाद मिली बड़ी ज़िम्मेदारी
2020 में चौथी बार विधायक बनने के बाद कांग्रेस के आफ़ाक़ आलम को बड़ी ज़िम्मेदारियाँ दी गईं। 19 विधायकों वाले कांग्रेस विधायक दल के उपनेता बनाए गए। साथ ही विधानसभा के अल्पसंख्यक कल्याण समिति के अध्यक्ष भी बने। मंगलवार को कांग्रेस के सिर्फ दो विधायकों ने बतौर मंत्री शपथ लिया, आफ़ाक़ आलम उनमें से एक हैं। अगर जिले की बात करें तो, आफ़ाक़ आलम के अलावा जदयू की मंत्री लेशी सिंह भी पूर्णिया ज़िले के धमदाहा से विधायक हैं।
अंत तक चली मंत्री बनने के लिए खींचतान
कांग्रेस को महागठबंधन सरकार में दो ही मंत्री मिले, इसलिए पार्टी के अंदर इसको लेकर अंत तक खींचतान चलती रही। कटिहार के कदवा विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक बने शकील अहमद खान और आफ़ाक़ आलम में से एक मुस्लिम चेहरे को कांग्रेस की तरफ से मंत्री बनना था। एक तरफ आफ़ाक़ आलम पार्टी के एक सीनियर नेता थे, तो दूसरी तरफ शकील अहमद खान की पहुँच कांग्रेस के आलाकमान तक मानी जाती है। लेकिन, सोमवार रात को कांग्रेस के नेताओं के आफ़ाक़ आलम के नाम पर मुहर लगा दी।
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