सहरसा जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर बनमा इटहरी प्रखंड के सहरसा-खगड़िया की सीमा से सटा भेरहा नव प्राथमिक विद्यालय जिले के दूसरे विद्यालयों से जुदा है। यह विद्यालय मक्के के खेतों से घिरा हुआ है इसलिए न दूर से नज़र आता है न इस तक पहुँचने के लिए कोई मार्ग है। शिक्षक और बच्चे खेत के रास्ते रोज़ाना पैदल स्कूल पहुँचते हैं।
विद्यालय तक पहुंचने के लिए न कोई सड़क है और न ही किसी प्रकार की कोई अन्य व्यवस्था। फिलहाल इन विकट परिस्थितियों में भी विद्यालय में पढ़ाई जारी है। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि चूंकि यह इलाका बाढ़ प्रवण क्षेत्रों में आता है, इसलिए बरसात के मौसम में यह प्राथमिक विद्यालय 3 से 4 महीने बंद ही रहता है। तीन शिक्षक वाले इस स्कूल में 98 बच्चे नामांकित हैं।
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स्थानीय लोगों ने बताया कि स्कूल आने का जो रास्ता है, वह ज़मीन दूसरों की है और जमींदार अपनी ज़मीन देने को तैयार नहीं हैं।
स्थानीय मुखिया मोहम्मद ईसा ने कहा कि सहूरिया पंचायत अंतर्गत भेरहा गांव दक्षिण में सहरसा जिले का आखिरी गांव है वहीं पूर्वी क्षेत्र में खगड़िया जिले की सीमा लगती है। उन्होंने आगे कहा कि वह लगातार प्रयास में लगे हैं कि ज़मींदारों को समझा बुझा कर जल्द ही विद्यालय के लिए सड़क का निर्माण किया जाए ताकि बच्चों की शिक्षा बाधित न हो।
विद्यालय के जमीनदाता श्याम यादव ने कहा कि किसी तरह स्कूल संचालित तो हो रहा है लेकिन मक्के की फसल बढ़ जाने के बाद बच्चों को आने जाने में काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने आगे बताया कि 40 से 50 बच्चे रोज़ाना स्कूल आते हैं। स्कूल के लिए सड़क बने इसके लिए ज़मींदारों से बात की जारी है।
इस मामले में हमने शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी जियाउल होदा ख़ाँ से बात की। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जहां यह प्राथमिक विद्यालय है वहां कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। इसी को देखते हुए इस स्कूल को दूसरी जगह बनाने की योजना है। फिलहाल जमीन की तलाश की जा रही है, ज़मीन उपलब्ध हो जाने पर जल्द ही विद्यालय के लिए नया भवन बनाया जाएगा।
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